रेखा गुप्ता: आम महिला से दिल्ली की मुख्यमंत्री तक का सफर 11 मार्च,2025

रेखा गुप्ता की राजनीतिक यात्रा

रेखा गुप्ता की कहानी किसी भी आम महिला के लिए प्रेरणा की तरह है। हरियाणा में 1974 में जन्मीं रेखा ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1992 में एबीवीपी के सदस्य के रूप में की। 1996-1997 में वो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष बनीं, और वहां से उनकी राजनीतिक यात्रा ने रफ्तार पकड़ी। 2007 और 2012 में स्थानीय चुनाव जीतकर उन्होंने नगर निगम की राजनीति में अपनी जगह बनाई।

जब वो दक्षिण दिल्ली नगर निगम की महापौर बनीं, तब उन्होंने 'दीदी' के रूप में एक ऐसी छवि बनाई, जो हमेशा जनता के लिए उपलब्ध रहती थीं। हालाँकि 2023 के महापौर चुनाव में हार मिली, लेकिन उनकी मेहनत और प्रशासनिक अनुभव ने उन्हें फरवरी 2025 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन कराया।

मुख्यमंत्री के रूप में चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ

मुख्यमंत्री के रूप में चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ

रेखा गुप्ता की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति भाजपा की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। पीएम मोदी द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर देने की वजह से उनका चयन हुआ, जो कि महिलाओं को नेतृत्व में लाने का एक ठोस प्रयास था।

शालीमार बाग से आप की बंडाना कुमारी को 29,595 वोटों से हराकर उन्होंने यह पद हासिल किया। अब उनके सामने दिल्ली के प्रदूषण को कम करना, स्कूलों को बेहतर बनाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखना मुख्य जिम्मेदारियाँ हैं। रेखा गुप्ता कहती हैं, 'मुझे एक दिन भी बर्बाद नहीं करना है।'

हालांकि उनके सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट्स ने कुछ सवाल खड़े किए हैं, लेकिन उनके समर्थक उन्हें अभी भी 'आम महिला' मानते हैं, जो अब भी अपने पैरों पर मजबूत खड़ी हैं। उनकी नियुक्ति दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है, क्योंकि वो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं और भाजपा की इकलौती महिला मुख्यमंत्री भी।

टिप्पणि
Sarith Koottalakkal
Sarith Koottalakkal 13 मार्च 2025

ये लड़की असली जान है दिल्ली की। बस इतना कहूं कि जब तक दीदी बाहर हैं, गंदगी नहीं बढ़ती।

Meenakshi Bharat
Meenakshi Bharat 13 मार्च 2025

रेखा गुप्ता की यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक उत्थान नहीं है, यह एक सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। एक छोटे से गांव से शुरू होकर दिल्ली के शीर्ष पद तक पहुंचना, जहां लाखों लोगों के जीवन पर फैसले लिए जाते हैं, यह किसी भी युवा महिला के लिए अद्भुत प्रेरणा है। उन्होंने कभी अपनी शुरुआत को शर्मिंदगी के रूप में नहीं देखा, न ही अपने आप को अलग या ऊपर का माना। वो हमेशा अपने लोगों के बीच रहीं, उनकी आवाज़ बनीं, उनकी आंखों में देखकर निर्णय लिए। उनकी विजय एक नए युग की शुरुआत है जहां लिंग का नहीं, बल्कि कार्य का महत्व है। उनकी रोजमर्रा की जिम्मेदारियां, बिना गाड़ी के सड़कों पर घूमना, बाजार में बातचीत करना, बच्चों के साथ खेलना - ये सब एक नेता के लिए अत्यंत दुर्लभ गुण हैं। आज के समय में जब नेता बड़े-बड़े हॉल में बोलते हैं, वो एक छोटी सी दुकान पर बैठकर एक दादी की शिकायत सुन रही हैं। यही असली नेतृत्व है।

Gaurav Mishra
Gaurav Mishra 14 मार्च 2025

सब बकवास। वो तो बस एक नाम बनाने के लिए डाली गई।

Sai Sujith Poosarla
Sai Sujith Poosarla 15 मार्च 2025

अरे भाई ये लड़की तो बस फेसबुक पर फोटो डालकर लोगों को भावुक कर रही है। असली काम तो बाकी है। अगर ये दिल्ली का प्रदूषण कम कर देगी तो मैं उसके लिए जान दे दूंगा। वरना ये सब नाटक है। तुम लोग ये बहुत जल्दी एक्साइट हो जाते हो।

Vikash Gupta
Vikash Gupta 16 मार्च 2025

मैं तो उनकी बातों में एक पुराने भारत की आवाज़ सुनता हूं - जहां नेता घर-घर जाते थे, जहां एक बातचीत में लाखों जिंदगियां बदल जाती थीं। रेखा गुप्ता केवल एक महिला नहीं, एक संस्कृति की वापसी हैं। उनकी बातों में वही गर्मजोशी है जो हमारे दादा-दादी बोलते थे - बिना झूठे वादों के, बिना गुस्से के, बस दिल से। जब वो एक बच्चे को लिखने के लिए पेंसिल देती हैं, तो वो एक नेता नहीं, एक माँ बन जाती हैं। और यही तो हमारे देश को चाहिए - नेता नहीं, माताएं। 🙏

Sri Vrushank
Sri Vrushank 16 मार्च 2025

क्या तुम्हें लगता है ये सब असली है? जब भी कोई महिला ऊपर जाती है तो बीच में कोई बड़ा बॉस बैठता है जो उसे चलाता है। मोदी के लिए ये बस एक फोटो ऑपरेशन है। तुम लोग झूठ को देख नहीं पाते।

Praveen S
Praveen S 17 मार्च 2025

यहाँ एक बात जो बहुत कम लोग देखते हैं - रेखा गुप्ता का नेतृत्व एक अनूठा संयोजन है: लोकतांत्रिक जनसंपर्क का अनुभव, निर्णय-लेने की दृढ़ता, और एक अद्वितीय अहंकार-रहित व्यक्तित्व। यह उनकी शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा में स्पष्ट है। वे अपने विरोधियों के साथ भी विनम्रता से व्यवहार करती हैं, जो आज के राजनीतिक वातावरण में लगभग असंभव है। उनके लिए राजनीति केवल शक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा का एक अनुष्ठान है। इसलिए, जब वे कहती हैं, 'मुझे एक दिन भी बर्बाद नहीं करना है,' तो यह एक वादा नहीं, बल्कि एक आत्म-अनुशासन का घोषणा है। और यही वह गुण है जिससे एक नेता वास्तविक रूप से बनता है।

mohit malhotra
mohit malhotra 18 मार्च 2025

इस नियुक्ति के पीछे का नेटवर्क अत्यंत स्ट्रैटेजिक है। रेखा गुप्ता एक पूर्णतः डेटा-ड्रिवेन, एक्सिक्यूटिव-लेवल लीडर हैं, जिन्होंने नगर निगम स्तर पर एक ओपन-लूप गवर्नेंस मॉडल अपनाया है, जिसमें सार्वजनिक फीडबैक सिस्टम और सिटी-लेवल बजट ट्रांसपेरेंसी के लिए डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल किया गया। उनकी भाषा और संचार रणनीति में भी एक अत्यंत अनुकूलित सामाजिक अभियान शामिल है, जिसने उन्हें विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में एक अद्वितीय विश्वास बनाया है। उनकी नीतियाँ न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक कैपिटल के संदर्भ में भी एक उच्च-लेवल इंटरवेन्शन हैं।

Aayush Bhardwaj
Aayush Bhardwaj 20 मार्च 2025

इतनी बड़ी बातें कर रहे हो लेकिन देखो उसके पास अभी तक कोई बड़ा रिजल्ट नहीं है। बस बोल रही है। इंतजार करो।

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