क्या आपने कभी सोचा है कि बुद्ध पूर्णिमा क्यों खास माना जाता है? यह दिन गौतम बुद्ध की जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण को एक साथ मनाता है। इसलिए इसे "त्रिपक्षीय तिथि" कहा जाता है—तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का मिलन।
लगभग 2500 साल पहले लुम्बिनी में बुद्ध जी ने ज्ञान प्राप्त किया था। उसी दिन कई कहानियों में उनका जन्म और बाद में महापरिनिर्वाण भी हुआ बताया गया है। चाँद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर इस घटना को याद करना हमें उनके शांति‑पूर्ण संदेश से जोड़ता है।
प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में लिखा है कि इस दिन मोक्ष का द्वार खुलता है, इसलिए भक्त लोग धूप जलाकर पूजा करते हैं और दान देते हैं। भारत की कई जगहें—बोधगया, सारनाथ, काशी—इस अवसर पर विशेष सभा आयोजित करती हैं।
अब बात करें आज के दौर की। लोग सिर्फ मंदिर या स्तूप नहीं, बल्कि घर पर भी छोटे‑छोटे अलाव लगाते हैं। धुप जलाकर, फूल अर्पित करके और शांति मंत्र पढ़कर श्रद्धा प्रकट करते हैं। यदि आप कामकाजी जीवन में व्यस्त हैं तो सुबह पाँच बजे उठ कर 10 मिनट ध्यान करना भी काफी है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई सामाजिक कार्यक्रम होते हैं—भोजन दान, पुस्तक वितरण और पर्यावरण सफाई। ये गतिविधियां शांति और परोपकार को बढ़ावा देती हैं। यदि आपके पास समय कम है तो नजदीकी आश्रम में स्वयंसेवक बनकर मदद कर सकते हैं।
2025 में बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को पड़ेगी, इसलिए कैलेंडर में पहले से नोट कर लें। कई शहरों में ऑनलाइन प्रसारण के ज़रिये लुम्बिनी का लाइव दर्शन भी मिलेगा। यह मौका है डिजिटल रूप से भी आध्यात्मिक अनुभव लेने का।
ध्यान रहे, इस दिन व्रत रखने वाले लोग मीठे फल, साबूदाना और हल्का भोजन ले सकते हैं। भारी मसालेदार या तले‑भुने खाने से बचें, क्योंकि शारीरिक शुद्धता मन की शांति को बढ़ाती है।अगर आप पहली बार इसे मना रहे हैं तो बस एक छोटा कदम उठाएँ—धूप जलाकर पाँच मिनट ध्यान रखें और कोई अच्छा कार्य करें। धीरे‑धीरे यह आदत आपके जीवन में संतुलन लाएगी।
बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ बौद्धों के लिए नहीं, बल्कि सभी मानवता के शांति संदेश का जश्न है। इस पावन दिन को अपने परिवार या दोस्तों के साथ मिलकर मनाएँ और सकारात्मक ऊर्जा को फैलाएँ।
23 मई 2024 को देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। अयोध्या के राम मंदिर, हरिद्वार में गंगा घाट और वाराणसी में महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर भक्तों की बड़ी भीड़ उमड़ी। बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाई जाती है।
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