अगर आप मध्य पूर्व की खबरें पढ़ते हैं तो बेन्यामिन नेतन्याहू का नाम बार‑बार सुनते ही होंगे। वह 1996 से लेकर आज तक कई बार इज़राइल के प्रधान मंत्री रहे हैं और अभी भी लिकुड पार्टी के प्रमुख हैं। उनका राजनीतिक सफ़र आसान नहीं रहा – कई बार सत्ता से हटे, फिर लौट आए। लेकिन हर बार जब देश को सुरक्षा या कूटनीति का सवाल आया तो उनके नाम पर ही चर्चा होती है।
नेतन्याहू 1949 में तेल अवीव में जन्मे और एक मध्यम वर्गीय परिवार से आए। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की, फिर इज़राइल वापस आकर सेना में सेवा की। 1970 के दशक में वह लिकुड पार्टी के प्रमुख नेता बेंजामिन नेतन्याहू (पिता) की मदद से राजनैतिक मंच पर आए। 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने और दो साल बाद चुनाव हार गए, फिर 2009 में वापसी करके लगातार कई अवधि तक सत्ता में रहे।
उनकी सबसे बड़ी पहचान उनकी कड़ी सुरक्षा नीति है। उन्होंने इज़राइल के रक्षा बजट को बढ़ाया और नई तकनीकों पर जोर दिया। इसी कारण इज़राइल ने ड्रोन, साइबर डिफेंस और मिसाइल शील्ड सिस्टम जैसे क्षेत्रों में विश्व स्तर पर कदम रखा। उनके निर्णय अक्सर पड़ोसी देशों, खासकर फ़िलिस्तीन और लेबनान के साथ तनाव पैदा करते रहे हैं।
2024 की राष्ट्रीय चुनावों में नेतन्याहू ने फिर से बड़ी जीत दर्ज की। इस जीत का सबसे बड़ा कारण उनका “सुरक्षा‑पहले” एप्रोच और विदेश नीति में कड़ा रुख था। उनके तहत इज़राइल ने कई नई गठबंधन बनाए, जैसे भारत के साथ रक्षा समझौते को गहरा करना। भारतीय कंपनियों को इज़राइली तकनीक में निवेश करने की अनुमति मिली, जिससे दोनों देशों के व्यापार में बढ़ोतरी हुई।
गाज़ा में चल रहे संघर्ष भी नेतन्याहू के शासन का एक बड़ा पहलू रहा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपने सैन्य ऑपरेशन को जारी रखा, यह कहकर कि इज़राइल की सुरक्षा पहले आती है। इस कदम से कई देशों ने आलोचना की, पर घरेलू तौर पर उनका समर्थन बना रहा।
आर्थिक मोर्चे पर भी कुछ बदलाव आए हैं। उन्होंने टेक स्टार्ट‑अप्स के लिए विशेष कर छूट दी और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये नई नीतियां लागू कीं। इससे इज़राइल का जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले दो साल में 5% से अधिक रहा है।
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इज़राइल ने हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय को निशाना बनाते हुए बेरूत में हवाई हमला किया, जिसमें समूह के नेता हसन नसरल्लाह को लक्षित किया गया। हवाई हमले में कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने महासभा में बयान देकर संघर्ष को जारी रखने की चेतावनी दी है।
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