4
जून,2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की, जिसमें उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को पराजित किया। हालांकि, इस बार उनकी जीत का अंतर पहले के मुकाबले काफी कम रहा। मोदी ने 1,52,513 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जो कि उनके पिछले चुनावों में मिले वोटों के अंतर से काफी कम है।
2019 में मोदी ने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव और कांग्रेस के अजय राय को हराकर 4,79,505 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। 2014 में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को हराकर उन्होंने 3,71,784 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि इस बार मोदी की जीत का अंतर नया रिकॉर्ड बनाएगा, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई।
प्रधानमंत्री मोदी की इस जीत के बावजूद, वोटों के अंतर में कमी ने राजनीतिक हलकों में कई सवाल उठाए हैं। जिन कारणों से वोटों का अंतर कम हुआ है, वह महत्वपूर्ण हैं। एक बड़ा कारण यह है कि इस बार मोदी सरकार को कई मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें महंगाई और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा, वाराणसी में स्थानीय मुद्दों का भी बड़ा असर रहा।
बीजेपी के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी को अभी भी देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिना जाता है। पार्टी के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे इन मुद्दों को गंभीरता से लें और अगले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए रणनीति बनाएं।
वाराणसी में स्थानीय मुद्दों का बड़ा असर रहा। यहां की जनता को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र होने के चलते इस इलाके का विशेष विकास होगा। लेकिन, कई स्थानों पर विकास परियोजनाएं अधूरी रह गईं, जिससे स्थानीय जनता में नाराजगी बढ़ी।
सड़क, पानी, और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी ने भी जनता को निराश किया। व्यापारियों का मानना है कि उन्हें सरकार से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है। इन सभी मुद्दों ने मिलकर नरेंद्र मोदी की जीत पर प्रभाव डाला और जीत का अंतर कम कर दिया।
इस जीत के बाद बीजेपी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। उन्हें यह समझना होगा कि जनता की उम्मीदें अब और बढ़ गई हैं और उन्हें देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। पार्टी को केंद्र और राज्य स्तर पर समन्वित योजनाएं बनानी होंगी ताकि स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों मुद्दों का समाधान हो सके।
यह जरूरी है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को भी इस प्रक्रिया में शामिल करे और उन्हें सभी योजनाओं और प्रोग्रामों के बारे में जानकारी दे। चुनाव जीतने के लिए सिर्फ शीर्ष नेताओं पर निर्भर रहना उचित नहीं होगा; उन्हें जमीनी स्तर पर भी काम करना होगा।
नरेंद्र मोदी को वाराणसी की जनता अब सिर्फ एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखती, बल्कि उन्हें यहां का एक स्थानीय नेता मानती है, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। इस क्षेत्र की जनता को लगता है कि उनके मुद्दों का समाधान प्रधानमंत्री खुद करेंगे और इसलिए उनके लिए बात की महत्वपूर्ण बन गई है।
पार्टी को यह समझना होगा कि जीत के लिए सिर्फ नाम और चेहरे की जरूरत नहीं है, बल्कि काम की भी जरूरत है। विकास के कामों को समय पर पूरा करना और जनता के साथ लगातार संपर्क बनाए रखना पार्टी की जिम्मेदारी है। राजनीतिक वादों को हकीकत में बदलना ही पार्टी को अगली बार और मजबूत बना सकेगा।
चुनाव परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की जनता का आभार व्यक्त किया और कहा कि वे अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाराणसी उनका घर है और इसके विकास के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।
जीत तो हुई, पर अंतर कम होना अच्छा नहीं।
अगर वोटों का अंतर कम हुआ, तो ये बताता है कि लोग सोच रहे हैं। अब सिर्फ नाम से काम नहीं चलेगा। विकास की बातें करो, न कि नारे।
मोदी जी की जीत एक बड़ी बात है, लेकिन अब वाराणसी की सड़कें, पानी, बिजली का सवाल भी जरूरी है। ये सब बदलना चाहिए। 🙏
अब तो लोग बोलने लगे हैं कि नेता तो बस टीवी पर दिखते हैं, वोट देने वाले को नहीं देखते। इस बार वोटों का अंतर कम हुआ तो अच्छा हुआ, वरना सबक नहीं मिलता।
ये जीत बस एक नाम की जीत नहीं है... ये एक अपेक्षा की जीत है। लोग अब चाहते हैं कि जब तुम वाराणसी के लिए बोलो, तो वहां की गलियों में भी उसकी आवाज सुनाई दे। मैंने देखा, बनारस की एक गली में तो अभी तक नहीं गया नाला बना। इसे बदलो। 🌿
कांग्रेस का कोई अच्छा उम्मीदवार नहीं था तो फिर ये क्या बड़ी बात है? लोगों ने बस बीजेपी को वोट दिया क्योंकि दूसरा कोई नहीं था। अब ये बातें बनाना बंद करो।
इतनी बड़ी जीत के बाद भी वोटों में कमी? ये तो साफ है कि लोग अब बातों से नहीं, कामों से देख रहे हैं। और जो काम नहीं हुए, उनका बोझ अब उन्हें भी उठाना होगा।
2014 में केजरीवाल के खिलाफ 3.7 लाख वोट अंतर था, 2019 में 4.7 लाख, अब 1.5 लाख। ये गिरावट बहुत बड़ी है। और अगर ये दर्ज हो गया तो ये रिकॉर्ड नहीं, चेतावनी है।
जनता की उम्मीदों का स्तर बढ़ गया है। अब वो सिर्फ नेता नहीं, बल्कि जिम्मेदार व्यवस्थापक चाहते हैं। वाराणसी में जो विकास नहीं हुआ, वो अब नेता के नाम के लिए नहीं, बल्कि उसकी जिम्मेदारी के लिए लेखा देता है।
मोदी जी की जीत अच्छी है, पर अब वो वाराणसी के लिए जो कुछ कर सकते हैं, वो कर दें। ये बातें लगातार बोलना बंद करो। एक गली का नाला बन जाए तो लोग भूल जाएंगे कि कितने वोट अंतर था। 😊
हर चुनाव में जीत का अंतर कम होना एक सामाजिक बदलाव का संकेत है। लोग अब नेता के वादों को नहीं, उनके कार्यों को देख रहे हैं। ये तो एक बड़ी बात है। अगर बीजेपी इसे समझ गई, तो अगला चुनाव और भी मजबूत होगा।
यहाँ तक कि एक प्रधानमंत्री की जीत भी अब अपने विकास के कार्यों के आधार पर मापी जा रही है। यह एक नया युग है। राजनीति अब नारे नहीं, निर्माण है।
ये जीत तो बहुत बड़ी है, लेकिन इसके बाद क्या हुआ? जनता के लिए तो बस एक नाम और एक तस्वीर रह गई। अब ये देखो कि क्या बदलाव आता है। वरना अगली बार तो बहुत बड़ी चेतावनी होगी।
क्या ये तो लोगों की बुद्धिमत्ता का परिणाम है? अब लोग जानते हैं कि कौन बोल रहा है और कौन कर रहा है। अगर बीजेपी ने ये देख लिया, तो अगले चुनाव में कोई नहीं रोक सकता।
मोदी जी की जीत तो हुई, पर ये बात भी सच है कि अब लोग ज्यादा जाग गए हैं। एक बार बोलो तो दो बार देखो। अब वोट देना बस एक रिवाज नहीं, जिम्मेदारी है।
एक नेता की जीत का अंतर कम होना... यह उसके वादों के अपूर्ण होने का संकेत है। जनता की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अब वे नाम से नहीं, कार्य से जुड़ती हैं।
जीत का अंतर कम होना क्यों खराब है? शायद लोगों ने सोचा कि ये बात तो हमें अपने हाथों से बदलनी है। अब नेता के ऊपर निर्भर रहना बंद करें। अपने घर की सड़क खुद बनाएं। ये तो असली विकास है।
अगर वोटों का अंतर कम हुआ तो इसका मतलब ये नहीं कि लोग नाराज हैं। बल्कि ये कह रहे हैं कि अब तुम अच्छे हो, पर अभी बहुत बाकी है। ये तो एक अच्छा संकेत है।
अब ये सब बातें बस बीजेपी के लिए एक बड़ी चाल है। जब तक वो वाराणसी की गलियों में नहीं आएंगे, तब तक ये जीत भी एक नाम की ही रहेगी।
मैंने देखा, वाराणसी की एक गली में अभी तक नहीं गया नाला बना। अगर ये बदल गया, तो लोग भूल जाएंगे कि कितने वोट अंतर था। वोटों का अंतर कम हुआ, पर विकास का अंतर अभी भी बहुत ज्यादा है।