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सित॰,2025
जब 2002 की फिल्म अब के बरास बड़े स्क्रीन पर आई, तो दर्शकों ने एक नई चेहरे को देखा – अमृता राव। फिल्म में उनका प्रदर्शन इतना सिम्पल और सच्चा था कि उन्हें फ़िल्मफ़ेयर के बेस्ट फ़ेमले डेब्यू की नामांकन मिली। पर असली ब्रेक थ्रू 2003 की रोमैंटिक कॉमेडी इश्क़ विश्क में आया, जहाँ शाहिद कपूर के साथ उनका केमिस्ट्री ने युवाओं के दिलों को जीत लिया। इस फिल्म ने उन्हें इफ़ा का स्टार डेब्यू अवार्ड (फीमेल) दिलाया और बॉक्स‑ऑफ़िस पर भी हल्का-फुल्का हिट साबित हुई।
इन दो शुरुआती सफलताओं के बाद, 2004 ने उनके करियर में एक बड़ा मोड़ दिया। फ़राह ख़ान की डायरेक्शन में बनी मेन हू ना में शाहरुख़ ख़ान के साथ रोल करवाया गया था। फिल्म ने 84 करोड़ रुपये की कमाई करके उस साल की दूसरी सबसे बड़ी हिट बना ली और 12 फ़िल्मफ़ेयर नामांकन भी प्राप्त किए। अमृता को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस की नॉमिनी मिली, जो उनके दृश्यमान होने की पुष्टि थी।
इन हिट फिल्मों के साथ उनका फ़िल्मोग्राफी जल्दी ही विस्तारित हो गया। 2004 की कॉमेडी मस्ती और 2006 की फ़ीमिली ड्रामा विवाह ने उन्हें हरियाली और पारंपरिक भारतीय परिवार की छवि में स्थापित किया। ‘विवाह’ की सफलता ने उन्हें अनगिनत प्रस्ताव और यहाँ तक कि प्रशंसकों के ‘ब्लड लेटर’ भी दिलवाए, जैसा कि उन्होंने बाद में कहा है।
पहले पांच सालों में लगातार हिट मिलने के बाद, 2008‑09 में चीज़ें बदलने लगीं। उद्योग की नीति‑राजनीति और बड़े स्टार्स के पीछे खुद को दबाया जाना अमृता की प्रोफ़ाइल को धीरे‑धीरे पीछे ले गया। वह अक्सर मैगज़ीन कवर पर पीछे वाली जगह पर देखी गईं, जबकि वही जगह पहले उनके लिए थी। यह अनदेखा न होने वाले दबाव ने उन्हें नई चुनौतियों के सामने ले आया।
लेकिन हार मानना उनके स्वभाव में नहीं था। 2013 में उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फ़िल्म जॉली एलएलबी में एक किरदार निभाया, जो फिर से बॉक्स‑ऑफ़िस पर सफल रही। इस सफलता के बाद, उन्होंने सहायक भूमिकाओं में कदम रखा, जैसे सिंह साब द ग्रेट, सत्याग्रह और 2019 का बायोपिक थैकरे।
टेलीविज़न की ओर भी उनका झुकाव रहा। 2016 में उन्होंने दूरदर्शन के सॉरॉप ‘मेरी आवाज़ ही पहचान है’ में एक सिंगर का रोल किया, जिससे उन्हें घर‑घर में पहचान मिली। साथ ही, उन्होंने कई विज्ञापनों में भी अपनी पहचान बनाई, जिससे उनकी लोकप्रियता बनी रही।
उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी भी उल्लेखनीय है। एक कोंकणी‑सारसवती ब्राह्मण परिवार में जन्म ले कर, उन्होंने अंडेरी की कनोसा गर्ल्स स्कूल और मुंबई की सोफिया कॉलेज से पढ़ाई की। मनोविज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन मॉडलिंग और फ़िल्मों के सपने ने उन्हें कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया। उनका छोटा भाई‑बहन में एक छोटी बहन प्रीति का भी फ़िल्मी करियर है, जो उनके साथ इस उद्योग में कदम रखती है।
अमृता राव का सफर यह बताता है कि बॉलीवुड में चमकते हुए सितारे भी नए सिरे से खुद को ढालते रहना पड़ता है। वह अपने समय की सबसे भरोसेमंद, बहु‑आयामी कलाकारों में से एक बनकर बनी हैं, चाहे वह बड़े पर्दे पर हो या छोटे स्क्रीन पर। उनका दृढ़ निश्चय और विविधता भरा करियर आज भी कई युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अमृता राव का करियर देखकर लगता है कि बॉलीवुड में सिर्फ नाम नहीं, बल्कि लगन चाहिए।
ये सब बकवास है। उसने क्या किया? बस शाहरुख के साथ एक फिल्म में आई और सब उसकी फेम बन गए। असली एक्ट्रेस तो अभी भी अनदेखी हैं।
अमृता का सफर बस एक एक्ट्रेस का नहीं, बल्कि एक आम भारतीय लड़की का संघर्ष है। कॉलेज छोड़कर, सपनों के पीछे भागना, फिर बॉलीवुड के गुलेल से टकराना... ये देखकर लगता है कि असली ताकत अंदर होती है। ❤️
इश्क़ विश्क के बाद से मैं हर बार उसकी फिल्म देखता हूँ। वो जो भी करे, उसमें कुछ खास होता है। अब तो मैं उसके विज्ञापन भी देख लेता हूँ। 😎
हमारे देश में ऐसी एक्ट्रेस जो अपनी पहचान बनाकर रह गईं, उनकी कमी है। अमृता ने भारतीय आदर्शों को बरकरार रखा, बिना अमेरिकी स्टाइल अपनाए। ये देश का गौरव है।
विवाह और जॉली एलएलबी दोनों फिल्मों में उनका किरदार बहुत अलग था, लेकिन दोनों में उनकी असलियत बरकरार रही। ये ही असली एक्टिंग है।
तुम सब ये क्यों उल्लेख कर रहे हो कि उसने क्या किया? बस एक और फिल्मी लड़की है जिसने अपनी शुरुआत में अच्छा किया, फिर धीरे-धीरे गायब हो गई। अब बॉलीवुड में नए नाम हैं, नए बदलाव हैं। इसके बारे में बात करो। अमृता राव तो अब एक याद है।
मैंने उसकी फिल्में देखी हैं... विवाह बहुत अच्छी थी... और जॉली एलएलबी तो बिल्कुल जबरदस्त... अब तो वो टीवी पर भी आ गई... बहुत अच्छा हुआ... 😊
अगर तुम अपने सपनों को छोड़ दोगे तो कोई नहीं रोक सकता। अमृता ने कॉलेज छोड़ा, लेकिन अपना दिल नहीं छोड़ा। ये ही असली जीत है। 💪✨
सफलता का एक तरीका है बड़े रोल्स लेना, दूसरा है अपने आप को बदलना। अमृता ने दूसरा रास्ता चुना। ये बहुत कम लोग कर पाते हैं।
अमृता राव की एक्टिंग में एक अजीब सी गहराई है... जैसे वो हर डायलॉग को अपने अंदर से निकाल रही हो... और फिर तुम्हें लगता है कि ये तुम्हारी ही बात है 😌❤️
इस दुनिया में जो लोग अपनी आत्मा को बेचते हैं, वो असली स्टार नहीं होते। अमृता राव ने अपनी आत्मा को बरकरार रखा। इसीलिए वो आज भी हमारे दिलों में हैं।
ये सब बकवास है। अमृता राव को बॉलीवुड में बस एक टाइम के लिए लोकप्रियता मिली। अब तो वो बाहर है। अगर तुम्हारी फिल्में हिट नहीं हो रहीं, तो तुम फेल हो गए। बस इतना ही।
उसकी एक्टिंग में कोई गहराई नहीं है। बस एक चेहरा और एक शैली। असली एक्ट्रेस तो आज के नए नाम हैं। ये सब रोमांटिक यादें हैं।
अगर तुम अपने सपने को छोड़ दोगे तो कोई नहीं रोक सकता। अमृता ने कॉलेज छोड़ा, लेकिन अपना दिल नहीं छोड़ा। ये ही असली जीत है।
बॉलीवुड के इतिहास में ऐसी कलाकार जो अपने निजी जीवन को बरकरार रखते हुए व्यावसायिक रूप से भी सफल होती हैं, वे बहुत कम हैं। अमृता राव एक ऐसी हैं।
उसके जैसी एक्ट्रेस को बॉलीवुड में जगह नहीं मिलनी चाहिए। वो तो बस एक नॉर्मल लड़की है। असली ताकत तो उन लोगों की है जो नए रास्ते बनाते हैं।
उनकी आवाज़ है, उनकी अदाएं हैं, उनकी उपस्थिति है। ये सब फिल्मों में नहीं, बल्कि दिलों में रह गया है।
अमृता राव के बारे में लिखना अच्छा है। लेकिन उनकी तरह की और भी बहुत सारी एक्ट्रेस हैं जिन्हें कोई नहीं देखता।
तुम्हारा ये लेख बहुत सुंदर है... लेकिन अगर तुम उसके बारे में ज्यादा लिखोगे तो लगेगा कि तुम उसके फैन हो... 😏