रेखा गुप्ता की कहानी किसी भी आम महिला के लिए प्रेरणा की तरह है। हरियाणा में 1974 में जन्मीं रेखा ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1992 में एबीवीपी के सदस्य के रूप में की। 1996-1997 में वो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष बनीं, और वहां से उनकी राजनीतिक यात्रा ने रफ्तार पकड़ी। 2007 और 2012 में स्थानीय चुनाव जीतकर उन्होंने नगर निगम की राजनीति में अपनी जगह बनाई।
जब वो दक्षिण दिल्ली नगर निगम की महापौर बनीं, तब उन्होंने 'दीदी' के रूप में एक ऐसी छवि बनाई, जो हमेशा जनता के लिए उपलब्ध रहती थीं। हालाँकि 2023 के महापौर चुनाव में हार मिली, लेकिन उनकी मेहनत और प्रशासनिक अनुभव ने उन्हें फरवरी 2025 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन कराया।
रेखा गुप्ता की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति भाजपा की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। पीएम मोदी द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर देने की वजह से उनका चयन हुआ, जो कि महिलाओं को नेतृत्व में लाने का एक ठोस प्रयास था।
शालीमार बाग से आप की बंडाना कुमारी को 29,595 वोटों से हराकर उन्होंने यह पद हासिल किया। अब उनके सामने दिल्ली के प्रदूषण को कम करना, स्कूलों को बेहतर बनाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखना मुख्य जिम्मेदारियाँ हैं। रेखा गुप्ता कहती हैं, 'मुझे एक दिन भी बर्बाद नहीं करना है।'
हालांकि उनके सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट्स ने कुछ सवाल खड़े किए हैं, लेकिन उनके समर्थक उन्हें अभी भी 'आम महिला' मानते हैं, जो अब भी अपने पैरों पर मजबूत खड़ी हैं। उनकी नियुक्ति दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है, क्योंकि वो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं और भाजपा की इकलौती महिला मुख्यमंत्री भी।
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