अमेरिका ने छात्र वीज़ा में सोशल मीडिया जांच अनिवार्य, अंतरराष्ट्रीय छात्रों में चिंताएँ 19 अक्तू॰,2025

जब U.S. Department of State ने 19 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय छात्र वीज़ा अपॉइंटमेंट फिर से शुरू किए, तो साथ में नया सोशल मीडिया सर्विलांस नियम आया, जिसने छात्रों को घबराहट में डाल दिया। इस घोषणा को वही विभाग ने 18 जून को जारी किए गए प्रेस रिलीज़ में बताया, जहाँ बताया गया कि सभी F, M और J वीज़ा आवेदकों को अपने सभी सोशल‑मीडिया प्रोफ़ाइल को सार्वजनिक करना होगा और पिछले पाँच वर्षों के यूज़रनेम लिखने होंगे।
आगे की प्रक्रिया में, यदि कोई आवेदक जानकारी नहीं देता तो वीज़ा निरस्त हो सकता है और भविष्य में फिर से आवेदन करने की भी अनुमति नहीं मिल सकती।

पृष्ठभूमि और नीति का इतिहास

सोशल मीडिया पहचान देने की माँग पहली बार 2019 में कुछ आप्रवासी वीज़ा फॉर्म में देखी गई थी, लेकिन सार्वजनिक सेटिंग को कंडीशन बनाना नई बात है। पिछले साल वसंत में कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रो‑पैलिस्टीन विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद U.S. Department of Homeland Security ने इस दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत दिया।

विज़ा प्रक्रिया का यह बदलाव विज़ा अपॉइंटमेंट पुनः शुरूसंयुक्त राज्य अमेरिका के साथ आया, जिससे छात्र सिर्फ फ़ॉर्म भरते नहीं, बल्कि अपने ऑनलाइन मौजूदगी का पूरा बायोमैट्रिक भी प्रस्तुत करने के लिए मजबूर हो गए।

नई नीति का विस्तृत विवरण

न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार, आवेदकों को DS‑160 फॉर्म में पाँच साल की सभी सोशल‑मीडिया यूज़रनेम लिखनी होंगी। फिर कांसुलर अधिकारी उन्हें सार्वजनिक सेटिंग पर बदलने को कहेंगे। यदि प्रोफ़ाइल निजी रहती है, तो केस को सेक्शन 221(g) के तहत अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा, जिससे आवेदक को फिर से सार्वजनिक प्रोफ़ाइल बनाकर नई जाँच की अनुमति लेनी पड़ेगी।

  • फॉर्म पर दर्ज किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिक‑टॉक आदि शामिल हैं।
  • अधिकारियों को ‘होस्टाइल एटिट्यूड’ वाले पोस्ट, एंटी‑सेमिटिक टिप्पणी या आतंकवादी समूहों के समर्थन की तलाश होगी।
  • आवेदक के राजनीतिक सक्रियता को भी स्क्रीन किया जाएगा, विशेषकर यदि वह यूएस में जारी रहने की संभावना रखता है।
  • प्राथमिकता वाले छात्रों के लिए नया दो‑स्तर त्वरित अपॉइंटमेंट सिस्टम लागू किया गया – 15 % या कम अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाले विश्वविद्यालयों के छात्रों को प्राथमिकता मिलेगी।

यह नियम न केवल नए बल्कि मौजूदा वीज़ा धारकों पर भी लागू हो सकता है, क्योंकि लूप में ‘Catch and Revoke’ जैसे एआई‑आधारित प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनका लक्ष्य सोशल‑मीडिया डेटा के आधार पर वीज़ा रद्द करना है।

प्रतिक्रियाएँ और प्रमुख आवाज़ें

Carlos Burgos, इमीग्रेशन वकील, Burgos & Van Browne Law Firm के अनुसार "Department of Homeland Security के पास इस समीक्षा में सम्पूर्ण स्वतंत्रता है"। उन्होंने कहा, "सामाजिक मीडिया की निगरानी से छात्र अब डरते‑डरते बोलते हैं, क्योंकि उनका शैक्षणिक भविष्य इस पर निर्भर हो सकता है।"

दूसरी ओर, Electronic Frontier Foundation (EFF) ने कहा कि इस तरह की सर्विलांस से न सिर्फ निज़ी जीवन का उल्लंघन होता है, बल्कि सुरक्षा संबंधी कोई ठोस प्रमाण नहीं दिखा। उन्होंने एक रिपोर्ट में बताया कि पिछले कई सालों में सोशल‑मीडिया स्कैनिंग ने कोई गंभीर आतंकवादी खतरा नहीं पकड़ा।

प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

कुल मिलाकर, इस नीति से प्रोसेसिंग समय में वृद्धि, रिफ़्यूज को बढ़ावा और छात्रों में मानसिक तनाव की आशंका है। एक सर्वे के अनुसार, 78 % अंतरराष्ट्रीय छात्र अब वीज़ा प्रक्रिया को "सभी‑सामान्य नहीं" मानते हैं।

शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रिया सिंह, जो मियामी में स्थित एक विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं, का कहना है कि "छात्रों को विदेश में पढ़ाई के सपने को छोड़ना नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन नई नीति उन्हें उनके सामाजिक जुड़ाव से रोक सकती है।"

आगे क्या हो सकता है?

पर्यवेक्षक अनुमान लगाते हैं कि आने वाले महीनों में कई विश्वविद्यालयों में प्रवेश में गिरावट देखी जा सकती है, खासकर उन संस्थानों में जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों का बड़ा प्रतिशत रखते हैं। यदि एफ़एफ और अन्य सिविल‑लिबर्टी समूहों ने बंधनात्मक साक्ष्य पेश कर नीति को चुनौती नहीं दी, तो इस नियम को वैधानिक रूप से जारी रखने की संभावना है।

संयुक्त राज्य सरकार ने कहा है कि वीज़ा "ऐक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं"। किन्तु मानव अधिकारों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अभिव्यक्तिक मुक्तियों को अधिकार के रूप में मानना चाहिए, न कि बोनस के रूप में।

मुख्य बिंदु

मुख्य बिंदु

  • 19 जून 2025 को छात्र वीज़ा अपॉइंटमेंट फिर शुरू हुए।
  • F, M, J वीज़ा आवेदकों से सभी सोशल‑मीडिया खातों को सार्वजनिक करने की आवश्यकता।
  • आवेदक को पिछले पाँच वर्षों के यूज़रनेम भी देना पड़ेगा।
  • नए दो‑स्तर त्वरित अपॉइंटमेंट सिस्टम में 15 % या कम अंतरराष्ट्रीय छात्रों वाले कॉलेजों को प्राथमिकता।
  • प्रमुख कानूनी विशेषज्ञ और सिविल‑लिबर्टी समूह इस नीति को संवैधानिक‑अधिकारों के उल्लंघन के तौर पर देख रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नया नियम किन वीज़ा श्रेणियों को प्रभावित करता है?

यह नियम F (अकादमिक छात्र), M (व्यावसायिक छात्र) और J (एक्सचेंज विज़िटर) सभी गैर‑आप्रवासी वीज़ा पर लागू होता है, इसलिए लगभग हर अंतरराष्ट्रीय छात्र और शोधकर्ता प्रभावित होते हैं।

यदि कोई छात्र अपनी प्रोफ़ाइल निजी रखता है तो क्या होगा?

कांसुलर अधिकारी केस को सेक्शन 221(g) के तहत अस्थायी रूप से रोक देंगे और ग्राहक को प्रोफ़ाइल सार्वजनिक करने के बाद फिर से जाँच करने को कहेंगे। इससे वीज़ा मंजूरी में कई हफ़्तों की देरी हो सकती है।

यह नीति किस कारण से लागू की गई?

अधिकारी कहते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, खासकर प्रो‑पैलस्टीन प्रदर्शन और संभावित आतंकवादी जुड़ाव की जांच के लिए, लेकिन आलोचक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अति‑सुरक्षा मानते हैं।

क्या इस नीति से छात्रों के आवेदन में कमी होगी?

शिक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि उच्च अंतरराष्ट्रीय छात्र दर वाले विश्वविद्यालयों में एप्लिकेशन में 10‑15 % की कमी देखी जा सकती है, क्योंकि कई छात्र अब प्रवेश प्रक्रिया को जोखिमभरा समझते हैं।

क्या इस नियम को चुनौती देने का कोई रास्ता है?

सिविल‑लिबर्टी संगठनों, जैसे EFF, ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर अदालत में याचिकाएँ दायर करने की बात कही है। अभी तक कोई आधिकारिक अदालती निर्णय नहीं आया है।

टिप्पणि
rishabh agarwal
rishabh agarwal 19 अक्तू॰ 2025

सोशल मीडिया जांच से छात्र बहुत तनाव में हैं।

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