पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आने की संभावना, प्रशांत किशोर ने मोदी के तीसरे कार्यकाल के एजेंडे पर साझा की अंतर्दृष्टि 23 मई,2024

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक बड़ी भविष्यवाणी की है। उनका मानना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाते हैं, तो पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल और डीजल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं। किशोर को उम्मीद है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेगी, जिसमें राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को कम करने के प्रयास भी शामिल हैं।

किशोर का मानना है कि वर्तमान में राज्यों के पास तीन प्राथमिक राजस्व स्रोत हैं - पेट्रोलियम, शराब और भूमि। इसके चलते पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। इसका मतलब होगा कि राज्य राजस्व के लिए केंद्र सरकार पर अधिक निर्भर हो जाएंगे। किशोर को यह भी उम्मीद है कि केंद्र सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) के मानदंडों को और कड़ा करेगी और संभवतः राज्यों को संसाधन हस्तांतरित करने में देरी कर सकती है।

इसके अलावा, किशोर ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा को इस बार लगभग 303 सीटें मिल सकती हैं, जो पिछले चुनाव के समान होगा। यह पूर्वानुमान ऐसे समय में आया है जब भारत लोकसभा चुनाव के बीच में है। पांच चरणों के मतदान पहले ही पूरे हो चुके हैं और अभी दो चरण बाकी हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के निहितार्थ

अगर पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इसका राज्यों की वित्तीय स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा। वर्तमान में, पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले कर राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण राजस्व स्रोतों में से एक हैं। यदि ये जीएसटी के अंतर्गत आते हैं, तो राज्यों को इन उत्पादों से होने वाली आय का एक हिस्सा केंद्र के साथ बांटना होगा।

इससे राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है और वे विकास योजनाओं के लिए केंद्र सरकार पर अधिक निर्भर हो सकते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, इससे देश भर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एकरूपता आ सकती है और कर प्रणाली भी सरल हो सकती है।

प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी पर विशेषज्ञों की राय

प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी पर विशेषज्ञों की राय

प्रशांत किशोर की इस भविष्यवाणी पर विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ का मानना है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना एक जटिल मुद्दा है और इसके लिए राज्यों की सहमति महत्वपूर्ण होगी। वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञ इसे सकारात्मक कदम मानते हैं जो लंबे समय में देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

साथ ही, कई विशेषज्ञों ने प्रशांत किशोर के चुनावी पूर्वानुमान पर भी टिप्पणी की है। उनका कहना है कि भाजपा को 303 सीटें मिलने का अनुमान थोड़ा अतिआशावादी लग सकता है, क्योंकि इस बार विपक्ष भी मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा एक बार फिर बड़ी जीत हासिल कर सकती है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर की यह भविष्यवाणी देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों और केंद्र के बीच संबंध प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही, इससे आम लोगों पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, चुनावी पूर्वानुमान से यह संकेत मिलता है कि भाजपा का प्रदर्शन इस बार भी मजबूत रह सकता है।

हालांकि, यह सब अभी केवल अनुमान और विश्लेषण हैं। वास्तविक नतीजे तो चुनाव के बाद ही सामने आएंगे। फिर भी, प्रशांत किशोर के विचार निश्चित रूप से चर्चा का विषय बने रहेंगे और आने वाले दिनों में इन मुद्दों पर और बहस होने की उम्मीद है।

टिप्पणि
Gaurav Mishra
Gaurav Mishra 24 मई 2024

जीएसटी में डालने का मतलब केंद्र को और शक्ति मिलेगी। राज्य बस भिखारी बन जाएंगे।

Amanpreet Singh
Amanpreet Singh 26 मई 2024

ये तो बहुत बड़ी बात है भाई!! जीएसटी में आ गए तो पेट्रोल की कीमतें एक जैसी हो जाएंगी, और राज्यों को भी बजट बनाने में आसानी होगी!! बस थोड़ा सा सहयोग चाहिए राज्यों को!! 😊

mohit malhotra
mohit malhotra 27 मई 2024

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का आर्थिक तर्क अत्यंत सुदृढ़ है। वर्तमान व्यवस्था में व्यवहारिक रूप से अनेक अवरोधक हैं, जैसे राज्यों की राजस्व स्वायत्तता का अभाव, और विभिन्न कर दरों का असमान वितरण। जीएसटी के अंतर्गत आने से आउटपुट निर्माण की श्रृंखला में निर्माण लागत कम होगी, और उत्पादों की लागत संरचना पारदर्शी होगी। इसके अलावा, टैक्स भुगतान में अपराध कम होगा।

Aayush Bhardwaj
Aayush Bhardwaj 28 मई 2024

अरे भाई, ये सब बकवास है। जीएसटी में डाल देंगे तो पेट्रोल 200 रुपये हो जाएगा। और तुम लोग फिर बोलोगे कि ये तो देश के लिए अच्छा है। तुम सब बेवकूफ हो।

Kunal Agarwal
Kunal Agarwal 30 मई 2024

मैंने देखा है बहुत सारे गांवों में डीजल की कीमतें अलग-अलग हैं। अगर एक जैसी हो जाएंगी तो दूर के इलाकों में लोगों को आसानी होगी। ये बहुत बड़ा कदम है।

Meenakshi Bharat
Meenakshi Bharat 1 जून 2024

मैं इस विचार के पक्ष में हूँ क्योंकि जीएसटी के तहत आने से देश भर में एक समान कर व्यवस्था बनेगी, जिससे व्यापार और उद्योग के लिए निर्णय लेना आसान हो जाएगा। राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता कम होने का डर तो है, लेकिन इसके बदले केंद्र द्वारा अधिक संतुलित और न्यायसंगत वित्तीय हस्तांतरण की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे विकास की गति बढ़ेगी। यह एक दीर्घकालिक निर्णय है जिसे तुरंत नहीं देखा जा सकता, लेकिन इसके लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेंगे।

Sri Vrushank
Sri Vrushank 1 जून 2024

ये सब एक योजना है जिसका उद्देश्य राज्यों को कमजोर करना है और एक अनियंत्रित केंद्रीय शक्ति बनाना है। जीएसटी एक छल है जिसके पीछे वित्तीय दासता छिपी है। इसे रोको वरना आप सब बेचारे रह जाएंगे

Vikash Gupta
Vikash Gupta 1 जून 2024

जीएसटी में आ गए तो पेट्रोल की कीमतें एक जैसी हो जाएंगी... अरे भाई, ये तो अब देश की आत्मा बन गई है ना? जहां भी जाओ, पेट्रोल की कीमत एक जैसी हो जाए, जैसे आधुनिक भारत का एक नया धर्म। 🤭

Gaurav Garg
Gaurav Garg 3 जून 2024

क्या आपने कभी सोचा है कि जीएसटी में आने से राज्यों को जो नुकसान होगा, उसे केंद्र कैसे भरेगा? ये सब बहुत सुंदर लगता है लेकिन असलियत अलग है।

mohit malhotra
mohit malhotra 3 जून 2024

यह एक विश्लेषणात्मक बिंदु है। केंद्र द्वारा राज्यों के लिए एक स्थायी वित्तीय समायोजन योजना की आवश्यकता होगी, जिसमें जीएसटी आय का एक निश्चित अंश राज्यों को वापस लौटाया जाए। इसके लिए एक स्वतंत्र वित्तीय नियामक निकाय की आवश्यकता है, जो बजट अनुमानों और राज्यों के आर्थिक आंकड़ों को विश्लेषित करे।

Praveen S
Praveen S 4 जून 2024

हम इस बारे में सोचते हैं कि यह राज्यों के खिलाफ है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि जीएसटी के बिना एक एकरूप बाजार नहीं बन सकता? एक राष्ट्र के रूप में हमें अपने अंतर को स्वीकार करना होगा, लेकिन एक सामान्य नियम के साथ।

Suman Arif
Suman Arif 4 जून 2024

इस बारे में बात करने वाले लोगों को अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातें नहीं आतीं। जीएसटी एक जटिल व्यवस्था है, जिसे लागू करने के लिए राज्यों की सहमति आवश्यक है। अगर वे नहीं देते, तो ये सिर्फ एक बकवास बयान है।

Arun Kumar
Arun Kumar 6 जून 2024

भाई, जीएसटी में आ गए तो अब पेट्रोल की कीमत बिहार में भी दिल्ली जितनी हो जाएगी। तो अब बिहार के लोग भी बेहतर जीवन जी पाएंगे। बस ये देखो कि जब देश बड़ा होता है तो छोटी चीजें भी बड़ी बन जाती हैं।

Sarith Koottalakkal
Sarith Koottalakkal 8 जून 2024

राज्यों को बेचारा छोड़ दिया जा रहा है। अब तो केंद्र ने शराब और भूमि का भी नियंत्रण लेने की योजना बना ली है।

Abhishek Ambat
Abhishek Ambat 9 जून 2024

क्या आप जानते हैं कि जीएसटी के बाद पेट्रोल की कीमतें जैसे तारों की तरह ऊपर उठेंगी? 🌌 ये तो एक नया ब्रह्मांड है जहां अर्थव्यवस्था एक नए नियम के अनुसार घूम रही है।

एक टिप्पणी लिखें