राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक बड़ी भविष्यवाणी की है। उनका मानना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाते हैं, तो पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल और डीजल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं। किशोर को उम्मीद है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेगी, जिसमें राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को कम करने के प्रयास भी शामिल हैं।
किशोर का मानना है कि वर्तमान में राज्यों के पास तीन प्राथमिक राजस्व स्रोत हैं - पेट्रोलियम, शराब और भूमि। इसके चलते पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। इसका मतलब होगा कि राज्य राजस्व के लिए केंद्र सरकार पर अधिक निर्भर हो जाएंगे। किशोर को यह भी उम्मीद है कि केंद्र सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) के मानदंडों को और कड़ा करेगी और संभवतः राज्यों को संसाधन हस्तांतरित करने में देरी कर सकती है।
इसके अलावा, किशोर ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा को इस बार लगभग 303 सीटें मिल सकती हैं, जो पिछले चुनाव के समान होगा। यह पूर्वानुमान ऐसे समय में आया है जब भारत लोकसभा चुनाव के बीच में है। पांच चरणों के मतदान पहले ही पूरे हो चुके हैं और अभी दो चरण बाकी हैं।
अगर पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इसका राज्यों की वित्तीय स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा। वर्तमान में, पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले कर राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण राजस्व स्रोतों में से एक हैं। यदि ये जीएसटी के अंतर्गत आते हैं, तो राज्यों को इन उत्पादों से होने वाली आय का एक हिस्सा केंद्र के साथ बांटना होगा।
इससे राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है और वे विकास योजनाओं के लिए केंद्र सरकार पर अधिक निर्भर हो सकते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, इससे देश भर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एकरूपता आ सकती है और कर प्रणाली भी सरल हो सकती है।
प्रशांत किशोर की इस भविष्यवाणी पर विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ का मानना है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना एक जटिल मुद्दा है और इसके लिए राज्यों की सहमति महत्वपूर्ण होगी। वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञ इसे सकारात्मक कदम मानते हैं जो लंबे समय में देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
साथ ही, कई विशेषज्ञों ने प्रशांत किशोर के चुनावी पूर्वानुमान पर भी टिप्पणी की है। उनका कहना है कि भाजपा को 303 सीटें मिलने का अनुमान थोड़ा अतिआशावादी लग सकता है, क्योंकि इस बार विपक्ष भी मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा एक बार फिर बड़ी जीत हासिल कर सकती है।
प्रशांत किशोर की यह भविष्यवाणी देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों और केंद्र के बीच संबंध प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही, इससे आम लोगों पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, चुनावी पूर्वानुमान से यह संकेत मिलता है कि भाजपा का प्रदर्शन इस बार भी मजबूत रह सकता है।
हालांकि, यह सब अभी केवल अनुमान और विश्लेषण हैं। वास्तविक नतीजे तो चुनाव के बाद ही सामने आएंगे। फिर भी, प्रशांत किशोर के विचार निश्चित रूप से चर्चा का विषय बने रहेंगे और आने वाले दिनों में इन मुद्दों पर और बहस होने की उम्मीद है।
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