क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे और मझोले उद्योग (SME) भी शेयर बाजार में अपनी जगह बना सकते हैं? भारत के दो बड़े एक्सचेंज‑ESX और NSE, दोनों ने SME प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया है। यहाँ हम सिर्फ़ शब्दों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के उदाहरणों के साथ बता रहे हैं कि NSE SME क्या है, इसका क्या फायदा है और आप इसे कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
NSE SME का पूरा नाम है "NSE Small and Medium Enterprises"। यह एक वैकल्पिक मार्केट है जहाँ छोटे‑मध्यम कंपनियां शेयर इश्यू कर पब्लिक से पैसे जुटा सकती हैं। बड़े‑बाजार की तरह, यहाँ भी लिक्विडिटी, ट्रेडिंग और रेगुलेशन होते हैं, मगर कंपनी का आकार और मार्केट कैपिटल ज़्यादा छोटा होता है। इसका मुख्य फायदा है कि इन कंपनियों को लिस्टिंग के लिए कम समय और कम लागत लगती है, इसलिए कई स्टार्ट‑अप और स्थानीय मैन्युफैक्चरर्स इस रास्ते को अपनाते हैं।
कंपनी की मार्केट कैपिटल आम तौर पर ₹5 करोड़ से ₹250 करोड़ के बीच होती है। लिस्टिंग के बाद, शेयरधारक आसानी से खरीद‑बेच कर सकते हैं, और कंपनी को अतिरिक्त फंड मिले तो वह आगे बढ़ सकती है – नई मशीन, विस्तार या टेक्नोलॉजी अपग्रेड के लिये।
अगर आप NSE SME में निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ सरल पॉइंट्स याद रखें:
सिर्फ़ लिस्टेड कंपनियों को नहीं, बल्कि उन कंपनियों को देखिए जो अभी IPO या फॉलो‑ऑन इश्यू की तैयारी में हैं। अक्सर SME IPO में शुरुआती निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है, पर साथ में रीस्क भी बढ़ जाता है। इसलिए, टाइम‑लाइन और इनवेस्टमेंट रिसर्च को गंभीरता से लें।
अंत में, याद रखें कि NSE SME का लक्ष्य छोटे उद्योगों को फंडिंग के साथ साथ सार्वजनिक विश्वास दिलाना है। अगर आप भी इन कंपनियों को अपना पोर्टफ़ोलियो में शामिल कर सकते हैं, तो आप न केवल संभावित रिटर्न कमा सकते हैं, बल्कि देश के छोटे‑बड़े व्यवसायों के विकास में भी मदद कर सकते हैं।
तो अगली बार जब आप शेयर मार्केट की नई खबर पढ़ें, तो ‘NSE SME’ टैग पर भी नज़र डालें। यहाँ रोज़ नए लिस्टिंग, प्राइसिंग अपडेट और मार्केट मूवमेंट्स आते रहते हैं, जो आपके इनवेस्टमेंट डिसीजन को तेज़ और सटीक बना सकते हैं।
Anondita Medicare ने NSE SME पर ₹145 के इश्यू प्राइस के मुकाबले ₹275.50 पर 90% प्रीमियम के साथ लिस्टिंग की। ₹69.5 करोड़ का यह शुद्ध फ्रेश इश्यू 300 गुना सब्सक्राइब हुआ। रिटेल 286.77x, NII 532.25x और QIB 61.4x रहे। कंपनी COBRA ब्रांड से जानी जाती है और 562 मिलियन वार्षिक क्षमता के साथ भारत व निर्यात बाजारों में मौजूद है। जुटाई रकम वर्किंग कैपिटल, मशीनरी और अधिग्रहण पर लगेगी।
और देखें