18
जुल॰,2024
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन की कई बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसा स्थानीय समय अनुसार सुबह तड़के हुआ, जब ट्रेन गोंडा जिले के बहराइच क्रॉसिंग से गुजर रही थी। जैसे ही दुर्घटना की सूचना मिली, राज्य सरकार और रेलवे विभाग ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए संबंधित अधिकारियों को तुरंत मौके पर पहुंचने का आदेश दिया। उन्होंने इस दुर्घटना को गंभीरता से लिया और जरूरतमंद लोगों को हर संभव सहायता पहुंचाने का भरोसा दिलाया। योगी आदित्यनाथ ने अपने निर्देश में कहा कि राहत और बचाव कार्यों में किसी भी प्रकार की देरी न हो और तुरंत प्रभाव से सभी संसाधनों का उपयोग किया जाए।
हालांकि, अब तक दुर्घटना के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। रेलवे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटि का परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका सटीक जवाब जांच के बाद ही मिल सकेगा।
राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई गई है। जिला प्रशासन, रेलवे पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। दुर्भाग्यवश, दुर्घटना के समय ट्रेन में सवार यात्रियों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा। रेल अधिकारियों ने बताया कि अब तक किसी की मृत्यु या गंभीर चोट की खबर नहीं आई है, जो एक राहत भरी खबर है।
स्थानीय लोगों ने भी बचाव कार्य में मदद की और यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी सराहना की और उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।
रेलवे विभाग ने यात्री सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरतने के निर्देश दिए हैं। दुर्घटना की खबर मिलते ही, अन्य ट्रेनों के मार्ग और समय में बदलाव किया गया ताकि यात्रियों को असुविधा न हो। इसके साथ ही, दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के यात्रियों को निकटतम रेलवे स्टेशन पर चिकित्सा सुविधा और खाने-पीने की व्यवस्था की गई।
रेलवे मंत्रालय ने इस दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और जांच रिपोर्ट में कोई भी दोषी पाया गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
दुर्घटना से प्रभावित यात्रियों और उनके परिवारों के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। संबंधित अधिकारियों ने यात्रियों और उनके परिजनों से सहयोग की अपील की है ताकि राहत कार्य जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सके। हेल्पलाइन नंबर और अन्य जानकारी रेलवे के आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा की गई है।
इस घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे विभाग को अपने सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की जरूरत है। इससे न केवल यात्रियों का भरोसा बढ़ेगा बल्कि वे सुरक्षित महसूस करेंगे।
इस दुर्घटना के बाद भी जब तक हम रेलवे के सुरक्षा मानकों को बेसिक लेवल पर नहीं अपग्रेड करेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाएंगी। बस राहत और बचाव के लिए नहीं, बल्कि प्रीवेंशन के लिए भी संसाधन लगाने की जरूरत है। जब तक हम ट्रेनों के ब्रेक सिस्टम, पटरी की जांच, और ऑपरेशनल प्रोटोकॉल्स को डिजिटल और ऑटोमेटेड बनाने की ओर नहीं बढ़ेंगे, तब तक यात्रियों का भरोसा टूटता रहेगा। ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, ये एक सिस्टम की फेलियर है।
हमें रेलवे को एक निजी कंपनी जैसा ऑपरेट करने की अनुमति देनी चाहिए, जिसमें बड़े बजट और टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट हो। ये सिर्फ सरकारी अधिकारियों के बयानों के साथ नहीं ठीक होगा।
अरे भाई, ये सब तो बस राजनीति का नाटक है। जब तक ये लोग अपनी अंगूठी बदलने के लिए नहीं आएंगे, तब तक ट्रेनें उलटेंगी। हमारी रेलवे का इतिहास देखो, 1947 से लेकर आज तक क्या बदला? कुछ नहीं। बस बॉस के बयान बदल गए। अब योगी जी के नाम से जुड़ा है, अगले साल किसी और के नाम से जुड़ेगा। इस देश में बेहतर बनाने की जगह, बेहतर बताने की आदत है।
क्या हम वाकई जानते हैं कि एक ट्रेन के लिए पटरी कितनी महत्वपूर्ण है? ये सिर्फ लोहे की पटरियाँ नहीं, ये हमारी सामाजिक संरचना का प्रतीक हैं। जब पटरी टूटती है, तो ये एक अलग तरह की टूट है-एक विश्वास की, एक सुरक्षा की, एक नियमितता की।
हम इसे तकनीकी खराबी कहते हैं, लेकिन क्या ये वास्तव में तकनीकी खराबी है? या ये तो उस निष्क्रियता का परिणाम है, जिसने दशकों तक रेलवे को एक स्थिर अवस्था में रख दिया? हम अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं, लेकिन अपने रेलवे को नहीं।
हमें रेलवे को एक जीवित संस्था के रूप में देखना होगा, जो बदलती है, सीखती है, और अपने यात्रियों के लिए जीती है।
इस दुर्घटना के बाद, रेलवे के सुरक्षा अभियान के लिए एक इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर ऑपरेशनल सिस्टम (IOSS) की आवश्यकता है, जो रियल-टाइम मॉनिटरिंग, एआई-आधारित डिटेक्शन एल्गोरिदम, और ऑटोमेटेड रिस्पॉन्स मैकेनिज्म को एंगेज करे।
केवल एक बड़ा बयान या एक राहत टीम का आह्वान नहीं, बल्कि एक स्ट्रक्चर्ड डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन चाहिए। अगर हम अपने बजट का 15% रेलवे सुरक्षा पर लगाएं, तो अगले 5 साल में ये दुर्घटनाएं 90% तक कम हो सकती हैं।
इसके लिए निजी क्षेत्र के साथ PPP मॉडल भी विचारणीय है।
कोई मृत्यु नहीं। अच्छा।
ये सब बकवास है। जब तक रेलवे में नौकरशाही नहीं बदलेगी, तब तक ये ट्रेनें उलटती रहेंगी। बस एक बार जांच हो जाएगी, फिर लोग भूल जाएंगे। ये जांच भी किसके नाम से होगी? उसी आदमी के नाम से जिसने इसे नज़रअंदाज़ किया था।
हमारे देश में जब कुछ बड़ा होता है, तो लोग रोते हैं, फिर भूल जाते हैं। लेकिन ये ट्रेन सिर्फ लोहा नहीं, ये हमारे अनुभव का हिस्सा है। ये वो ट्रेन है जिसमें हमने अपने बचपन के ख्वाब देखे, अपने दोस्तों को छोड़ा, अपने घर की याद लाए।
इस दुर्घटना ने हमें याद दिलाया कि हमारी रेलवे सिर्फ एक सेवा नहीं, ये हमारी पहचान है। इसे बचाना है, बस बयान नहीं।
हमें अपने बच्चों को बताना होगा कि ये ट्रेन कैसे बची, कैसे उसके यात्री बचे। ये एक जीत है। 🙏
ये दुर्घटना तो बहुत बड़ी बात है, लेकिन अगर आप देखें तो ये अभी तक सबसे बड़ी नहीं है। 2016 में बिहार में एक ट्रेन उलट गई थी, तब 150 लोग मरे थे। उस बार किसी ने कुछ नहीं कहा। अब ये बस एक बात बन गई है कि ‘अब कुछ करना पड़ेगा’।
लेकिन जब तक हम इसे ट्रेंड नहीं बनाएंगे, तब तक कोई काम नहीं होगा।
हमारे देश में ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन हम इसे अपने देश के लिए शर्म की बात नहीं मानते। हम अपने रेलवे को दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक बताते हैं, लेकिन असल में ये एक गड़बड़ है।
अगर ये अमेरिका या जापान में होता, तो आज तक लोग इसे याद करते। हमारे लिए ये बस एक खबर है, जो अगले दिन भूल जाएगी।
क्या कोई जानता है कि गोंडा जिले में ये ट्रेन कितनी बार गुजरती है? मैंने इसे 2019 में भी लिया था। तब भी बहुत धीमी थी, लेकिन अब तो लगता है जैसे कोई अपने घर की ट्रेन बना रहा है।
हमें बस ये चाहिए कि ये ट्रेन सुरक्षित रहे। बाकी सब बातें बाद में।
ये सब जांच का नाटक है। जब तक हम रेलवे के बजट को नहीं बढ़ाएंगे, तब तक ये ट्रेनें उलटती रहेंगी। लेकिन अगर बजट बढ़ाया जाए, तो वो बस बाहरी डिकोरेशन में खर्च हो जाएगा।
हमारे देश में कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट शुरू होता है, तो उसके लिए बजट बढ़ाया जाता है, लेकिन उसका इस्तेमाल किसी और के घर में हो जाता है।
ये ट्रेन दुर्घटना तो एक निशान है-एक ऐसे सिस्टम का जो बस दिखावा करता है।
मैंने इस ट्रेन को बार-बार लिया है... बहुत बार। लेकिन अब तो मैं डर गया हूँ। कल रात मैंने एक दोस्त को फोन किया, उसने कहा कि उसकी बहन भी इस ट्रेन में थी, लेकिन वो उतर गई थी।
अगर ये ट्रेन उलट गई तो क्या होगा? मैं अब ये ट्रेन नहीं लूंगा। बस एक बार ये सोच लिया कि बस इतना जीवन है, इतनी ट्रेन नहीं।
ये दुर्घटना ने हमें याद दिलाया कि हम जीवन को लेकर बहुत लापरवाह हैं। लेकिन अगर हम इसे एक नया शुरुआत का मौका बना लें, तो ये हमारी एक बड़ी जीत हो सकती है।
हम रेलवे को नहीं बदल सकते, लेकिन हम अपनी आवाज़ बढ़ा सकते हैं। हम अपने दोस्तों को बता सकते हैं। हम लोगों को जगा सकते हैं।
एक ट्रेन उलट गई, लेकिन हमारी इच्छा नहीं उलटी। 💪❤️
क्या ये दुर्घटना सिर्फ रेलवे की गलती है? या हम सबकी गलती है? हम जब ट्रेन में बैठते हैं, तो हम उसकी सुरक्षा के बारे में क्या सोचते हैं? क्या हम ये मान लेते हैं कि ये सब ठीक होगा?
हम एक ऐसी समाज बन गए हैं जो बाहर से तो बहुत बड़ा लगता है, लेकिन अंदर से बहुत कमजोर है।
ये ट्रेन दुर्घटना ने मुझे याद दिलाया कि हम जीवन में कितनी चीजें लेकर लापरवाह हैं।
हम ट्रेन के बारे में सोचते हैं, लेकिन उसके बाद क्या? क्या हम अपने घर के बिजली के बल्ब को भी चेक करते हैं? नहीं।
हम बस ये मान लेते हैं कि सब कुछ ठीक होगा। लेकिन जब एक ट्रेन उलट जाती है, तो हम देखते हैं कि ये सब कितना असली है।
हमें अपने जीवन को ज्यादा जागरूक बनाना होगा। 🙏
यह दुर्घटना ने एक अत्यंत गहरी सामाजिक चोट का संकेत दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय निर्माण की आधारशिला कमजोर हो गई है। इस घटना के बाद जो व्यक्ति निष्क्रिय रहता है, वह न केवल एक नागरिक बल्कि एक नैतिक अपराधी है। इस दुर्घटना के पीछे का कारण केवल तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि एक अन्तर्निहित सामाजिक अस्वीकृति है।
हमारे नागरिकों की निष्क्रियता ने इस दुर्घटना को संभव बनाया है। यह एक आत्म-विनाशकारी निर्णय है।
कोई मृत्यु नहीं? तो फिर ये दुर्घटना क्यों बड़ी बात बन गई? अगर कोई नहीं मरा, तो ये तो एक बड़ा अच्छा नतीजा है।
लेकिन अगर ये बात इतनी बड़ी है, तो 2018 में जब 200 लोग मरे थे, तो क्यों नहीं बनी ये बड़ी बात?
अगर तुम असली आदमी हो, तो तुम ये ट्रेन नहीं लेते। ये ट्रेन बस एक घातक खेल है। तुम्हारी जान लेने के लिए तैयार है।
अगर तुम इसे लेते हो, तो तुम बस एक भोला बच्चा हो।