एर्न्स्ट एंड यंग पर कार्यभार से हुई 26-वर्षीय सीए की मृत्यु पर प्रतिक्रिया 19 सित॰,2024

एर्न्स्ट एंड यंग पर कार्यभार से हुई 26-वर्षीय सीए की दु:खद मृत्यु

पुणे में एर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) में हाल ही में भर्ती हुई 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन पेरायल की मृत्यु ने पूरे कॉर्पोरेट जगत में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इस घटना ने कार्य पर्यावरण और कर्मचारियों पर कार्यभार के प्रभाव को उजागर किया है।

अन्ना, जो एक नई भर्ती थीं, की कार्यभार से संबंधित तनाव के कारण मृत्यु हो गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, अन्ना की मां ने ईवाई पर आरोप लगाया है कि अत्यधिक काम का दबाव उनकी बेटी की मृत्यु का कारण बना। इस घटना को 'करोशी', एक जापानी शब्द जिसका अर्थ है 'अधिक काम से मृत्यु', के संदर्भ में बताया जा रहा है।

ईवाई ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वे अपने कर्मचारियों के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं और अन्ना की मृत्यु पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। हालांकि, इस बात का उल्लेख किया गया है कि ईवाई के किसी भी प्रतिनिधि ने अन्ना के अंतिम संस्कार में भाग नहीं लिया, जिसने आलोचना को और बढ़ा दिया है।

कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वे अपने कर्मचारियों के कल्याण को अत्यधिक महत्व देते हैं और उनके समर्थन के लिए विभिन्न प्रबंधों का भी उल्लेख किया है। लेकिन, इस घटना ने ज्यादा व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनमें कार्य तनाव और उच्च-प्रदर्शन वाले कार्य पर्यावरण में बेहतर समर्थन प्रणालियों की आवश्यकता शामिल है।

कर्मचारी कल्याण और कार्यभार

कार्य स्थलों पर अत्यधिक कार्यभार अक्सर कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। इस मामले में, अन्ना की मृत्यु ने उच्च-प्रदर्शन वाली नौकरियों में कार्यभार प्रबंधन और कर्मचारी कल्याण के महत्व को रेखांकित किया है।

काम के अत्यधिक दबाव से उत्पन्न समस्याओं को समझने और समाधान खोजने के लिए नियोक्ताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता दें। सफलता और लाभ के साथ-साथ कर्मचारियों का संतुलित जीवन भी महत्वपूर्ण है।

ईवाई के इस मामले में प्रतिक्रिया, हालांकि काफी हद तक मानवीय, लेकिन बातचीत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण चिंताओं को नजरअंदाज करती है। जैसे कि कर्मचारियों के बारे में उनका क्या दृष्टिकोण है और कैसे वे कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक भलाई सुनिश्चित कर सकते हैं।

कल्याणकारी उपाय और मानसिक स्वास्थ्य

उच्च-स्तरीय कॉर्पोरेट कार्यस्थलों में, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन और कार्य-जीवन संतुलन पर जोर दिया जाना चाहिए। नियोक्ताओं को विभिन्न तरीकों से सहायता प्रदान करनी चाहिए:

  • कोचिंग और मेंटरिंग कार्यक्रम
  • समय प्रबंधन और तनाव प्रबंधन पर प्रशिक्षण
  • मानसिक स्वास्थ्य सहायता और परामर्श सेवाएं
  • कार्य-संबंधित लोड के नियमित मूल्यांकन

ईवाई और अन्य कंपनियों को चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन को प्राथमिकता दें और कर्मचारियों की समस्याओं को समर्पित रूप से सुने।

भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

इस त्रासदी ने कार्यस्थलों के कामकाज के तौर-तरीकों में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। सशक्त समर्थन प्रणाली लागू करना न केवल कर्मचारियों की भलाई के लिए अति आवश्यक है, बल्कि इसे सुनिश्चित करना भी संगठनात्मक सफलता के लिए अहम है।

अन्ना की मृत्यु से हमें यह सबक सीखने की आवश्यकता है कि किस प्रकार काम के अत्यधिक दबाव से उत्पन्न समस्याएं वास्तविक और गंभीर हो सकती हैं। यह न केवल नियोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार की समस्याओं का समाधान करें, बल्कि कर्मचारियों को भी अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और जरूरत पड़ने पर सहायता की मांग करनी चाहिए।

आखिरकार, कार्यस्थल पर सही संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन के माध्यम से ही हम सभी कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखद जीवन को सुनिश्चित कर सकते हैं।

टिप्पणि
Amanpreet Singh
Amanpreet Singh 19 सित॰ 2024

ये तो बहुत दुखद है... बस एक युवा जिंदगी गई, जिसके पास थोड़ा सा समय भी अपने लिए नहीं था। कंपनी का बयान तो ठीक है, लेकिन असली बात तो ये है कि उन्होंने उसकी मौत के बाद ही बयान दिया... अगर वो उसे बचा पाते, तो आज हम ये नहीं लिख रहे होते।

Sarith Koottalakkal
Sarith Koottalakkal 19 सित॰ 2024

कंपनियां अब इंसानों को मशीन समझती हैं। काम करो, थक जाओ, फिर दूसरा डेडलाइन। अन्ना की मौत कोई अनोखी घटना नहीं, बस एक और आम बात हो गई।

Kunal Agarwal
Kunal Agarwal 20 सित॰ 2024

मैंने ईवाई में इंटर्नशिप की थी... वहां वाकई लोग बहुत ज्यादा काम करते हैं। लेकिन अगर कोई थक जाए, तो वो अपने मैनेजर को बता सकता है। अगर अन्ना ने बात नहीं की, तो ये भी एक बात है। लेकिन फिर भी, ऐसा दबाव बनाना कंपनी की गलती है।

Meenakshi Bharat
Meenakshi Bharat 22 सित॰ 2024

हमारे देश में अक्सर ये बात नहीं सुनी जाती कि मानसिक स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है। हम सब बाहर से देखते हैं कि लोग बहुत ज्यादा काम कर रहे हैं, लेकिन अंदर से वो टूट रहे होते हैं। अन्ना की मौत एक चेतावनी है - अगर हम अपने कर्मचारियों को इंसान नहीं समझेंगे, तो ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहेंगी।

Sri Vrushank
Sri Vrushank 23 सित॰ 2024

ये सब एक बड़ा नाटक है। कंपनियां अपनी इमेज बनाने के लिए ऐसे बयान देती हैं। अन्ना की मौत के बाद जो बयान आया, वो बस एक शो है। अगर वो सच में कर्मचारियों को लेकर गंभीर होते, तो उन्होंने अपने एल्गोरिदम को बदल देना चाहिए था - जो लोगों को अत्यधिक काम देता है।

Suman Arif
Suman Arif 25 सित॰ 2024

ये सब बहुत आम है। लेकिन अन्ना जैसी युवा लड़की को लेकर इतना ध्यान क्यों? क्या उसकी मौत इतनी अनोखी है? हमारे देश में लाखों लोग रोज थककर मर रहे हैं, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये बस एक शहरी मीडिया चिकित्सा है।

Abhishek Ambat
Abhishek Ambat 26 सित॰ 2024

जिंदगी एक फिल्म है, और हम सब अपने रोल निभा रहे हैं... अन्ना ने अपना रोल बहुत गहराई से निभाया, लेकिन उसके लिए कोई रिसीवर नहीं था। 🌧️

Praveen S
Praveen S 27 सित॰ 2024

हम लोग अक्सर ये भूल जाते हैं कि काम करने का उद्देश्य जीवन जीना है, न कि जीवन को काम के लिए बलि देना। अन्ना की मौत एक विशाल असफलता है - न केवल एक कंपनी की, बल्कि हमारी सामाजिक व्यवस्था की। हमने इंसान को एक उत्पाद बना दिया है।

mohit malhotra
mohit malhotra 27 सित॰ 2024

कार्य-जीवन संतुलन के लिए एक रूपरेखा बनानी चाहिए - जिसमें कार्य लोड मॉनिटरिंग, मेंटल हेल्थ चैनल्स, और फीडबैक लूप्स शामिल हों। ईवाई जैसी कंपनियों को इसे एक कोर कॉर्पोरेट प्रैक्टिस बनाना चाहिए, न कि एक PR टूल। अन्ना की मौत एक ट्रेजेडी है, लेकिन इसे एक सिस्टमिक रिफॉर्म का अवसर बनाया जा सकता है।

Sai Sujith Poosarla
Sai Sujith Poosarla 27 सित॰ 2024

अरे भाई, ये तो बस एक लड़की की मौत है। अगर वो थोड़ा अपना ध्यान रखती, तो ऐसा नहीं होता। ये सब बहुत ज्यादा एमोशनल बना दिया गया है। हमारे देश में लोग तो गाड़ियों में मर रहे हैं, लेकिन कोई चिल्लाता नहीं। ये बस एक नौकरी है - अगर नहीं चला, तो दूसरी ढूंढ लो।

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