अगर आप हर दिन किराना या मोबाइल रिचार्ज करते हैं, तो आपने अनजाने में जिएसटी का भुगतान किया होता है। जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत के सभी व्यापारों पर लगने वाला एक ही टैक्स है जो राज्य‑राज्य की अलग‑अलग कर संरचनाओं को खत्म करके कीमतें साफ़ करता है। इस टैक्स को समझना मुश्किल नहीं; बस इतना याद रखिए कि यह सामान और सेवाओं की कुल कीमत में जोड़ दिया जाता है और फिर सरकार इसे इकट्ठा करती है।
जीएसटी दो भागों में बाँटा गया है – कॉमन सप्लाई टैक्स (CGST) जो केंद्र सरकार लेती है, और स्टेट सप्लाई टैक्स (SGST) जो राज्य सरकार। अगर आप एक ही राज्य के भीतर खरीद‑बिक्री करते हैं तो दोनों मिलकर काम करते हैं। जब सामान अलग‑अलग राज्यों में जाता‑जाता है, तब इंटिग्रेटेड सप्लाई टैक्स (IGST) लगता है, जिससे दो बार कर नहीं लगते। इस सिस्टम से छोटे‑छोटे व्यापारियों को भी आसानी होती है; उन्हें हर राज्य के लिए अलग‑अलगा रजिस्ट्रेशन नहीं करना पड़ता।
सरकार ने हाल ही में "इनकम टैक्स बिल 2025" घोषित किया, जिसमें ₹12 लाख तक की आय पर टैक्स छूट बरकरार रखी गई। इसका असर सीधे GST से जुड़ी हुई कई छोटी‑छोटी लेन‑देन पर भी पड़ता है क्योंकि अब छोटे व्यवसायियों को कम कर दरों का फायदा मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका वार्षिक टर्नओवर 5 लाख रुपये है, तो आप पहले की तुलना में कम टैक्स दे सकते हैं और उसी राशि को अपने प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत घटाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
साथ ही, सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए छोटे‑छोटे रिटेलर पर अतिरिक्त 1% क्रेडिट टैक्स छूट की घोषणा भी की है। इसका मतलब यह है कि अगर आप ऑनलाइन या UPI से बिल भरते हैं तो आपका GST बिल थोड़ा कम दिखेगा, जिससे ग्राहक का खर्चा घटेगा और व्यापारी को जल्दी भुगतान मिलेगा।
इन बदलावों के साथ कुछ नई रिपोर्टिंग आवश्यकताएं भी आईं हैं। अब सभी रिटेलर्स को हर महीने की 15 तारीख तक अपने GST रिटर्न फाइल करने पड़ेगी, चाहे बिक्री कम ही क्यों न हो। यह नियम छोटे कस्टमर बेस वाले दुकानों में शुरूआती परेशानी पैदा कर सकता है, पर दीर्घकालिक लाभ के लिए यह जरूरी माना गया है।
अगर आप खुद का व्यापार चलाते हैं या फ्रीलांसर हैं, तो नई GST दरें और इनकम टैक्स छूट को ध्यान से देखें। अपने अकाउंटेंट से बात करके देखिए कि कौन‑सी कटौती आपके लिए सबसे ज्यादा फायदे मंद हो सकती है। अक्सर छोटे उद्यमियों को यह नहीं पता होता कि वे किस तरह के कर रिवर्स चार्जेज़ या एक्सेम्प्शन का लाभ उठा सकते हैं।
अंत में, याद रखें कि GST एक ऐसा टूल है जो पूरे देश की अर्थव्यवस्था को सरल बनाता है। नई टैक्स छूट और नियमों को समझकर आप न केवल अपने खर्चे घटा सकते हैं, बल्कि अपना व्यवसाय भी तेज़ी से बढ़ा सकते हैं। कोई भी सवाल या संदेह हो तो नीचे कमेंट में लिखिए; हम यथासम्भव मदद करेंगे।
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाते हैं, तो पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं। किशोर को उम्मीद है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में महत्वपूर्ण निर्णय लेगी।
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