झारखंड विधानसभा में विपक्ष के वॉकआउट के बीच हेमंत सोरेन ने जीता विश्वास मत 9 जुल॰,2024

हेमंत सोरेन ने विपक्ष के खिलाफ जीता विश्वास मत

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में राज्य विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त कर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया। यह महत्वपूर्ण कदम 4 जुलाई को उनके 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद आया। उनके इस विश्वास मत को 76 सदस्यों में से 45 मत मिले, जो उनकी राजनीतिक स्थिति को मज़बूत करता है।

विश्वास मत पास होने से पहले, विधानसभा में भाजपा समेत विपक्षी दलों ने विरोध करते हुए वॉकआउट किया। हेमंत सोरेन ने इस अवसर का उपयोग करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला और कहा कि 'शक्ति के नशे में चूर में लोग' उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जनता के समर्थन से वे जेल से बाहर आए।

हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनने का सफर

हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2019 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली थी। उस समय उनकी पार्टी ने कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटों के साथ बहुमत प्राप्त किया था। हालांकि, इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके रिज़ाइन के बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने पांच महीनों के लिए मुख्यमंत्री पद संभाला।

जेल से रिहाई के बाद वापस सत्ता में

हेमंत सोरेन को लगभग पांच महीनों की जेल अवधि के बाद 28 जून को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। जेल से रिहा होने के बाद, हेमंत सोरेन ने धैर्य और जोश के साथ अपनी राजनीति को फिर से संगठित किया। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी विधानसभा में विश्वास मत पास करना, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया।

उन्होंने अपने भाषण में भाजपा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि 'अहंकारी लोग' उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे जनता के समर्थन से वापस आए।

विशेष सत्र में हुआ विश्वास मत

विशेष सत्र में हुआ विश्वास मत

झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया जिसमें विश्वास मत पर वोटिंग हुई। इस सत्र में हेमंत सोरेन को 45 मत मिले और विपक्ष के 31 सदस्य वॉकआउट कर गए।

विश्वास मत पास करना हेमंत सोरेन के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण था। यह न केवल उनकी सरकार की स्थिरता को प्रदर्शित करता है बल्कि उनके प्रति जनता के समर्थन को भी उजागर करता है। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम था, जिससे उनका राजनीतिक करियर और अधिक मजबूत हुआ है।

अब तक की राजनीतिक यात्रा में हेमंत सोरेन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उनका सामर्थ्य और धैर्य उन्हें सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उनका मानना है कि जनता का समर्थन ही उनकी ताकत है और वे हमेशा जनता के हित में काम करते रहेंगे।

टिप्पणि
Gaurav Mishra
Gaurav Mishra 11 जुल॰ 2024

विश्वास मत पास हुआ, अब क्या?

Praveen S
Praveen S 12 जुल॰ 2024

इस विश्वास मत के पीछे केवल राजनीतिक गणित नहीं, बल्कि एक गहरी जनतांत्रिक इच्छा छिपी है... जब एक व्यक्ति जेल से बाहर आता है, और फिर भी लोग उसे समर्थन देते हैं-यह तो सिर्फ एक नेता की जीत नहीं, बल्कि एक आशा की जीत है। क्या हम इसे भूल सकते हैं कि जनता कभी भी अपने नेताओं को बर्बादी में नहीं छोड़ती, जब वे उनके साथ खड़े होते हैं?

mohit malhotra
mohit malhotra 13 जुल॰ 2024

इस घटना में राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ संवैधानिक लचीलापन का भी प्रमाण मिलता है। विपक्ष के वॉकआउट का अर्थ है कि वे निर्णय लेने की प्रक्रिया से असहमत थे, लेकिन संसदीय ढांचे के भीतर रहकर मतदान किया गया-यह एक लोकतांत्रिक विजय है। इसके बाद नीति निर्माण में सहयोग की ओर बढ़ना आवश्यक है, न कि आरोपों के खेल में फंसना।

Vikash Gupta
Vikash Gupta 15 जुल॰ 2024

जेल से बाहर आया... फिर भी लोगों ने उसे चुना। 🌅 ये तो बस राजनीति नहीं, ये तो एक दिल की कहानी है। किसी ने उसे टूटा हुआ समझा, लेकिन जनता ने उसे जीवंत पाया। अब वो जिस तरह से बोल रहे हैं-'अहंकारी लोग'-वो बस अपनी आत्मा का आह्वान कर रहे हैं। भाजपा को अपने अहं को थोड़ा नीचे रखना चाहिए, नहीं तो आगे और भी ज्यादा चीजें टूटेंगी।

Deepak Vishwkarma
Deepak Vishwkarma 17 जुल॰ 2024

विपक्ष वॉकआउट कर रहा है? ये तो बस अपनी नाकामयाबी को छिपाने की कोशिश है। हेमंत सोरेन ने जनता का समर्थन जीता, जो आपकी नीतियों से बेहतर है। अब बस चुपचाप बैठ जाओ और समर्थन दो।

Arun Kumar
Arun Kumar 18 जुल॰ 2024

अरे भाई, ये तो बस एक और राजनीतिक ड्रामा है। जेल से बाहर आया, विश्वास मत पास किया, फिर क्या? अगले महीने एक नया स्कैंडल आ जाएगा। लेकिन अभी तो बस चिल करो, चाय पीओ, और देखो कि कौन अगला चिपकता है। 😎

Aayush Bhardwaj
Aayush Bhardwaj 19 जुल॰ 2024

इतना बड़ा विश्वास मत और विपक्ष वॉकआउट कर रहा है? ये तो बस डर रहे हैं कि अब लोग उनकी बात नहीं सुनेंगे। बेवकूफ लोग हो गए हो तुम सब।

Anurag goswami
Anurag goswami 19 जुल॰ 2024

इस विश्वास मत के बाद अगर सरकार जनता के लिए वास्तविक बदलाव लाए, तो ये बस एक शुरुआत है। बस याद रखें-पावर नहीं, प्रतिबद्धता ही लोगों को रोकती है।

Saksham Singh
Saksham Singh 21 जुल॰ 2024

हेमंत सोरेन का जेल से बाहर आना और फिर विश्वास मत जीतना तो एक बहुत ही शानदार नाटक है-पर ये सब तो बस एक लंबी लिस्ट के अंतिम बिंदु हैं। क्या आपने कभी सोचा कि इस विश्वास मत के बाद जो नीतियां बनेंगी, वो किसके लिए होंगी? क्या वो आदिवासी समुदायों के लिए होंगी या फिर केवल राजनीतिक अधिकारियों के लिए? क्या जेल में बिताया गया समय उन्हें वास्तविक जनता के साथ जुड़ने की क्षमता दे पाया? या फिर ये सब सिर्फ एक बड़ा नाटक है जिसका अंत अभी बाकी है? और अगर आप ये सब सोच रहे हैं, तो आपको अपने घर के बाहर भी देखना चाहिए-क्योंकि जहां विधानसभा में विश्वास मत हो रहा है, वहीं गांवों में पानी की टंकी खाली हैं।

Ashish Bajwal
Ashish Bajwal 21 जुल॰ 2024

yrr ye sab kuchh toh chal raha hai... lekin kya humein ek din ke liye bhi sochna chahiye ki log jo jail se nikle hai unki zindagi mein kya hua? kya unke bachche bhi kuchh khaate hai? kya unki biwi ko bhi ek din ki chinta hai? ye sab bhi toh hai... bas ek vote ka game nahi hai yaar...

Biju k
Biju k 22 जुल॰ 2024

जेल से बाहर आया... और फिर भी जीत गया! 🙌 ये तो जीवन की सबसे बड़ी सीख है-अगर तुम्हारे दिल में आशा है, तो कोई भी जेल तुम्हें रोक नहीं सकता। अब आगे बढ़ो, और बदलाव लाओ! 💪🔥

Akshay Gulhane
Akshay Gulhane 23 जुल॰ 2024

विश्वास मत पास हुआ तो अच्छा लगा पर अब बात ये है कि ये सिर्फ एक विश्वास मत है या एक जनता की भावना का प्रतिबिंब? अगर ये भावना है तो उसे बरकरार रखना होगा... न कि एक नारे के रूप में भूल जाना।

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