जब बात मौसम, वायुमंडल की स्थिति जो तापमान, वर्षा, हवा और दबाव जैसे तत्वों से बनी होती है, वातावरणीय स्थिति की होती है, तो हमें तुरंत स्पष्ट समझ चाहिए कि ये तत्व हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी को कैसे प्रभावित करते हैं। मौसम की जानकारी सिर्फ समाचार नहीं, बल्कि सुरक्षित यात्रा, खेती, स्वास्थ्य जैसी कई चीज़ों का निर्णय बनाती है। इस टैग में आप देखेंगे कि कैसे मॉनसून, भारत में जून‑सितंबर के बीच भारी वर्षा लाने वाला मौसमी चक्र हमारे नदी तटों को भरता है, और कभी‑कभी बाढ़, अधिक पानी के कारण जमीन पर होने वाली जलजड़ता की स्थिति बन जाती है। इन घटनाओं को ट्रैक करने में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, सरकारी एजेंसी जो मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करती है, IMD का रोल अहम है। तब आप समझेंगे कि मौसम में मॉनसून शामिल है और मौसम में बाढ़ का जोखिम है, जिससे तैयारी आसान होती है।
जब IMD किसी क्षेत्र में "नारंगी अलर्ट" या "लाल अलर्ट" जारी करता है, तो इसका मतलब है कि बरसात या तेज़ हवाओं की तीव्रता पहले से अधिक होगी। ऐसे अलर्ट सीधे मौसम के आंकड़ों से निकाले जाते हैं – बरसाती मात्रा, वायु गति, वायु दिशा और मौसमी दबाव। उदाहरण के तौर पर, अगस्त 2025 में मुंबई में नारंगी अलर्ट और रायगढ़ में लाल अलर्ट जारी हुआ, जिससे 791 mm बारिश सिर्फ चार दिनों में गिर पड़ी। यह घटना दर्शाती है कि चेतावनी मौसम को प्रभावित करती है और लोग तुरंत सतर्क हो जाते हैं। इसी तरह, बंगाल湾 में बनने वाला तूफ़ान राजस्थान में सात‑दिन की बारिश का खतरा लेकर आया, जिससे स्थानीय प्रशासन को तैयारियों में समय मिला। ऐसे प्रादेशिक केस हमें दिखाते हैं कि मौसम में स्थानीय परिस्थितियों का बड़ा असर रहता है और हर राज्य को अलग‑अलग योजना बनानी पड़ती है।
लंबी अवधि के आंकड़े भी बताते हैं कि मौसम बदल रहा है। पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन ने मॉनसून के पैटर्न को अस्थिर कर दिया है, जिससे साल के शुरुआती महीनों में भी भारी बारिश देखने को मिलती है। इसका परिणाम न केवल बाढ़ में बढ़ोतरी है, बल्कि खेती के बीज बुवाई और फसल की कटाई के समय भी बदल रहा है। यहाँ तक कि शहरों में भी जल-प्रवाह प्रणाली पर दबाव बढ़ गया है, जिससे अचानक बाढ़ें आती हैं। यही कारण है कि IMD अब रीयल‑टाइम डेटा और एआई मॉडलिंग का प्रयोग कर पूर्वानुमान को और सटीक बनाता है। यह तकनीकी कदम मौसम विज्ञान को आधुनिक बनाता है और आम नागरिक को समय पर चेतावनी देने में मदद करता है।
इन सभी बिंदुओं को देखते हुए, इस टैग के नीचे आपको विभिन्न प्रकार की सामग्री मिलेगी – आमतौर पर मौसम अलर्ट, मॉनसून की प्रगति, बाढ़ जोखिम वाले क्षेत्रों की रिपोर्ट, और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की नवीनतम घोषणाएँ। आप पढ़ेंगे कि कैसे एक छोटे से मौसम बदलाव से बड़े आर्थिक और सामाजिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं, और कौन‑से उपाय तुरंत लागू किए जा सकते हैं। आइए, नीचे की लिस्ट में उतरते हैं और देखें कि इस हफ़्ते के प्रमुख मौसम‑सम्बंधित ख़बरें, विशेषज्ञ विश्लेषण और संभावित तैयारियों के बारे में क्या नया है।
प्रादेशिक मौसम केंद्र नई दिल्ली ने 4 अक्टूबर को नारंगी‑पीली चेतावनी जारी की, पंजाब‑राजस्थान में भारी बारिश और अरब सागर में चक्रवात "शक्ति" के असर को बताया।
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