भ्रष्टाचार शब्द सुनते ही दिमाग में आम तौर पर सरकारी दफ़्तर, राजनेता या बड़ा व्यवसायी आता है, है ना? पर असली बात तो यह है कि यह हर जगह हो सकता है – स्कूल की फीस चोरी से लेकर छोटे‑छोटे कार्यालय में गबन तक। यदि हम इसे समझें तो ही हम इसे खत्म कर सकते हैं।
सबसे पहला कारण है ‘लालच’। जब लोगों को लगता है कि खुद के लिए थोड़ी सी कमीशन या रिश्वत से बड़ी सुविधा मिल सकती है, तो वह नियम तोड़ देता है। दूसरा कारण है ‘पारदर्शिता की कमी’। अगर कोई काम कैसे किया जाता है, इसका रिकॉर्ड नहीं रहता, तो गबन करना आसान हो जाता है। तीसरा, ‘सही निगरानी की अनुपस्थिति’ – जैसे कई बार बिहार जमीन सर्वे में रिपोर्टेड भ्रष्ट कामकाज ने दिखाया कि अगर सख़्त जाँच नहीं होगी तो दुरुपयोग फड़फड़ाता रहेगा।
इन कारणों को पहचानना ही पहला कदम है। जब आप जानते हैं कि लालच या निगरानी की कमी से समस्या पैदा होती है, तो आप ऐसे समाधान ढूँढ सकते हैं जो इनको हटाए।
भ्रष्टाचार के असर सिर्फ वित्तीय नुकसान तक ही सीमित नहीं होते। यह जनता के भरोसे को तोड़ता है, विकास के कामों में देरी करता है और अक्सर गरीब वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। उदाहरण के तौर पर, जब बिहार भूमि सर्वे में भ्रष्टाचार हुआ, तो कई जनता को अपनी जमीन का सही रिकॉर्ड नहीं मिला और विवादों में फँसना पड़ा।
रोकथाम के लिए कुछ सरल लेकिन असरदार उपाय हैं:
इन कदमों को अगर सही तरीके से लागू किया जाए तो भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर पड़ेंगी।
भ्रष्टाचार को खत्म करने में हर व्यक्ति की भूमिका होती है। आप जब भी किसी अनियमितता को देखें, तो शिकायत करें, सोशल मीडिया या स्थानीय अधिकारी को सूचित करें। छोटा कदम भी बड़े बदलाव की ओर ले जा सकता है। याद रखें, जब तक हम सभी मिलकर नहीं कहते ‘हम नहीं करेंगे’ तब तक यह समस्या बनी रहेगी।
आइए, मिलकर ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ इमानदारी को सच्चा सम्मान मिले और भ्रष्टाचार को कोई जगह न मिले।
उत्तर प्रदेश के सदर करवी तहसील में भ्रष्टाचार विरोधी टीम ने हाल ही में राजस्व विभाग के अधिकारियों पर बड़े पैमाने पर छापे मारें। जांच में पता चला कि कई अधिकारियों ने स्थानीय व्यापारियों से रिश्वत ली थी। इस कार्रवाई से विभागीय सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। आरोपी अधिकारियों को तुरंत हिरासत में लिया गया है।
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