जब कोई व्यक्ति किसी समूह, धर्म या जाति के खिलाफ अपमानजनक शब्दों से बात करता है तो उसे नफ़रत भासण कहा जाता है। यह सिर्फ बोल‑चलन नहीं बल्कि सामाजिक माहौल को बिगाड़ता है और हिंसा की राह खोल सकता है। कई बार हम देखते हैं कि ऑनलाइन टिप्पणी सेक्शन में लोग बेधड़क ऐसे बयान देते हैं, पर अक्सर हमें नहीं पता होता कि इसका कानूनी या मनोवैज्ञानिक असर क्या हो सकता है।
पहला पहलू है भाषा का चयन—जो शब्द आप इस्तेमाल करते हैं, वही आपके विचारों की शक्ति बनते हैं। दूसरा है समुदायिक प्रतिक्रिया, क्योंकि ऐसी बातें अक्सर एक समूह को अलग‑थलग कर देती हैं और तनाव बढ़ाती हैं। तीसरा है कानूनी पहलू, जहाँ भारतीय दंड संहिता (IPC) के सेक्शन 153A, 295A आदि नफ़रत भासण पर सजा तय करते हैं। अगर आप अनजाने में इन नियमों का उल्लंघन कर देते हैं तो जुर्माना या जेल हो सकता है।
सबसे पहला कदम है सोच‑समझ कर लिखना. किसी भी पोस्ट या टिप्पणी से पहले अपने शब्दों का मूल्यांकन करें—क्या यह किसी को चोट पहुँचा सकता है? दूसरा, जब आप सोशल मीडिया पर कोई विवाद देखेंगे तो तुरंत प्रतिक्रिया देने की बजाय ठंडा दिमाग रखें और सत्यापन करें। तीसरा, अगर आप किसी समाचार साइट जैसे समाचार दृष्टी पढ़ते हैं, तो स्रोतों की भरोसेमंदता जांचें; अक्सर गलत जानकारी नफ़रत भासण को बढ़ावा देती है। अंत में, अगर आपको कोई पोस्ट ग़लत या अपमानजनक लगे, तो उसे रिपोर्ट करें—बहुत सारे प्लेटफ़ॉर्म अब ऐसी सामग्री हटाने के लिए तेज़ कदम उठाते हैं।
समाज में बदलाव लाना आसान नहीं, पर व्यक्तिगत स्तर पर छोटी‑छोटी कोशिशें बड़े फर्क ला सकती हैं। जब आप किसी को सम्मानपूर्वक सुनते और बोलते हैं, तो वह संदेश आगे भी फैला जाएगा। याद रखें, शब्दों की ताक़त बड़ी होती है—इसे सही दिशा में इस्तेमाल करें।
अगर आप नफ़रत भासण से जुड़े कानून या सामाजिक असर के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो समाचार दृष्टी पर संबंधित लेख पढ़ सकते हैं। यहाँ आपको अपडेटेड जानकारी, विशेषज्ञ राय और केस स्टडीज़ मिलेंगी जो आपके विचारों को संतुलित करने में मदद करेगी।
अंत में यही कहना चाहूँगा—हर व्यक्ति अपनी भाषा से समाज को बेहतर बना सकता है या बिगाड़ सकता है। चुनिए वह रास्ता जिससे सभी के लिए एक सुरक्षित, सम्मानजनक और खुशहाल माहौल बन सके।
महाराष्ट्र पुलिस ने भाजपा विधायक नितेश राणे के खिलाफ नफ़रत भरे भाषण के लिए दो एफआईआर दर्ज किए हैं। ये एफआईआर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित नफ़रत भरे भाषण देने के आरोप में दर्ज किए गए हैं। शिकायतें अहमदनगर, छत्रपति संभाजीनगर और जलगांव में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद की गई थीं। एआईएमआईएम ने राणे की गिरफ्तारी की मांग की है।
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