आपने नाम तो सुना होगा – दीपिंदर गोयल, ज़ोमैटो के सह-संस्थापक. उनका सफ़र एक छोटे से फूड‑डिलीवरी ऐप से लेकर भारत का सबसे बड़ा रेस्तरां प्लेटफ़ॉर्म बन गया. इस टैग पेज पर हम उनकी नई खबरों को छोटा-छोटा करके लाते हैं, ताकि आप जल्दी पढ़ सकें.
पिछले साल ज़ोमैटे ने दो बड़े कदम उठाए – 30% डिलिवरी नेटवर्क विस्तार और AI‑आधारित मेन्यू सिफ़ारिश. इस वजह से छोटे शहरों में भी अब घर बैठे भोजन मिल रहा है. कंपनी ने हाल ही में नया प्रीमियम सब्सक्रिप्शन लॉन्च किया, जिसमें फ्री डिलीवरी, एक्सक्लूसिव रेस्तरां और तेज़ सपोर्ट शामिल हैं.
दीपिंदर खुद इस विस्तार के पीछे की रणनीति बताते हैं कि कैसे डेटा एनालिटिक्स से ग्राहक पसंद को समझा जाता है. उन्होंने बताया कि अगले दो साल में ज़ोमैटो 100 नए शहरों में प्रवेश करने का लक्ष्य रख रहा है, और उसमे छोटे रेस्टोरेंट को भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाने के लिए कम फीस चार्ज करेगा.
अगर आप अपना स्टार्ट‑अप शुरू करना चाहते हैं तो दीपिंदर की कहानी से कई बातें मिलती हैं. सबसे पहला पॉइंट है ‘ग्राहक को समझो’. उन्होंने कहा कि फूड डिलीवरी में सिर्फ तेज़ी नहीं, बल्कि भरोसा भी ज़रूरी है. दूसरे, टीम बनाते समय सही लोगों को चुनना चाहिए – तकनीकी और ऑपरेशन्स दोनों में माहिर लोग.
तीसरा टिप है ‘लचीलापन’. महामारी के दौरान ज़ोमैटो ने डाइन‑इन मॉडल से स्विच कर डिलीवरी पर फोकस किया, जिससे बिक्री बची. इस लचीलेपन की वजह से कंपनी आज भी ग्रोथ करता है.
आख़िर में, दीपिंदर हमेशा डेटा का इस्तेमाल करके निर्णय लेते हैं – चाहे वह नई फीचर लॉन्च हो या मार्केट एंट्री। अगर आप अपने व्यवसाय में यही अप्रोच अपनाते हैं तो जोखिम कम होगा और सफलता की संभावना बढ़ेगी.
समाचार दृष्टि पर हम लगातार इस टैग को अपडेट करते रहते हैं. यहाँ आपको दीपिंदर गोयल से जुड़ी हर बड़ी खबर, इंटरव्यू और उनका व्यावसायिक दृष्टिकोण मिल जाएगा. पढ़ते रहें और अपने उद्यमी सफ़र में प्रेरणा लेते रहें.
जोमैटो के सह-संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल ने अपनी पत्नी ग्रेशिया मुनोज़ के साथ एक दिन के लिए डिलीवरी एजेंट बनकर ग्राहकों को खाना पहुँचाया। यह पहल उन्होंने यह समझने के लिए की थी कि डिलीवरी कर्मियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने अपने अनुभव को इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिससे यह घटना सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हो गई।
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