वक्फ संशोधन विधेयक: प्रमुख संशोधनों और प्रतिक्रियाओं के बाद JPC की स्वीकृति 29 जन॰,2025

वक्फ संशोधन विधेयक का अभिग्रहण: एक नई दिशा

भारत की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक पर 14 प्रमुख संशोधनों को मंजूरी दी है, जो कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किए गए थे। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन को और अधिक प्रभावी बनाना है। JPC के इस फैसले से भारतीय समाज और राजनीति में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के नेतृत्व में समिति ने छह महीनों तक इस विधेयक पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।

प्रमुख संशोधन और प्रकृतिक संभावनाएं

संशोधनों की सूची में कुछ विशेष बिंदु शामिल हैं जो सीधे तौर पर वक्फ संपत्तियों की पहचान और उनके प्रबंधन से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, अब किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति मानने के लिए राज्य सरकार के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा, और यह जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों के होने की आवश्यकता के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है। अब यह स्पष्ट किया गया है कि ये सदस्य गैर-मुस्लिम ही होने चाहिए।

इन प्रमुख संशोधनों में यह भी शामिल है कि संबंधित कानून पहले से पंजीकृत संपत्तियों पर पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। ऐसे मामलों में, जहाँ भूमि का दान किया जा रहा हो, दाता को कम से कम पाँच वर्ष से मुसलमान होने का प्रमाण देना होगा, और इस बात की पुष्टि करनी होगी कि प्रॉपर्टी के समर्पण में किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं है। यह प्रावधान एक नई दिशा देने वाला है ताकि भविष्य में होने वाले विवादों को कम किया जा सके।

विपक्ष का विरोध और चिंता

इस विधेयक पर विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा किए गए संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया, जिसमें 10 सदस्यों ने विपक्ष में और 16 सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया। प्रमुख विपक्षी नेता जैसे कि कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल, तृणमूल के कालयाण बनर्जी, और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस निर्णय की सख्त आलोचना की है। उनका कहना है कि यह संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता पर एक सीधा हमला है, और इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ एक साजिश के रूप में देखते हैं।

आगे की प्रक्रिया

JPC की अंतिम रिपोर्ट 29 जनवरी, 2025 को जारी होने की उम्मीद है। यह रिपोर्ट निश्चित रूप से किसी भी आगे की चर्चा और संभावित कानूनी उलझनों के लिए मार्गदर्शिका का काम करेगी। तात्कालिक स्थिति को देखते हुए, इस विधेयक ने राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर भी गंभीर बहस को जन्म दिया है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह विधेयक केवल प्रशासनिक सुधार के दृष्टिकोण से लाया गया है, न कि किसी विशेष समुदाय को नुकसान पहुंचाने के लिए।

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