Anondita Medicare IPO: NSE SME पर 90% प्रीमियम के साथ धमाकेदार शुरुआत, 300 गुना बोली ने बनाया नया बेंचमार्क 2 सित॰,2025

90% प्रीमियम पर लिस्टिंग, 300 गुना मांग—SME बाज़ार में जबरदस्त पलटवार

पहले ही दिन 90% का प्रीमियम—यही सुर्खी है जिसने सोमवार को दलाल स्ट्रीट का मूड बदल दिया। Anondita Medicare IPO के शेयर NSE SME प्लेटफॉर्म पर ₹145 के इश्यू प्राइस के मुकाबले ₹275.50 पर सूचीबद्ध हुए। सब्सक्रिप्शन के दौरान 300 गुना तक बोली लग चुकी थी, लेकिन लिस्टिंग ने ग्रे मार्केट के अनुमान भी पीछे छोड़ दिए।

यह IPO पूरी तरह फ्रेश इश्यू था—₹69.5 करोड़ जुटाने के लिए 48 लाख नए शेयर जारी किए गए। प्राइस बैंड ₹137–₹145 तय हुआ था और लॉट साइज 1,000 शेयर रखा गया, जो SME इश्यू में सामान्य है। निवेशकों का जोश सभी श्रेणियों में दिखा: रिटेल 286.77x, नॉन-इंस्टीट्यूशनल 532.25x और QIB 61.4x। इतनी भारी मांग के बाद आवंटन की संभावना बहुत कम रही होगी, इसलिए लिस्टिंग पर प्रीमियम की भूख स्वाभाविक दिखी।

लिस्टिंग से पहले अनलिस्टेड मार्केट में शेयर करीब ₹234 पर हाथ बदल रहे थे—यानी लगभग ₹89 का GMP (करीब 61%)। लेकिन असल ट्रेडिंग में प्राइस ने 90% की ऊपरी सीमा छू ली, जिसे NSE SME लिस्टिंग के लिए उसी दिन के अधिकतम प्रीमियम कैप के तौर पर लगाया जाता है। साफ है, ग्रे मार्केट संकेत देता है, दिशा तय नहीं करता; असली मांग-आपूर्ति स्क्रीन पर ही तय होती है।

  • इश्यू साइज़: ₹69.5 करोड़ (100% फ्रेश इश्यू)
  • प्राइस बैंड: ₹137–₹145 प्रति शेयर
  • लिस्टिंग प्राइस: ₹275.50 (इश्यू प्राइस पर ~90% प्रीमियम)
  • सब्सक्रिप्शन: कुल ~300x | रिटेल 286.77x | NII 532.25x | QIB 61.4x
  • लॉट साइज: 1,000 शेयर
  • एंकर बुक: ₹19.58 करोड़ (21 अगस्त 2025), 13.5 लाख शेयर

एंकर निवेशकों की एंट्री भी भरोसे का संकेत बनी। SEBI के नियमों के मुताबिक एंकर हिस्से पर चरणबद्ध लॉक-इन रहता है, इसलिए शुरुआती दिनों में फ्री-फ्लोट सीमित होता है—यह भी लिस्टिंग पर तेज़ी का एक कारण होता है।

कंपनी 1990 से सेक्शुअल वेलनेस सेगमेंट में है और उसका फ्लैगशिप ब्रांड COBRA भारतीय बाजार में पहचान रखता है। नोएडा की बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट 562 मिलियन कंडोम सालाना बनाने की इंस्टॉल्ड क्षमता बताती है। आधुनिक टेस्टिंग और क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम के साथ कंपनी घरेलू बाजार के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य-पूर्व में निर्यात करती है।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कंपनी ने केवल मेल कंडोम तक खुद को सीमित नहीं रखा। उसने फीमेल कंडोम और अन्य वेलनेस उत्पाद जोड़कर पोर्टफोलियो को चौड़ा किया है। ई-कॉमर्स, रिटेल और होलसेल—तीनों चैनलों में वितरण फैला है। सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों और कुछ गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम करने से संस्थागत ऑर्डर बेस मजबूत रहता है और ब्रांड की विश्वसनीयता भी बनती है।

IPO से जुटाई रकम का उपयोग साफ-साफ बताया गया है—करीब ₹35 करोड़ वर्किंग कैपिटल, ₹6 करोड़ नई मशीनरी और इक्विपमेंट पर, और लगभग ₹20 करोड़ संभावित अधिग्रहणों तथा सामान्य कॉरपोरेट कामों के लिए। यह संकेत देता है कि फोकस केवल क्षमता बढ़ाने पर नहीं, बल्कि वितरण और इन्वेंट्री पर भी है ताकि मांग को तुरंत कैश में बदला जा सके।

बिजनेस, बाज़ार और रिस्क: लिस्टिंग गेन से आगे की असली कहानी

सेक्शुअल वेलनेस कैटेगरी में ग्रोथ की असल ड्राइवर्स क्या हैं? शहरीकरण, जागरूकता अभियान, ई-कॉमर्स की पहुंच और युवाओं का बढ़ता खर्च—ये फैक्टर मांग को स्थिर बनाते हैं। महामारी के बाद हेल्थ-हाइजीन की आदतें मजबूत हुईं, जिससे ब्रांडेड उत्पादों की ओर झुकाव बढ़ा। सरकारी वितरण कार्यक्रम और संस्थागत टेंडर भी वॉल्यूम के लिए अहम स्तंभ हैं।

लेकिन यह मैदान खाली नहीं है। बड़े ब्रांड—जैसे Durex और Manforce—मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में मजबूत हैं। सरकारी टेंडर में कीमत और क्वालिटी दोनों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। ऐसे में निर्माण दक्षता, रॉ मटेरियल की कुशल खरीद और डिलीवरी की टाइमिंग ही मार्जिन बचाते हैं।

कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव एक बड़ा जोखिम है। नेचुरल लेटेक्स के दाम ग्लोबल सप्लाई और मौसम पर निर्भर करते हैं। कीमतें चढ़ीं तो मार्जिन पर दबाव आता है, खासकर फिक्स्ड-प्राइस टेंडर में। एक्सपोर्ट से राजस्व आता है तो करेंसी मूवमेंट का असर भी पड़ेगा—रुपया कमजोर हुआ तो फायदा, मजबूत हुआ तो मार्जिन घट सकता है।

क्वालिटी और रेगुलेशन दूसरी बड़ी कसौटी हैं। इस सेगमेंट में सर्टिफिकेशन, बैच टेस्टिंग और ट्रेसबिलिटी को लेकर सख्ती रहती है। किसी भी गैर-अनुपालन का असर सीधे टेंडर एलिजिबिलिटी और ब्रांड ट्रस्ट पर पड़ता है। कंपनी का दावा है कि वह ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के मुताबिक सर्टिफिकेशन रखती है, इसलिए निर्यात और संस्थागत बिक्री संभव हो पाती है।

IPO के बाद फंड का उपयोग कंपनी की रणनीति समझाता है। वर्किंग कैपिटल पर बड़ा हिस्सा रखना बताता है कि कंपनी तेजी से ऑर्डर टर्नअाउंड चाहती है—कच्चा माल, तैयार माल और रिसीवेबल्स का चक्र छोटा रखने से बिक्री बढ़ने के साथ कैश फ्लो संभलता है। नई मशीनरी पर खर्च क्षमता, ऑटोमेशन और क्वालिटी में सुधार की ओर इशारा करता है। संभावित अधिग्रहण भविष्य में प्रोडक्ट मिक्स या नए बाजारों में एंट्री का रास्ता खोल सकते हैं।

SME लिस्टिंग्स की एक खासियत—वोलैटिलिटी। फ्री-फ्लोट कम, निवेशक आधार सीमित और सर्किट फिल्टर अलग होते हैं, इसलिए शुरुआती दिनों में मूवमेंट तेज देखे जा सकते हैं। बड़े ओवरसब्सक्रिप्शन के बाद रिटेल को कम आवंटन मिलता है, नतीजा—लिस्टिंग पर डिमांड और भी तंग हो जाती है। लेकिन जैसे-जैसे शेयर हाथ बदलते हैं, मुनाफावसूली भी आ सकती है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम पर एक नोट—यह अनौपचारिक है और किसी एक्सचेंज या रेगुलेटर द्वारा मान्यता प्राप्त संकेतक नहीं। GMP सेंटिमेंट दिखाता है, वैल्यूएशन नहीं। लिस्टिंग के बाद असली टेस्ट कंपनी के नतीजों और एग्जीक्यूशन पर होता है—ऑर्डर बुक, क्षमता उपयोग, सकल मार्जिन, और नकदी प्रवाह जैसे नंबर अगले कुछ क्वार्टर में तस्वीर साफ करेंगे।

निवेशक किन संकेतों पर नजर रखें? एक—राजस्व और मार्जिन की ट्रैक रिकॉर्ड और उनका स्थायित्व। दो—टेंडर-आधारित बिजनेस का अनुपात और प्राइसिंग पावर। तीन—रॉ मटेरियल कॉस्ट पास-थ्रू की क्षमता। चार—नए उत्पाद (जैसे फीमेल कंडोम) का योगदान और ई-कॉमर्स से आने वाली बिक्री। पांच—कलेक्शन साइकल और वर्किंग कैपिटल टर्न।

एंकर लॉक-इन के चरण खत्म होने के आसपास संस्थागत हिस्सेदारों की रणनीति पर भी बाजार अक्सर प्रतिक्रिया देता है। इसलिए उस समय वॉल्यूम और प्राइस एक्शन तेज हो सकते हैं। यह सामान्य है और SME शेयरों में कई बार देखा गया है।

कंपनी के लिए आगे की चुनौती ब्रांड को अगले स्तर पर ले जाने की है। सेक्शुअल वेलनेस में कैटेगरी एजुकेशन, प्रोडक्ट इनोवेशन और भरोसेमंद क्वालिटी सबसे बड़ा हथियार हैं। भारत जैसे बड़े और विविध बाजार में टियर-2/3 शहरों तक कारगर डिस्ट्रीब्यूशन बनाना और डिजिटल पर सही संदेश देना—यही लंबी पारी तय करेगा।

मौजूदा लिस्टिंग प्रीमियम भावनाओं का निचोड़ है—उच्च ओवरसब्सक्रिप्शन, सीमित फ्री-फ्लोट और भरोसेमंद ब्रांड कहानी। लेकिन असल वैल्यूएशन की बहस नतीजों के साथ होगी। फिलहाल इतना साफ है कि Anondita Medicare ने SME बाज़ार में वो ऊर्जा वापस लाई है, जो पिछले कुछ महीनों में कई इश्यूज़ के मिस्ड अपेक्षाओं के बाद कम दिख रही थी।

टिप्पणि
Piyush Kumar
Piyush Kumar 3 सित॰ 2025

ये IPO बस एक शुरुआत है-असली जीत तो अगले चार क्वार्टर में होगी जब देखेंगे कि कंपनी ने जुटाए गए पैसे से कितना असली वैल्यू बनाया। ये 90% प्रीमियम तो भावनाओं का जश्न है, लेकिन अगर वर्किंग कैपिटल का इस्तेमाल सही तरीके से हुआ तो ये कंपनी भारत की सेक्शुअल हेल्थ रेवोल्यूशन की नींव बन सकती है।

Kirandeep Bhullar
Kirandeep Bhullar 4 सित॰ 2025

अरे भाई, 300x सब्सक्रिप्शन? ये सब तो बस एक बड़ा ग्रे मार्केट फेक है। रिटेल निवेशक तो बस इतना जानते हैं कि इसका नाम ‘कंडोम’ है, बाकी सब अंधेरा। इसके बाद जब रिजल्ट्स आएंगे और पता चलेगा कि मार्जिन घट रहे हैं, तो ये शेयर दोबारा ₹150 पर आ जाएंगे। तुम देखोगा।

DIVYA JAGADISH
DIVYA JAGADISH 5 सित॰ 2025

फीमेल कंडोम लॉन्च करना बड़ी बात है। भारत में इसकी डिमांड बढ़ रही है।

Lakshmi Rajeswari
Lakshmi Rajeswari 5 सित॰ 2025

अरे ये सब बस एक बड़ा सीरीज़ है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के नाम पर चल रहा है! देखोगे, अगले महीने ये कंपनी एक बड़े फार्मा कॉर्पोरेट के साथ फ्लैगशिप ब्रांड COBRA को बेच देगी-और फिर सब बदल जाएगा। एंकर इन्वेस्टर्स के नाम क्या थे? क्या वो किसी फैमिली ट्रस्ट से जुड़े हैं? ये सब राज़ हैं।

मैंने तो अपने दोस्त से पूछा-वो बोला कि इसके बाद अगले इश्यू में सरकार लिस्टिंग के बाद फ्री-फ्लोट बढ़ाने का फैसला करेगी, ताकि बाजार को शांत किया जा सके। लेकिन ये तो सिर्फ बड़ी चाल है।

मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी थी कि नेचुरल लेटेक्स की कीमतें अगले 6 महीने में 40% बढ़ सकती हैं-क्या ये कंपनी इसके लिए हेज कर रही है? नहीं न? तो फिर ये सब बस एक बड़ा गेम है।

और जो लोग ये कह रहे हैं कि ये ब्रांड ट्रस्ट है, वो नहीं जानते कि बाजार में असली ब्रांड्स के लिए जो बड़े एडवरटाइज़मेंट बजट हैं, वो यहां कहां हैं? कंपनी ने अपने ब्रांड को बढ़ाने के लिए क्या खर्च किया? बताओ।

मैंने अपने बाप को पूछा, जो 30 साल से ड्रग्स बेचते हैं-वो बोले, ‘लड़की, जो चीज़ छिपाई जाती है, उसके पीछे बड़ा खेल होता है।’

अब तो सब बोल रहे हैं कि ये ‘सेक्शुअल वेलनेस’ है-लेकिन असल में ये एक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है जो अभी तक सरकारी टेंडर्स पर निर्भर है।

मैं नहीं कह रहा कि ये गलत है, लेकिन ये जो भावनात्मक बातें हैं, वो बस धुआं हैं।

अगर ये कंपनी असली इनोवेशन चाहती है, तो फीमेल कंडोम के लिए एक अलग ब्रांड बनाए, न कि COBRA के नाम पर।

और ये जो एंकर इन्वेस्टर्स हैं, उनका लॉक-इन खत्म होने के बाद जब शेयर बेचने लगेंगे, तो देखोगे कि ये शेयर कितना गिरता है।

मैंने अपना पूरा निवेश इसमें किया है-लेकिन अगर ये गिरे तो मैं जानती हूं कि क्या गलत हुआ।

Rin In
Rin In 7 सित॰ 2025

भाई ये तो जमकर लग रहा है! 300x सब्सक्रिप्शन? मैंने तो बस एक लॉट लगाया था, और आज तो मेरा निवेश तीन गुना हो गया! ये इश्यू तो बस भारत के युवाओं की नई ऊर्जा का प्रतीक है। जिसने भी इसमें निवेश किया, वो भाग्यशाली है। अब बस इंतजार है कि ये शेयर ₹400 पर कैसे जाता है! 💪🔥

Vishal Kalawatia
Vishal Kalawatia 8 सित॰ 2025

अरे ये सब बस एक बड़ा वेस्टर्न कंस्पिरेसी है! अमेरिका और यूरोप ने भारत के युवाओं के लिए ये ‘सेक्शुअल वेलनेस’ का ब्रांड बनाया है, ताकि हम अपने पैसे उनके ब्रांड्स पर खर्च करें! ये COBRA नाम क्यों है? क्या ये एक जासूसी नाम है? और फीमेल कंडोम? ये तो भारतीय महिलाओं के खिलाफ एक जाल है! भारतीय बाजार में भारतीय ब्रांड होने चाहिए, न कि इन विदेशी फैक्टर्स के नाम पर!

shagunthala ravi
shagunthala ravi 9 सित॰ 2025

ये बहुत अच्छी खबर है। एक कंपनी जो सेक्शुअल हेल्थ को नॉर्मलाइज़ कर रही है, और इसमें फीमेल कंडोम जैसे उत्पाद शामिल कर रही है-ये बहुत जरूरी है। भारत में अभी भी बहुत सारे लोग इस बारे में शर्मिंदा महसूस करते हैं। इस तरह के ब्रांड्स को सपोर्ट करना हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम इसे नॉर्मल बनाएंगे, तो अगली पीढ़ी के लिए ये बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।

Urvashi Dutta
Urvashi Dutta 10 सित॰ 2025

इस IPO को देखकर मुझे एक बात याद आई-1990 के दशक में जब पहली बार ब्रांडेड कंडोम्स भारत में आए थे, तो लोग उन्हें अजीब लगते थे, अब ये एक सामान्य चीज़ बन गए हैं। ये कंपनी ने सिर्फ एक उत्पाद नहीं बेचा, बल्कि एक सोच को बदला। और अब ये शेयर बाजार में 90% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ है-ये बताता है कि भारतीय निवेशक अब सिर्फ टेक या फिनटेक में ही नहीं, बल्कि हेल्थ और डेली लाइफ के उत्पादों में भी भरोसा करने लगे हैं। ये एक छोटा सा कदम है, लेकिन इसका असर दशकों तक रहेगा।

Jai Ram
Jai Ram 12 सित॰ 2025

एंकर इन्वेस्टर्स ने ₹19.58 करोड़ का निवेश किया है, जो बहुत बड़ी बात है। लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इनमें से कितने हिस्से सार्वजनिक निवेशकों के लिए रिजर्व किए गए थे। अगर बहुत कम हिस्सा रिटेल के लिए रहा है, तो ये लिस्टिंग प्रीमियम तो बस एक फिल्टर है। असली टेस्ट तो अगले फाइनेंशियल रिजल्ट्स में होगा।

मैंने इसका फाइनेंशियल रिपोर्ट देखा-कंपनी का नेट प्रॉफिट मार्जिन 18% है, जो सेक्शुअल वेलनेस सेक्टर में बहुत अच्छा है। और वर्किंग कैपिटल टर्नओवर 4.5x है, जो बताता है कि वो बहुत एफिशिएंट ऑपरेट कर रही है। ये नंबर असली बात हैं।

Rinku Kumar
Rinku Kumar 13 सित॰ 2025

अच्छा तो अब हम सब एक ब्रांडेड कंडोम के IPO के लिए तालियां बजा रहे हैं? क्या ये भारत का अगला ग्लोबल चैम्पियन है? या फिर हम सिर्फ इसलिए जश्न मना रहे हैं कि इसका नाम ‘COBRA’ है? बड़ी बात है-एक कंपनी जो बाजार में लिस्ट हुई, और जिसका उत्पाद एक आम आदमी के लिए एक बेसिक हेल्थ प्रोडक्ट है। अब ये बात बड़ी है कि ये शेयर बाजार में लिस्ट हुआ, न कि ये कि ये एक नया ब्रांड बन गया।

Rahul Alandkar
Rahul Alandkar 14 सित॰ 2025

मैं इस IPO में निवेश नहीं किया, लेकिन इसकी लिस्टिंग को देखकर बहुत अच्छा लगा। एक ऐसी कंपनी जो एक सेंसिटिव सेक्टर में काम कर रही है, और उसका ब्रांड बन रहा है-ये भारत के लिए एक अच्छा संकेत है। आशा है कि ये लंबे समय तक टिकेगी।

Srinivas Goteti
Srinivas Goteti 14 सित॰ 2025

मैंने इस कंपनी के बारे में पहले नहीं सुना था, लेकिन इसके फैक्टरी की क्षमता-562 मिलियन कंडोम्स सालाना-ये तो बड़ी बात है। ये भारत की एक छोटी सी कंपनी है, लेकिन ये दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में निर्यात करती है। ये वाकई एक ग्लोबल ब्रांड बनने की राह पर है।

कंपनी का फोकस वर्किंग कैपिटल और अधिग्रहण पर है, जो बहुत स्मार्ट है। बस अब देखना होगा कि वो अधिग्रहण किस तरह करेगी।

abhinav anand
abhinav anand 16 सित॰ 2025

इस बारे में सोचना अच्छा है कि एक ऐसी कंपनी जो ब्रांडेड कंडोम बनाती है, उसका निवेश बाजार में इतना ज्यादा क्यों हुआ? क्या ये सिर्फ एक ट्रेंड है? या फिर ये भारत के नए आर्थिक विकास का एक छोटा सा दर्पण है? मैं नहीं जानता, लेकिन ये बात अच्छी लगी।

Amal Kiran
Amal Kiran 16 सित॰ 2025

अरे ये सब बकवास है। एक कंडोम के लिए 90% प्रीमियम? भाई, ये तो बस एक निवेशकों का बेवकूफी है। जब तक ये कंपनी अपना फिनेंशियल रिपोर्ट नहीं दिखाएगी, तब तक मैं इसमें एक रुपया भी नहीं लगाऊंगा।

michel john
michel john 18 सित॰ 2025

ये सब एक बड़ा फ्रेंच फैक्टरी कॉन्स्पिरेसी है! अमेरिका ने भारत को ये ब्रांड दिया है ताकि हम अपने पैसे उनके नाम पर खर्च करें! और फीमेल कंडोम? ये तो भारतीय महिलाओं के खिलाफ एक जाल है! भारत के लिए भारतीय ब्रांड होना चाहिए! COBRA? ये नाम क्यों? ये तो एक जासूसी नाम है! अगर ये असली भारतीय कंपनी है तो उसका नाम ‘भारतीय सुरक्षा’ होना चाहिए!

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