27
अक्तू॰,2024
न्यूजीलैंड के कप्तान टॉम लैथम ने हाल ही में भारत के खिलाफ खेले गए ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज में अपनी टीम की रणनीति और योजना के बारे में विस्तार से बताया। इस सीरीज ने विश्व की नजरों को न्यूजीलैंड की क्रिकेट में संभावनाओं की ओर मोड़ा। लैथम ने कहा कि भारतीय पिचों पर जीत हासिल करना कोई साधारण बात नहीं थी, लेकिन उनकी टीम ने इसे संभव बना कर दिखाया। इस वर्ष न्यूज़ीलैंड ने अपनी विषम परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ मनोबल और सही रणनीति अपनाकर भारतीय टीम के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज जीती।
लैथम ने बताया कि उनकी टीम का लक्ष्य शुरू से ही आक्रमकता बनाए रखना था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी टीम भारतीय खिलाड़ियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखे। उनका मुख्य उद्देश्य बल्लेबाजी के दौरान भारत पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना था। उन्होंने कहा 'भारत में जीतने के लिए हमें पहले चरण से ही मानसिक रूप से तैयार रहना था, और खिलाड़ियों को आक्रमक खेल दिखाने के लिए प्रेरित करना जरूरी था।'
टॉम लैथम ने रणनीतिक रूप से सही समय पर टॉस जीतने की महत्ता को स्वीकार किया। खासकर, बेंगलुरु में खेले गए बारिश प्रभावित टेस्ट में टॉस जीत कर पहले गेंदबाजी करने का निर्णय बहुत फायदेमंद साबित हुआ। न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने अनुकूल परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाते हुए भारतीय बललेबाजों को केवल 46 रन पर सिमटा दिया, जो की भारत के घरेलू टेस्ट इतिहास का सबसे कम स्कोर है। इसने मैच के परिणाम पर निर्णायक प्रभाव डाला और मजबूत न्यूज़ीलैंड को उभर कर सामने आने का मौका दिया।
मिशेल सैंटनर के शानदार प्रदर्शन की तारीफ करते हुए लैथम ने बताया कि उनके गेंदबाजी अंदाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दूसरे टेस्ट में उनके द्वारा हासिल की गई 13 विकेटें किसी भी टीम के खिलाफ तीसरी सर्वश्रेष्ठ परफॉरमेंस में शामिल है। सैंटनर ने जिस निरंतरता और आक्रामकता से गेंदबाजी की, उसने भारतीय बल्लेबाजी क्रम को पूरी तरह हिला कर रख दिया। लैथम ने माना कि यह प्रदर्शन किसी भी टीम के लिए सराहनीय है और इसे अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित करेगा।
हालांकि इस हार के बावजूद, लैथम का मानना है कि भारतीय टीम पुनः उठ खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो मैच की दिशा बदल सकते हैं और भविष्य में वे फिर से अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पा सकते हैं। न्यूज़ीलैंड से मिली इस हार को भारत की टीम के समग्र प्रदर्शन का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। भारतीय टीम की मजबूती इस बात से प्रमाणित होगी कि वे अपनी गलतियों से सीखकर फिर से मजबूत होकर उभरें।
न्यूजीलैंड के लिए यह जीत रोमांचित कर देने वाली है। इस जीत ने क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है, विशेष रूप से इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पिछले 69 वर्षों और 13 सीरीज में न्यूज़ीलैंड कभी भी इस तरह की जीत नहीं हासिल कर पाया था। सीरीज जीत का जश्न मनाते हुए लैथम ने कहा कि यह उपलब्धि टीम के हर खिलाड़ी और समर्थक के लिए बेहद खास है, और यह इतिहास का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात है।
भारत को घरेलू धरती पर मिली इस हार को एक नई चुनौती के रूप में देखा जा सकता है। यह सीरीज हार 18 घरेलू सीरीज के लगातार अपराजित रहने के लंबे सफर के अंत का संकेत देती है। लेकिन यह कहानियां केवल अतीत का हिस्सा होती हैं और आगे की यात्रा में सुधार और मजबूती की दिशा में कार्य करना बुनियादी है। भारतीय कप्तान और खिलाड़ी इस हार से सबक ले कर अपनी आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार होंगे।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहाँ जीत और हार खेल का हिस्सा होते हैं, लेकिन असली मापदंड यह है कि खिलाड़ी और टीम उससे कैसे उबरते हैं और अपनी गलतियों से क्या सीखते हैं। भारत को अपनी पिछली जीतों से सिख लेते हुए अपनी योजनाओं पर पुनः विचार करना होगा और भविष्य के लिए नए रणनीति तैयार करनी होगी।
ये न्यूजीलैंड वाले किस जादू से भारत की पिच पर जीत गए? हमारी टीम तो अब घर पर भी हार रही है, और ये लोग आए और बस बारिश के बीच 46 रन पर गिरा दिया! ये टेस्ट क्रिकेट है या बैटिंग की बर्बरी? भारत का नाम रखो तो लगता है जैसे किसी ने हमारे घर में चाय पीकर फिर घर जला दिया।
इस सीरीज़ के विश्लेषण में टॉम लैथम ने वास्तविक रणनीतिक सूक्ष्मताओं को उजागर किया है। भारतीय पिचों पर गेंदबाजी के लिए गेंद की रिवर्स स्विंग और स्पिन के बीच संतुलन बनाना, विशेष रूप से बेंगलुरु में नमी वाली स्थितियों में, एक उच्च-स्तरीय ऑपरेशनल डिज़ाइन था। इसके अलावा, मानसिक अनुकूलन के लिए प्री-मैच ब्रीफिंग और खिलाड़ियों के लिए निरंतर फीडबैक लूप का उपयोग भी एक अनुकूलित नियंत्रण तंत्र का हिस्सा था।
46 रन। बस।
ये सब बकवास है। भारत के बल्लेबाज़ बस लाचार थे। टॉम लैथम को गर्व क्यों? उसने तो बस अपने गेंदबाज़ों को भेज दिया, और हमारे बल्लेबाज़ अपने घर पर भी फेल हो गए। ये जीत नहीं, बस एक बड़ी शर्म की बात है। अगर ये न्यूजीलैंड वाले इतने बेहतर हैं, तो वो दुनिया के सबसे बड़े टेस्ट टूर्नामेंट में क्यों नहीं जीतते? ये सब बस एक बड़ा बुलशिट है।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये जीत सिर्फ टैक्टिक्स की नहीं, बल्कि एक अनजाने राष्ट्रीय आत्मा की भी जीत है? न्यूजीलैंड के खिलाड़ी जैसे मिशेल सैंटनर, जो शायद अपने देश में अभी भी एक छोटे से गाँव के बच्चे हैं, उन्होंने भारत की धरती पर अपनी आत्मा को बरकरार रखा। ये जीत एक गाँव के बच्चे की जीत है, जिसने दुनिया के सबसे भावुक खेल में एक ऐतिहासिक पल बना दिया। 🌿🕊️
मिशेल सैंटनर का जो बल्लेबाज़ी था, वो तो बिल्कुल जादू था। मैंने तो बस एक वीडियो देखा और मेरा दिल दहल गया। ये आदमी गेंद को उड़ा रहा था जैसे वो उसे अपने दिमाग के अंदर घुमा रहा हो। भारतीय बल्लेबाज़ तो बस देख रहे थे, जैसे कोई अपने घर में अचानक बादल बरस गए हों। ये टेस्ट क्रिकेट है या कोई डॉक्यूमेंट्री?
भारत के खिलाफ जीत का गर्व करने वाले लोगों को याद दिलाता हूँ - हमने भी ऑस्ट्रेलिया को घर पर टी20 में चार बार हराया है। न्यूजीलैंड की ये जीत एक अस्थायी अवसर थी, न कि कोई बड़ी उपलब्धि। हमारी टीम अभी भी दुनिया की टॉप टीम है, और ये हार बस एक गलती है। अगली बार जब वो आएंगे, तो हम उन्हें याद दिला देंगे कि ये धरती किसकी है।
लैथम का विश्लेषण बहुत संतुलित लगा। भारत के लिए ये अनुभव वास्तव में बहुत मूल्यवान है। एक बार जब हम अपने घरेलू पिचों पर भी इतनी तेज़ गेंदबाज़ी के सामने तैयार हो जाएंगे, तो ये हार एक शिक्षा बन जाएगी। अच्छा खेल बनाने के लिए तो हमें अपनी कमजोरियों को स्वीकारना होगा। इस बार न्यूजीलैंड ने बेहतर तैयारी की, और उन्हें इसके लिए बधाई देनी चाहिए।
देखो, मैं तो न्यूजीलैंड के खिलाफ कुछ भी नहीं कहता, लेकिन ये सब बहुत अजीब लगता है। भारत की टीम जो इतने सालों से घरेलू टेस्ट में अपराजित रही, अचानक एक बार बारिश के बीच बेंगलुरु में 46 रन पर गिर जाती है, और फिर सब बातें बदल जाती हैं? ये न्यूजीलैंड वालों के लिए ये जीत एक शानदार अवसर थी, लेकिन ये इतिहास नहीं, बल्कि एक अस्थायी अवसर था। और अगर आप ये बात नहीं मानते, तो आपको याद दिलाता हूँ - न्यूजीलैंड के पास कभी भी एक असली स्पिन गेंदबाज़ नहीं रहा, और फिर भी वो ये जीत ले गए? ये सब बस एक बड़ा बकवास है।
मिशेल सैंटनर का बल्लेबाजी तो बहुत बढ़िया था, लेकिन भारत के बल्लेबाज़ भी थोड़े बेकार नहीं थे... बस इतना ही कि उनकी टीम का टॉस जीतने का फैसला बहुत अच्छा रहा... और बारिश ने भी मदद की... और फिर वो गेंदबाज़ ने बस ऐसे खेला कि लगा जैसे उसके पास एक राज़ है... और फिर हमारे बल्लेबाज़ भी बहुत जल्दी आउट हो गए... लेकिन ये तो हर टीम के लिए होता है... बस एक बार के लिए...
ये जीत न्यूजीलैंड के लिए एक नई शुरुआत है! 🌟 अगर आप एक टीम को देखते हैं जो अपनी बाहरी सीमाओं को चुनौती देती है, तो ये वाकई एक प्रेरणा है! भारत के लिए भी ये एक नया मोड़ है - गिरने से नहीं, उठकर दौड़ने से जीत मिलती है! अगली बार भारत आएगा, और उसका नाम इतिहास में चमकेगा! 💪🔥