बिहार भूमि सर्वे – सब कुछ जो आपको जानना चाहिए

भू‑सर्वे अक्सर सुनने में बड़ा लग सकता है, पर असल में यह आपकी ज़मीन से जुड़ी सबसे जरूरी जानकारी देता है। बिहार सरकार ने पिछले कुछ सालों में जमीन के रिकॉर्ड को साफ़ करने और सही पंजीकरण करवाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इस लेख में हम सरल शब्दों में बताएँगे कि सर्वे क्या है, क्यों जरूरी है और आप अपने खेत‑जमीन का दस्तावेज़ कैसे ले सकते हैं। पढ़ते रहिए, हर चरण आसान होगा।

भू‑सर्वे की प्रक्रिया कैसे चलती है?

पहला कदम होता है नक्शा बनवाना – यानी आपके खेत या जमीन के सटीक आकार और सीमा को ड्रॉ करना। सर्वेक्षक डिपार्टमेंट ऑफ़ लैंड रिकॉर्ड्स (DLR) या स्थानीय तहसील कार्यालय की टीम GPS‑टेक्नोलॉजी से जगह का माप लेती है। फिर वे आपके दस्तावेज़ों – जैसे कि पुराने रजिस्ट्री, खसरा और पहचान पत्र – की जाँच करते हैं। अगर सब ठीक रहता है तो सर्वे रिपोर्ट तैयार होती है और उसे आपकी ज़मीनी रिकॉर्ड में जोड़ दिया जाता है। प्रक्रिया आमतौर पर 4‑6 हफ्ते लेती है, लेकिन आपके सहयोग से समय कम भी हो सकता है।

अपनी ज़मीन का रिकॉर्ड आसानी से कैसे प्राप्त करें?

सबसे पहले अपने नजदीकी तहसील कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल (भू‑सर्वे बिहार) पर जाएँ। वहाँ आपको आवेदन फॉर्म भरना होगा – इसमें आपका नाम, पता, जमीन की लोकेशन और कुछ बेसिक डॉक्यूमेंट्स लगेंगे। आवश्यक कागज़ात में खसरा/बनौट, पहचान पत्र (आधार), और यदि कोई मौजूदा रजिस्ट्री है तो उसकी कॉपी शामिल करें। फॉर्म जमा करने के बाद एक रिसीट मिलती है, जिस पर आपका ट्रैकिंग नंबर लिखा होता है। इस नंबर से आप अपने सर्वे की प्रगति को ऑनलाइन देख सकते हैं या कार्यालय में पूछताछ कर सकते हैं। जब सर्वे पूरा हो जाता है तो आपको नई रजिस्ट्री (सर्टिफिकेट) या डिजिटल रिकॉर्ड का लिंक मिल जाएगा, जिसे आप डाउनलोड करके सुरक्षित रख सकते हैं।

ध्यान रखें कि जमीन पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए, और सभी दस्तावेज़ सही हों। अगर कहीं भी गलती पाई जाती है तो सर्वे प्रक्रिया रुक सकती है और आपको संशोधन करना पड़ता है। अक्सर लोग पूछते हैं कि क्या फीस लगती है – हाँ, छोटे‑छोटे खर्च होते हैं जैसे लेटरहेड चार्ज, नक्शा बनवाने का शुल्क आदि, पर यह राशि बहुत अधिक नहीं होती। अधिकांश मामलों में स्थानीय प्रशासन ही इन फॉर्म को मुफ्त या कम दर पर उपलब्ध कराता है।

एक बार आपका सर्वे हो जाने के बाद कई फायदे मिलते हैं – जमीन बेच‑बेच में विवाद नहीं रहेगा, बैंक से लोन लेना आसान होगा और सरकारी योजनाओं का लाभ भी आप सीधे ले पाएँगे। इसलिए जितनी जल्दी संभव हो, अपना सर्वे करवाएँ और रिकॉर्ड को अपडेट रखें। अगर कोई समस्या आती है तो स्थानीय विधायक या पंचायत के सदस्य की मदद ले सकते हैं; वे अक्सर इस प्रक्रिया में तेज़ी लाते हैं।

समझा न? अब जब भी आप अपने खेत‑जमीन के बारे में सोचें, सिर्फ एक फ़ोन कॉल या ऑनलाइन फॉर्म भरना ही काफी है। बिहार का भूमि सर्वे आपके अधिकार को सुरक्षित रखता है, और आपको भविष्य में किसी भी झंझट से बचाता है। तो देर किस बात की? आज ही कदम उठाएँ और अपनी जमीन की सही पहचान पक्की करें।

बिहार भूमि सर्वे: सरकार ने बढ़ाई डेडलाइन, अब 2026 तक ज‍मीनी विवाद सुलझाने का समय 29 अप्रैल 2025
Avinash Kumar 0 टिप्पणि

बिहार भूमि सर्वे: सरकार ने बढ़ाई डेडलाइन, अब 2026 तक ज‍मीनी विवाद सुलझाने का समय

बिहार सरकार ने भूमि सर्वे की डेडलाइन दिसंबर 2026 तक बढ़ा दी है, ताकि भूलेख डिजिटल हो सकें और विवाद दूर हो सकें। जमीन मालिकों के लिए स्व–घोषणा की अंतिम तारीख 31 मार्च 2025 ही रहेगी, जिस पर विपक्ष ने आपत्ति जताई है। सर्वे के दौरान तकनीकी समस्याएं व भ्रष्टाचार की भी रिपोर्ट है।

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