बांग्लादेश में सरकारी विरोधी प्रदर्शन हिंसक, 100 से अधिक मरे 5 अग॰,2024

बांग्लादेश में प्रदर्शनों की शुरुआत

बांग्लादेश में सरकारी विरोधी प्रदर्शन हाल में हिंसक हो गए हैं, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायलों की संख्या बढ़ रही है। इन प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो सरकारी रोजगारों में कोटा प्रणाली के खिलाफ थे। इस कोटा प्रणाली के तहत सरकारी नौकरियों में 30% पद युद्ध के वेटरन्स के परिवारों के लिए आरक्षित थे।

कोटा प्रणाली और उसका विरोध

यह कोटा प्रणाली लंबे समय से विवाद का विषय रही है। छात्रों का तर्क था कि इस प्रणाली से योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोटा को 30% से घटाकर 5% करने का आदेश दिया, लेकिन फिर भी विरोध प्रदर्शन जारी रहे। छात्रों का आरोप है कि इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार और रिश्तेदारवाद को बढ़ावा मिलता है।

प्रदर्शनों का हिंसक रूप

शुरुआत में ये प्रदर्शन शांति पूर्वक थे, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीते, इसमें हिंसा बढ़ती गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीव्र टकराव हुए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, और पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे हिंसा और भड़क उठी।

सरकार की प्रतिक्रिया

ऐसी विकट स्थिति में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने कई कठोर कदम उठाए। सरकार ने कई स्थानों पर कर्फ्यू लगाकर मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को सीमा भी लगा दिया। पुलिस को 'देखते ही गोली मारने' का आदेश भी जारी किया गया। इस कदम की व्यापक निंदा हुई है।

प्रधानमंत्री का इस्तीफा और विरोधियों का आरोप

प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की है और इन हिंसाओं के लिए उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, शासक दल अवामी लीग ने प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी को इस हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया है।

भारतीय सरकार की चेतावनी

बांग्लादेश की इस अस्थिरता को देखते हुए, भारतीय सरकार ने भी अपने नागरिकों के लिए चेतावनी जारी की है। सरकार ने भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा से परहेज करने की सलाह दी है।

स्थिति की गंभीरता

फिलहाल, बांग्लादेश में स्थिति गंभीर और अस्थिर है। दोनों पक्षों - प्रदर्शनकारी एवं सरकार - के बीच तनाव बना हुआ है और कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस हिंसा का जल्द से जल्द समाधान निकालना अनिवार्य है, अन्यथा इसका असर और भी गहरा हो सकता है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

बांग्लादेश में यह स्थिति सरकार और जनता के बीच गहरे विभाजन को दर्शाती है। ऐसे समय में एक स्थिर और संतुलित समाधान निकालना ही सभी के हित में होगा। बांग्लादेश के नागरिकों के लिए शांति और न्याय की उम्मीद बनी रहेगी।

टिप्पणि
Abhishek Ambat
Abhishek Ambat 5 अग॰ 2024

ये सब क्या हो रहा है भाई 🤯 एक कोटा के लिए इतनी हिंसा? इंसानियत कहाँ गई? लोगों के खून से राजनीति नहीं बनती।

Meenakshi Bharat
Meenakshi Bharat 6 अग॰ 2024

इस हिंसा का मूल कारण तो यह है कि हमने अपनी शिक्षा और न्याय की व्यवस्था को राजनीतिक लाभ के लिए बेच दिया है। छात्रों की मांग पूरी तरह से न्यायसंगत है, लेकिन जब सरकार इंटरनेट बंद कर देती है और पुलिस को 'देखते ही गोली मारने' का आदेश देती है, तो यह कोई समाधान नहीं, बल्कि एक अपराध है। यह तो डिक्टेटरशिप की बात हो रही है, लोकतंत्र की नहीं।

Sarith Koottalakkal
Sarith Koottalakkal 7 अग॰ 2024

मेरे दोस्त का भाई ढाका में है उसने कहा सड़कें खून से लाल हैं और मोबाइल बंद है लोग बस डरे हुए हैं और सरकार बस चुप है

Sai Sujith Poosarla
Sai Sujith Poosarla 7 अग॰ 2024

अरे भाई ये बांग्लादेशी लोग अपने देश में ही आपस में लड़ रहे हैं और हम इंडिया वाले इनकी चिंता कर रहे हैं? इनकी सरकार अपने लोगों को गोली मार रही है तो क्या हुआ? अगर ये लोग अपने देश को नियंत्रित नहीं कर पा रहे तो हम इनकी आँखों के सामने चावल भेज रहे हैं? ये लोग तो अपने आप में एक बेकार देश हैं जिनका नाम बांग्लादेश है और जिनके अंदर अपने आप को नियंत्रित करने की क्षमता नहीं है।

Sri Vrushank
Sri Vrushank 8 अग॰ 2024

ये सब अमेरिका के खिलाफ एक षड्यंत्र है और वो भी भारत के खिलाफ जो बांग्लादेश में अपना असर बढ़ाना चाहता है और फिर इन छात्रों को फंसा रहा है ताकि बांग्लादेश में अशांति फैले और भारत के खिलाफ नफरत बढ़े और वो भी इसके लिए अपने एजेंट बांग्लादेश में भेज रहे हैं जो छात्रों को भड़का रहे हैं

Praveen S
Praveen S 10 अग॰ 2024

इस स्थिति में, हमें यह समझना चाहिए कि एक न्यायपालिका का आदेश - चाहे वह कितना भी न्यायसंगत क्यों न हो - अगर उसे अनदेखा किया जाता है, तो यह एक लोकतांत्रिक संस्थान के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। और जब सरकार इंटरनेट बंद कर देती है, तो यह केवल जानकारी के प्रवाह को रोकने का प्रयास नहीं है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों को निलंबित करने का एक चरम उदाहरण है। हमें इसे न्याय के बजाय शक्ति के अभिव्यक्ति के रूप में देखना चाहिए।

mohit malhotra
mohit malhotra 12 अग॰ 2024

इस संकट का विश्लेषण करने के लिए हमें एक सामाजिक-आर्थिक ढांचे के बारे में समझना होगा जिसमें आरक्षण के विवाद के अलावा युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का संकुचित बाजार, राजनीतिक नियंत्रण के अधीन शिक्षा प्रणाली, और जनता के बीच विश्वास के अभाव के कारण यह आंदोलन इतना तीव्र हो गया है। यह एक संरचनात्मक विफलता है, जिसे तात्कालिक दमन से नहीं, बल्कि एक समावेशी राजनीतिक वार्ता और सामाजिक न्याय के आधार पर ही सुलझाया जा सकता है।

Gaurav Mishra
Gaurav Mishra 13 अग॰ 2024

सरकार ने गोली मारी। लोग मरे। अब चुप रहो।

एक टिप्पणी लिखें