19 अक्टूबर 2024 का दिन भारतीय विमान यात्री और सुरक्षा कर्मियों के लिए अत्यंत तनावपूर्ण रहा। इस दिन भारतीय विमान सेवाओं को 20 से अधिक उड़ानों पर बम धमकियों का सामना करना पड़ा। एयर इंडिया, इंडिगो, अकासा एयर, विस्तारा और स्पाइसजेट जैसी प्रमुख विमान कंपनियों ने अपने विमानों की सुरक्षा को उच्चतम प्राथमिकता दी। इन धमकियों के चलते यात्रियों में दहशत और अनिश्चितता फैल गई। यद्यपि समय पर कार्रवाई और सुरक्षा जांच के चलते ये सभी धमकियां अफवाह साबित हुईं, परंतु सुरक्षा पर पड़ने वाला इसका असर कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
हालांकि इन धमकियों को आकस्मिक माना जा रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघनों में वृद्धि देखी गई है। इंडिगो की दिल्ली से इस्तांबुल और मुंबई से इस्तांबुल जाने वाली उड़ानों को भी इस धमकी का शिकार होना पड़ा। विस्तार की उड़ान यूके 624, जो उदयपुर से मुंबई जा रही थी, उसकी भी जांच की गई। कारण जो भी हो, ये धमकियां सुरक्षा व्यवस्था की खामियों की ओर इशारा करती हैं, जो किसी भी स्थिति में गंभीर चिंताओं का विषय हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी धमकियां अब एक सामान्य हथकंडा बन रहा है, जिसका समापन अक्सर अफवाहों के रूप में होता है। इन्हें विमान उद्योग की सुरक्षा प्रक्रियाओं की परीक्षा के रूप में भी देखा जाता है। सुरक्षा दल और हवाई अड्डा प्राधिकरण इन्हें रोकने के लिए अपनी सजगता बढ़ाते हैं ताकि असली खतरों से निर्णायक रूप से निपटा जा सके।
यात्री ऐसे समय में इसके प्रति संवेदनशील रहते हैं और विमान कंपनियों की तत्परता पर निर्भर करते हैं। इंडिगो ने अपने बयान में कहा कि उसे अपने कुछ विमानों पर बम धमकी के बारे में जानकारी मिली है, जिसे गंभीरता से लिया जा रहा है। विस्तारा ने भी अपनी उड़ान की सुरक्षा जांच की, इस प्रक्रिया में यह उड़ान को होल्डिंग एरिया में ले जाया गया।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा सुनिश्चित करने में विमान कंपनियों की सक्रियता कितनी महत्वपूर्ण है। यह यात्रियों की सुरक्षा और विश्वास बहाल करने का विषय है, क्योंकि यात्रियों का विश्वास ही कंपनियों की पहचान होती है।
ऐसी घटनाएं अथवा इंसीडेंट्स सरकार और विमान प्रशासन को सुरक्षा उपायों को मजबूती से लागू करने की चुनौती देती हैं। हवाई अड्डे पर सुरक्षा उपायों को और प्रबल किया जाना अपनी जगह आवश्यक लगता है। एयरलाइंस को भविष्य में इस तरह के मनोवैज्ञानिक दबाव और अनिश्चितता से निपटने की तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए व्यापक सुरक्षा प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाना होगा ताकि ऐसे सामाजिक विघातकों का प्रभाव कम किया जा सके।
इन धमकियों का असर हवाई यात्रा के उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और यदि इन पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह नागरिकों की आधारभूत विश्वास को भी नष्ट कर सकता है। इसलिए जल्द से जल्द इन समस्याओं का उपयुक्त समाधान निकाला जाना जरूरी है ताकि इस तरह की अनपेक्षित घटनाओं से बचा जा सके।
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