18
अक्तू॰,2024
भारत की बहुराष्ट्रीय एफएमसीजी कंपनी नेस्ले इंडिया के शेयरों में गुरुवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 4% की गिरावट देखी गई। यह गिरावट तब आई जब कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए लाभ में 1% की मामूली गिरावट दर्ज की। कंपनी का शुद्ध लाभ, जो कि 899 करोड़ रुपये पर रहा, बाजार में आई अपेक्षाओं से कहीं अधिक था। स्ट्रीट के अनुमानों के अनुसार यह लाभ 852 करोड़ रुपये तक सीमित रहने की संभावना थी।
दूसरी तिमाही के दौरान कंपनी की ऑपरेशनल आमदनी 5,104 करोड़ रुपये रही, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1.3% अधिक है। इस आंकड़े ने निवेशकों में सकारात्मक संकेत नहीं भेजा, जिसकी वजह से शेयरों में गिरावट आई।
स्टैंडअलोन आधार पर नेस्ले इंडिया का लाभ 8.5% बढ़कर 986 करोड़ रुपये हुआ, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि में 908 करोड़ रुपये था। हालांकि, अपवादात्मक नुकसान भी इस दौरान देखने को मिला, जो कि 183 करोड़ रुपये रहा। यह बढ़ोतरी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है, जब यह 106 करोड़ रुपये थी।
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने बताया कि कंपनी को बाहरी वातावरण की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी अपने विकास की दिशा में बनी रही है, भले ही उपभोक्ता मांग दबाव में हो और कॉफी एवं कोको जैसे कमोडिटी की कीमतें ऊँचाई पर हैं।
श्री नारायणन ने यह भी बताया कि शीर्ष 12 में से 5 ब्रांड की वृद्धि दर दो अंकों में है, जबकि कुछ मुख्य ब्रांडों को दबाव का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी इसके समाधान के लिए सशक्त कार्य योजनाएं बना रही है।
कंपनी के 65% प्रमुख ब्रांड्स, जिनमें मैगी नूडल्स भी शामिल है, ने पिछले 9 महीनों में सकारात्मक मात्रा में वृद्धि दिखाई है। इसके बावजूद, कंपनी के कुछ ब्रांड्स को कठिन उपभोक्ता मांग और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
पिछले एक साल में नेस्ले इंडिया के शेयरों में केवल 1.8% की वृद्धि हुई है, जबकि इस वर्ष की शुरुआत से 13% की गिरावट दर्ज की गई है। इससे स्पष्ट है कि कंपनी को बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कठोर प्रयास करने होंगे।
आर्थिक दृष्टिकोण से, नेस्ले इंडिया को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और उपभोक्ता की बदलती प्राथमिकताओं के प्रति अधिक सचेत रहना होगा। उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और नवाचार के माध्यम से ही कंपनी अपनी बाजार स्थिति को पुनः स्थापित कर सकेगी। वैश्विक चुनौतियों और घरेलू बाजार की परिस्थितियों के बीच, नेस्ले इंडिया को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी व्यापारिक रणनीतियाँ ग्राहकों की जरूरतों के अनुरूप हों।
भविष्य में कंपनी अपनी ब्रांड वैल्यू और उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने के लिए नवाचारों को अपनाएगी और कार्यों में पारदर्शिता को बनाए रखेगी। इसके लिए एक दृढ़ निश्चय और सही दिशा की आवश्यकता होगी, ताकि कंपनी अपनी विकास यात्रा में सफलता प्राप्त कर सके।
ये 4% गिरावट तो बस एक झटका है बस। नेस्ले के ब्रांड अभी भी घरों में हैं, मैगी वाले अभी भी रात को नूडल्स खा रहे हैं। बाजार ज्यादा चिंता कर रहा है ना कि ग्राहक।
अरे भाई ये कंपनी तो अब तक भारत के बच्चों के पेट में जहर डाल रही है और अब शेयर गिरे तो रो रहे हो? तुम लोगों का दिमाग बेच दिया है इनके नाम से! अपने घर में बनाओ नूडल्स, बाजार के रसोईघर बंद करो। ये कंपनी तो बस चीन के लिए काम कर रही है।
क्या तुम्हें लगता है ये गिरावट बाजार की गलती है? नहीं भाई ये सब एक योजना है। वो लोग जो नेस्ले के शेयर खरीदते हैं वो सब एक गुप्त समूह हैं जो भारत की आर्थिक स्वायत्तता को तोड़ना चाहते हैं। ये शेयर गिरावट एक टेस्ट है कि हम कितने आसानी से धोखा खा लेते हैं। तुम जानते हो ना कि ये नेस्ले के सारे प्रोडक्ट्स में क्या डाला जाता है? नहीं तो ये लोग इतने शांत क्यों हैं?
लॉन्ग-टर्म व्यू में, नेस्ले इंडिया की ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार दिख रहा है-कॉस्ट ऑफ गुड्स सैल्ड में कंट्रोल, डिस्ट्रीब्यूशन ऑप्टिमाइजेशन, और ब्रांड एक्सपेंशन के साथ डिजिटल चैनल्स में ग्रोथ। शेयर प्राइस वोलैटिलिटी का एक फंक्शन है, लेकिन ये बेसिक्स बेहतर हो रहे हैं। अगर उपभोक्ता डिमांड में लैग है, तो प्रोडक्ट इनोवेशन और वैल्यू प्राइसिंग के जरिए इसे रिसॉल्व किया जा सकता है। नेस्ले के पास एक बड़ा ब्रांड पोर्टफोलियो है-ये एक एडवांटेज है।