28
अग॰,2024
आंध्र प्रदेश की एक 48 वर्षीय महिला, विजय लक्ष्मी गली, जो कि एक भारतीय पर्यटक हैं, वे कुआलालंपुर में 23 अगस्त को एक गंभीर घटना के बाद से लापता हैं। उस दिन, सड़क का एक हिस्सा अचानक धंस गया और उन्हें अपने साथ खींच लाया।
घटना Jalan Masjid India पर हुई, जहां सड़क की मिट्टी पहले भी धंस कर प्रभावित हो चुकी थी। इस सड़क को 29 जुलाई को फिर से यातायात के लिए खोला गया था। कुआलालंपुर के पुलिस प्रमुख, रुस्दी मोहम्मद इसा ने बताया कि खोज अभियान बेहद जटिल है क्योंकि उत्तरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में संभावित बाढ़ की संभावना मौजूद है, विशेष कर यदि पाइप या नालियां बंद हो जाती हैं। सार्वजनिक सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों को देखते हुए, इस अभियान को अंजाम देना आसान नहीं है।
अधिकारियों ने घटना स्थल के कुछ हिस्से को अवरुद्ध कर दिया है। वहीं, खुदाई के माध्यम से मलबे को हटाने की कोशिश की जा रही है, मगर अभी तक विजय लक्ष्मी का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस प्रमुख ने सुझाव दिया कि मजबूत भूमिगत जलप्रवाह ने शायद विजय लक्ष्मी को बहा लिया हो। इस अभियान में पुलिस, अग्निशमन और बचाव विभाग, इंदाह वाटर कंसोर्टियम, और सिविल डिफेंस फोर्सेज जैसी कई एजेंसियां शामिल हैं।
सर्च ऑपरेशन में अत्यधिक उन्नत तकनीकों का भी प्रयोग किया जा रहा है। इन तकनीकों में हाई-प्रेशर वॉटर जेट्स, रिमोट कैमरे और ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार शामिल हैं, जिनका उपयोग उन क्षेत्रों की मैपिंग के लिए किया जा रहा है जो सामान्यत: पहुंचविहीन हैं। यह सभी निरीक्षण और उपकरण आधारित कार्यवाही इस अभियान की गहनता को दर्शाती हैं।
मलेशिया में भारतीय हाई कमीशन भी इस मामले में सक्रिय है और संबंधित अधिकारियों से तालमेल बनाए हुए है। कमीशन विजय लक्ष्मी के परिवार को हर संभव सहायता और समर्थन प्रदान कर रहा है।
विजय लक्ष्मी गली अपने पति और दोस्तों के साथ मलेशिया की यात्रा पर दो महीने पहले आई थीं। उनकी योजना 24 अगस्त को अपने घर लौटने की थी, मगर इस अप्रत्याशित घटना ने उनके परिवार और मित्रों को गहरी चिंता और अवसाद में धकेल दिया है।
उधर, 28 अगस्त को, पहले स्थान से 50 मीटर की दूरी पर एक दूसरा सिन्कहोल दिखाई दिया। इसके बाद, पूरे इलाके की सड़क को वाहनों के यातायात के लिए बंद कर दिया गया।
विजय लक्ष्मी की तलाश अब एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन चुकी है, और इस खोज को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उनका परिवार और दोस्त उम्मीद कर रहे हैं कि किसी भी माध्यम से विजय लक्ष्मी सुरक्षित पाई जाएं और यह दुखद स्थिति जल्द से जल्द समाप्त हो।
यह घटना न केवल व्यक्तिगत समस्या है, बल्कि इसके साथ ही सार्वजनिक सुरक्षा और सड़क के विकास के मुद्दों को भी उजागर करती है। स्थानीय प्रशासन और संबंधित एजेंसियों को भविश्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।
ये सब ठीक है पर मैंने सुना है कि ये सिंकहोल किसी एलियन टेक्नोलॉजी का नतीजा है जो सरकार छिपा रही है। वो जगह पर रात को नीली रोशनी दिखती है।
इतनी बड़ी खोज अभियान चल रही है और अभी तक कुछ नहीं मिला तो लगता है जैसे कोई गहरी नली में बह गई हो। बस उम्मीद है कि वो जिंदा हैं।
अरे यार ये सिर्फ एक खोज नहीं है ये एक सिस्टमिक फेलियर है। जुलाई में फिर से खोल दिया और अगस्त में फिर धंस गया। ये निर्माण कंपनियां किस तरह बेकार इंजीनियरिंग कर रही हैं? और अब ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार लगाने की बात कर रहे हो जबकि पानी के बहाव की वजह से वो तो दूर तक बह चुकी होगी। ये सब बस नाटक है। असली जवाब तो ये है कि इन सब लोगों ने इंफ्रास्ट्रक्चर को बिना टेस्ट किए खोल दिया। ये जिंदा नहीं हो सकतीं।
इस घटना के संदर्भ में व्यापक रूप से विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक निर्माण नीतियों में लंबे समय से चल रही अवहेलना ने इस दुर्घटना को असंभव नहीं बल्कि अत्यंत संभाव्य बना दिया है। भूमिगत जल प्रवाह के अनुमानित दबाव के आधार पर इस प्रकार के सिंकहोल्स की आवृत्ति में वृद्धि हो रही है जिसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव अत्यधिक गंभीर है। इसलिए अधिकारियों को तुरंत एक राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा नीति बनाने की आवश्यकता है जिसमें भूगर्भीय अध्ययन और नियमित निरीक्षण शामिल हो।
लगता है ये बस एक और फेल्योर इन अंडरग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट का नतीजा है। ग्राउंड वॉटर फ्लो ने एक विकृत डायनामिक्स बना दिया और टेक्नोलॉजी भी उसके खिलाफ नहीं चल पा रही। अभी तक कोई बचाव नहीं हुआ तो ये अभी भी डेड लॉक है।