जब U.S. Department of State ने 19 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय छात्र वीज़ा अपॉइंटमेंट फिर से शुरू किए, तो साथ में नया सोशल मीडिया सर्विलांस नियम आया, जिसने छात्रों को घबराहट में डाल दिया। इस घोषणा को वही विभाग ने 18 जून को जारी किए गए प्रेस रिलीज़ में बताया, जहाँ बताया गया कि सभी F, M और J वीज़ा आवेदकों को अपने सभी सोशल‑मीडिया प्रोफ़ाइल को सार्वजनिक करना होगा और पिछले पाँच वर्षों के यूज़रनेम लिखने होंगे।
आगे की प्रक्रिया में, यदि कोई आवेदक जानकारी नहीं देता तो वीज़ा निरस्त हो सकता है और भविष्य में फिर से आवेदन करने की भी अनुमति नहीं मिल सकती।
सोशल मीडिया पहचान देने की माँग पहली बार 2019 में कुछ आप्रवासी वीज़ा फॉर्म में देखी गई थी, लेकिन सार्वजनिक सेटिंग को कंडीशन बनाना नई बात है। पिछले साल वसंत में कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रो‑पैलिस्टीन विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद U.S. Department of Homeland Security ने इस दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत दिया।
विज़ा प्रक्रिया का यह बदलाव विज़ा अपॉइंटमेंट पुनः शुरूसंयुक्त राज्य अमेरिका के साथ आया, जिससे छात्र सिर्फ फ़ॉर्म भरते नहीं, बल्कि अपने ऑनलाइन मौजूदगी का पूरा बायोमैट्रिक भी प्रस्तुत करने के लिए मजबूर हो गए।
न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार, आवेदकों को DS‑160 फॉर्म में पाँच साल की सभी सोशल‑मीडिया यूज़रनेम लिखनी होंगी। फिर कांसुलर अधिकारी उन्हें सार्वजनिक सेटिंग पर बदलने को कहेंगे। यदि प्रोफ़ाइल निजी रहती है, तो केस को सेक्शन 221(g) के तहत अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा, जिससे आवेदक को फिर से सार्वजनिक प्रोफ़ाइल बनाकर नई जाँच की अनुमति लेनी पड़ेगी।
यह नियम न केवल नए बल्कि मौजूदा वीज़ा धारकों पर भी लागू हो सकता है, क्योंकि लूप में ‘Catch and Revoke’ जैसे एआई‑आधारित प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनका लक्ष्य सोशल‑मीडिया डेटा के आधार पर वीज़ा रद्द करना है।
Carlos Burgos, इमीग्रेशन वकील, Burgos & Van Browne Law Firm के अनुसार "Department of Homeland Security के पास इस समीक्षा में सम्पूर्ण स्वतंत्रता है"। उन्होंने कहा, "सामाजिक मीडिया की निगरानी से छात्र अब डरते‑डरते बोलते हैं, क्योंकि उनका शैक्षणिक भविष्य इस पर निर्भर हो सकता है।"
दूसरी ओर, Electronic Frontier Foundation (EFF) ने कहा कि इस तरह की सर्विलांस से न सिर्फ निज़ी जीवन का उल्लंघन होता है, बल्कि सुरक्षा संबंधी कोई ठोस प्रमाण नहीं दिखा। उन्होंने एक रिपोर्ट में बताया कि पिछले कई सालों में सोशल‑मीडिया स्कैनिंग ने कोई गंभीर आतंकवादी खतरा नहीं पकड़ा।
कुल मिलाकर, इस नीति से प्रोसेसिंग समय में वृद्धि, रिफ़्यूज को बढ़ावा और छात्रों में मानसिक तनाव की आशंका है। एक सर्वे के अनुसार, 78 % अंतरराष्ट्रीय छात्र अब वीज़ा प्रक्रिया को "सभी‑सामान्य नहीं" मानते हैं।
शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रिया सिंह, जो मियामी में स्थित एक विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं, का कहना है कि "छात्रों को विदेश में पढ़ाई के सपने को छोड़ना नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन नई नीति उन्हें उनके सामाजिक जुड़ाव से रोक सकती है।"
पर्यवेक्षक अनुमान लगाते हैं कि आने वाले महीनों में कई विश्वविद्यालयों में प्रवेश में गिरावट देखी जा सकती है, खासकर उन संस्थानों में जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों का बड़ा प्रतिशत रखते हैं। यदि एफ़एफ और अन्य सिविल‑लिबर्टी समूहों ने बंधनात्मक साक्ष्य पेश कर नीति को चुनौती नहीं दी, तो इस नियम को वैधानिक रूप से जारी रखने की संभावना है।
संयुक्त राज्य सरकार ने कहा है कि वीज़ा "ऐक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं"। किन्तु मानव अधिकारों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अभिव्यक्तिक मुक्तियों को अधिकार के रूप में मानना चाहिए, न कि बोनस के रूप में।
यह नियम F (अकादमिक छात्र), M (व्यावसायिक छात्र) और J (एक्सचेंज विज़िटर) सभी गैर‑आप्रवासी वीज़ा पर लागू होता है, इसलिए लगभग हर अंतरराष्ट्रीय छात्र और शोधकर्ता प्रभावित होते हैं।
कांसुलर अधिकारी केस को सेक्शन 221(g) के तहत अस्थायी रूप से रोक देंगे और ग्राहक को प्रोफ़ाइल सार्वजनिक करने के बाद फिर से जाँच करने को कहेंगे। इससे वीज़ा मंजूरी में कई हफ़्तों की देरी हो सकती है।
अधिकारी कहते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, खासकर प्रो‑पैलस्टीन प्रदर्शन और संभावित आतंकवादी जुड़ाव की जांच के लिए, लेकिन आलोचक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अति‑सुरक्षा मानते हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि उच्च अंतरराष्ट्रीय छात्र दर वाले विश्वविद्यालयों में एप्लिकेशन में 10‑15 % की कमी देखी जा सकती है, क्योंकि कई छात्र अब प्रवेश प्रक्रिया को जोखिमभरा समझते हैं।
सिविल‑लिबर्टी संगठनों, जैसे EFF, ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर अदालत में याचिकाएँ दायर करने की बात कही है। अभी तक कोई आधिकारिक अदालती निर्णय नहीं आया है।
सोशल मीडिया जांच से छात्र बहुत तनाव में हैं।