तिरुपति लड्डू, जो भक्तों के बीच अत्यधिक श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, अब एक बड़े विवाद की चपेट में आ गया है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आरोप लगाया है कि इस प्रसाद में जानवरों की चर्बी, अपेक्षाकृत गोमांस और सूअर की चर्बी, मिली है। टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकट रामना रेड्डी ने यह दावा करते हुए एक लैब रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे गुजरात स्थित नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की लैब ने तैयार किया था। रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 में एकत्र किए गए घी के नमूनों में इन चर्बी के अंश पाए गए।
तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी पाए जाने की खबर ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। श्रद्धालुओं के लिए यह प्रसाद एक पवित्र वस्तु है, और इसमें ऐसी सामग्री का मिलना उनके विश्वास पर सीधा चोट करता है। टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआरसीपी सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रसाद की गुणवत्ता को गिरा दिया है और इसमें मिलावट की है। वाईएसआरसीपी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
वाईएसआरसीपी के पूर्व मंत्री और नेल्लोर जिला अध्यक्ष के. गोवर्धन रेड्डी ने कहा कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि प्रयोग किए गए घी में वनस्पति वसा है, न कि जानवरों की चर्बी। टीटीडी के इस बयान से स्थिति और अधिक उलझ गई है। क्या लैब रिपोर्ट सही है या टीडीपी के आरोपों में कुछ सच्चाई है, यह सवाल अब सबके मन में है।
टीटीडी की प्रतिष्ठा और प्रासाद के पवित्रता को ध्यान में रखते हुए, टीडीपी सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति में नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी. सुरेंद्रनाथ, डेयरी विशेषज्ञ भास्कर रेड्डी, आईआईएम-बैंगलोर के प्रोफेसर बी. महादेवन और तेलंगाना वेटरनरी यूनिवर्सिटी की डॉ. जी. स्वर्णलता शामिल थे। इस समिति ने घी के नमूनों को एनडीडीबी, गुजरात में भेजा और लैब रिपोर्ट में विदेशी वसा पाए जाने की पुष्टि हुई।
यह विवाद केवल राजनैतिक गलियारों तक सीमित नहीं रहा। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इसे 'गंभीर मुद्दा' बताते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है। राज्य कांग्रेस प्रमुख वाई.एस. शर्मिला, जो वाईएसआरसीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं, ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है ताकि नायडू के आरोपों की सच्चाई सामने आ सके।
दर्दनाक तथ्य यह है कि चूंकि तिरुपति लड्डू अधिकांश हिंदू भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक महत्व रखता है, ऐसे आरोपों से न सिर्फ धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि यह देवस्थानम की प्रतिष्ठा पर भी गहरी चोट है।
यह विवाद इसे विशेष बनाता है कि आस्था से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे में धर्म, राजनीति और भावनाओं की टकराहट है। तिरुपति लड्डू सिर्फ एक मिठाई नहीं है, यह एक प्रतीक है, एक भावनात्मक जुड़ाव है। कई भक्त इसे अपने घरों में प्रसाद की तरह पूजते हैं। टीडीपी के दावे अगर सही साबित होते हैं, तो यह न सिर्फ प्रसाद की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि धार्मिक समर्पण पर भी चोट करेगा।
दूसरी तरफ, वाईएसआरसीपी ने पूरी घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि यह सब विपक्ष द्वारा फैलाई गई झूठी अफवाह है। सरकार ने जल्द से जल्द प्रयोगशाला की जांच और आरोपों की सच्चाई को सामने लाने की बात कही है।
संभवत: इस विवाद का समाधान तभी होगा जब एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच एजेंसी इस मामले की सच्चाई का पता लगाएगी। वाईएसआरसीपी और टीडीपी दोनों ही अपने-अपने दावों में अडिग हैं और जनता को अपनी-अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं।
इस विवाद ने एक बात को साफ कर दिया है कि धार्मिक आस्था और प्रसाद की पवित्रता को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता। भक्तों की उम्मीदें और उनकी भावनाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि उन्हें प्राप्त हो रही वस्तु शुद्ध और पवित्र हो। तिरुपति लड्डू की गुणवत्ता के मामले में भविष्य में किसी भी प्रकार की चूक न होने देने के लिए स्थानीय प्रशासन को और अधिक सतर्कता बरतनी होगी।
इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि धार्मिक भावनाओं के साथ कोई खेल न हो और प्रसाद की पवित्रता ज्यों की त्यों बनी रहे। भक्तों का विश्वास बनाए रखना और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सच्चाई को सामने लाना ही इस विवाद का सबसे अच्छा और तात्कालिक समाधान हो सकता है।
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