अमृता राव का सफर: ‘मेन हू ना’ से लेकर बॉलीवुड से कदम तक 24 सित॰,2025

अमृता राव की शुरुआती पहचान और बड़प्पन की राह

जब 2002 की फिल्म अब के बरास बड़े स्क्रीन पर आई, तो दर्शकों ने एक नई चेहरे को देखा – अमृता राव। फिल्म में उनका प्रदर्शन इतना सिम्पल और सच्चा था कि उन्हें फ़िल्मफ़ेयर के बेस्ट फ़ेमले डेब्यू की नामांकन मिली। पर असली ब्रेक थ्रू 2003 की रोमैंटिक कॉमेडी इश्क़ विश्क में आया, जहाँ शाहिद कपूर के साथ उनका केमिस्ट्री ने युवाओं के दिलों को जीत लिया। इस फिल्म ने उन्हें इफ़ा का स्टार डेब्यू अवार्ड (फीमेल) दिलाया और बॉक्स‑ऑफ़िस पर भी हल्का-फुल्का हिट साबित हुई।

इन दो शुरुआती सफलताओं के बाद, 2004 ने उनके करियर में एक बड़ा मोड़ दिया। फ़राह ख़ान की डायरेक्शन में बनी मे‍न हू ना में शाहरुख़ ख़ान के साथ रोल करवाया गया था। फिल्म ने 84 करोड़ रुपये की कमाई करके उस साल की दूसरी सबसे बड़ी हिट बना ली और 12 फ़िल्मफ़ेयर नामांकन भी प्राप्त किए। अमृता को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस की नॉमिनी मिली, जो उनके दृश्यमान होने की पुष्टि थी।

इन हिट फिल्मों के साथ उनका फ़िल्मोग्राफी जल्दी ही विस्तारित हो गया। 2004 की कॉमेडी मस्ती और 2006 की फ़ीमिली ड्रामा विवाह ने उन्हें हरियाली और पारंपरिक भारतीय परिवार की छवि में स्थापित किया। ‘विवाह’ की सफलता ने उन्हें अनगिनत प्रस्ताव और यहाँ तक कि प्रशंसकों के ‘ब्लड लेटर’ भी दिलवाए, जैसा कि उन्होंने बाद में कहा है।

सफलता, संघर्ष और नई दिशा

सफलता, संघर्ष और नई दिशा

पहले पांच सालों में लगातार हिट मिलने के बाद, 2008‑09 में चीज़ें बदलने लगीं। उद्योग की नीति‑राजनीति और बड़े स्टार्स के पीछे खुद को दबाया जाना अमृता की प्रोफ़ाइल को धीरे‑धीरे पीछे ले गया। वह अक्सर मैगज़ीन कवर पर पीछे वाली जगह पर देखी गईं, जबकि वही जगह पहले उनके लिए थी। यह अनदेखा न होने वाले दबाव ने उन्हें नई चुनौतियों के सामने ले आया।

लेकिन हार मानना उनके स्वभाव में नहीं था। 2013 में उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फ़िल्म जॉली एलएलबी में एक किरदार निभाया, जो फिर से बॉक्स‑ऑफ़िस पर सफल रही। इस सफलता के बाद, उन्होंने सहायक भूमिकाओं में कदम रखा, जैसे सिंह साब द ग्रेट, सत्याग्रह और 2019 का बायोपिक थैकरे

टेलीविज़न की ओर भी उनका झुकाव रहा। 2016 में उन्होंने दूरदर्शन के सॉरॉप ‘मेरी आवाज़ ही पहचान है’ में एक सिंगर का रोल किया, जिससे उन्हें घर‑घर में पहचान मिली। साथ ही, उन्होंने कई विज्ञापनों में भी अपनी पहचान बनाई, जिससे उनकी लोकप्रियता बनी रही।

उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी भी उल्लेखनीय है। एक कोंकणी‑सारसवती ब्राह्मण परिवार में जन्म ले कर, उन्होंने अंडेरी की कनोसा गर्ल्स स्कूल और मुंबई की सोफिया कॉलेज से पढ़ाई की। मनोविज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन मॉडलिंग और फ़िल्मों के सपने ने उन्हें कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया। उनका छोटा भाई‑बहन में एक छोटी बहन प्रीति का भी फ़िल्मी करियर है, जो उनके साथ इस उद्योग में कदम रखती है।

  • मुख्य हिट्स: इश्क़ विश्क, मे‍न हू ना, विवाह
  • प्रमुख पुरस्कार: इफ़ा स्टार डेब्यू अवार्ड, दो स्टारडस्ट अवार्ड, कई फ़िल्मफ़ेयर नामांकन
  • टेलीविज़न: मेरी आवाज़ ही पहचान है (2016)
  • सहायक भूमिकाएँ: सिंह साब द ग्रेट, सत्याग्रह, थैकरे

अमृता राव का सफर यह बताता है कि बॉलीवुड में चमकते हुए सितारे भी नए सिरे से खुद को ढालते रहना पड़ता है। वह अपने समय की सबसे भरोसेमंद, बहु‑आयामी कलाकारों में से एक बनकर बनी हैं, चाहे वह बड़े पर्दे पर हो या छोटे स्क्रीन पर। उनका दृढ़ निश्चय और विविधता भरा करियर आज भी कई युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।