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सित॰,2024
इज़राइल ने बेरूत में हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर एक महत्वपूर्ण हवाई हमला किया, जिसमें संगठन के नेता हसन नसरल्लाह को लक्षित किया गया। यह हमला बेरूत के दाहीये इलाके में हुआ, जो हिज़्बुल्लाह का एक प्रमुख गढ़ माना जाता है। इस हमले के बाद क्षेत्र में तनाव और भय का माहौल बन गया है।
यह हमला उस समय हुआ जब इज़राइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बयान देकर हमास और हिज़्बुल्लाह के खिलाफ संघर्ष को जारी रखने की घोषणा की। अपने बयान में उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़राइल को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हिज़्बुल्लाह के खतरे को समाप्त करने का पूरा अधिकार है। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि इज़राइल अपने लक्ष्यों को पूरा करने तक हिज़्बुल्लाह को कमजोर करने के प्रयास जारी रखेगा।
इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने बताया कि यह हवाई हमला हिज़्बुल्लाह के केंद्रीय मुख्यालय पर किया गया था, जो कि दाहीये इलाके के आवासीय भवनों के नीचे स्थित था। हिज़्बुल्लाह का यह मुख्यालय उनके आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र था। IDF ने यह भी बताया कि हिज़्बुल्लाह जानबूझकर लेबनानी नागरिकों को ढाल के रूप में उपयोग कर रहा था, जिसे ध्यान में रखते हुए इस लक्ष्य को चुना गया था।
इस हवाई हमले में कम से कम छह लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 90 से अधिक लोग घायल हुए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हमले के बाद दक्षिण और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमले के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई है और लोगों में भय का माहौल है।
इस हमले के बाद क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है और संभावना है कि यह संघर्ष पूरा गृहयुद्ध का रूप ले सकता है। हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच पिछले एक साल से लगातार पारसीमाई झड़पें हो रही हैं, जिसमें हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल पर 8,000 से अधिक रॉकेट दागे हैं और टैंक विरोधी मिसाइलों का उपयोग किया है। इज़राइल ने भी हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर हजारों हवाई हमले, ड्रोन हमले और तोपखाने बमबारी की है।
इज़राइल के इस हालिया हमले के बाद, ईरान के बेरूत में स्थित दूतावास ने इसे एक 'खतरनाक कदम' करार दिया है। ईरान ने चेतावनी दी है कि इज़राइल को इसके लिए उचित सजा मिलेगी। इज़राइल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईरान किस तरह से प्रतिक्रिया करता है और क्या अमेरिका और इज़राइल इस मामले में एकजुट रह पाते हैं। इस अधिकारी ने यह भी कहा कि इज़राइल लेबनान पर जमीनी आक्रमण करने की बजाय शीर्ष हिज़्बुल्लाह नेताओं को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाना ज्यादा पसंद करेगा।
लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने कहा कि इज़राइली हमले अमेरिका के नेतृत्व में स्थापित की जा रही शांति पहलों को दरकिनार करते हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अस्पताल भारी मात्रा में घायलों की वजह से भर गए हैं और उनकी उपचार की क्षमता समाप्त हो चुकी है। इस घटनाक्रम के बाद क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयासों को गंभीर धक्का लगा है।
इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच इस संघर्ष की स्थिति बेहद नाजुक है, और इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भी पड़ सकता है। अमेरिका, ईरान और अन्य देशों के बीच इस संघर्ष को रोकने और शांति स्थापित करने के प्रयासों की गंभीरता समय की मांग है, लेकिन इस बीच इज़राइल के इस हमले ने एक नई चिंता पैदा कर दी है।
ये हमला बस एक और बम नहीं, एक पूरी नई लहर की शुरुआत है। बस इतना सोचो कि अगर ये शुरू हो गया तो क्या होगा।
इंसानियत कहाँ गई? 😢 ये सब बस ताकत का खेल है... हम सब बस देख रहे हैं।
क्या हम वाकई ये समझ पा रहे हैं कि एक नेता को मारने से समस्या हल नहीं होती? ये सिर्फ घृणा को और गहरा करता है। जब तक हम इस चक्र को नहीं तोड़ेंगे, तब तक ये जारी रहेगा।
इज़राइल को लगता है कि ये हमले सब कुछ ठीक कर देंगे... पर दुनिया देख रही है कि ये बस और खून बहा रहे हैं। 😔
ये सब एक अद्भुत नाटक है... जिसमें हर कोई अपना भूमिका निभा रहा है... और हम सब दर्शक हैं... जिन्हें कुछ नहीं करना है... बस देखना है... और रोना है... 😭
हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय को लक्ष्य बनाना गलत नहीं है अगर वो नागरिकों को ढाल बना रहे हैं। ये युद्ध का नियम है।
अरे भाई, ये सब तो बस बड़े बड़े लोगों का खेल है। हम तो बस घर में बैठे चाय पी रहे हैं।
ये हमला बिल्कुल अनैतिक था। कोई भी नागरिक को ढाल बनाने का अधिकार नहीं है। और फिर भी इज़राइल ये सब कर रहा है। बस बड़ी बात है।
हमें अभी भी उम्मीद है कि शांति आएगी। बस थोड़ा और समय दो। 🌱
इज़राइल के इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार एक युद्ध अपराध कहा जा सकता है।
हिज़्बुल्लाह आतंकवादी है। इज़राइल ने सही किया। बस इतना ही।
मैं बस इतना कहना चाहती हूँ... बहुत सारे बच्चे मर गए हैं... और हम बस बातें कर रहे हैं...
इज़राइल का ये हमला बिल्कुल भी नया नहीं है... ये तो उनका रूटीन है... एक नेता को मारने के बाद दूसरा आ जाता है... फिर दूसरा... फिर दूसरा... और फिर एक दिन ऐसा होता है कि उनके पास अपने ही लोगों के लिए कोई नेता नहीं बचता... और फिर वो भी उनके खिलाफ उठ खड़े होते हैं... ये तो बस इतिहास का एक दोहराव है... जो कभी खत्म नहीं होता... क्योंकि हम नहीं सीखते... हम सिर्फ देखते हैं... और फिर बोलते हैं... कि ये तो बहुत बुरा है... लेकिन अगले दिन फिर वही होता है... और हम फिर से बोलते हैं... कि ये तो बहुत बुरा है... और इस तरह चलता रहता है... जब तक कि कोई नहीं उठता... और बोलता... बस रुको... अब बस रुको... लेकिन कोई नहीं उठता... क्योंकि हम सब बस देख रहे हैं... और अपने घरों में बैठे हैं... और चाय पी रहे हैं... और बोल रहे हैं... कि ये बहुत बुरा है... लेकिन अगले दिन फिर वही होता है... और हम फिर से बोलते हैं... कि ये बहुत बुरा है... और ये चक्र कभी नहीं टूटता... जब तक कि हम सब एक नहीं बन जाते... और बोलते हैं... बस रुको... अब बस रुको... लेकिन कोई नहीं सुनता... क्योंकि हम सब बस देख रहे हैं... और चाय पी रहे हैं...
उम्मीद है कि शांति जल्दी आए।