बुद्ध पूर्णिमा 2024: अयोध्या के राम मंदिर, हरिद्वार, और वाराणसी में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु 23 मई,2024

बुद्ध पूर्णिमा का महत्वपूर्ण पर्व

23 मई 2024 को पूरे देश में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भव्यता और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती या वेसाक के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को हिन्दू कैलेंडर के वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष इस पावन अवसर पर विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए।

अयोध्या का राम मंदिर

इस वर्ष अयोध्या के राम मंदिर में भी हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे। अयोध्या का राम मंदिर वैसे तो भगवान राम की भक्ति का प्रमुख केंद्र है, लेकिन बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस पवित्र स्थल पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। यहां पहुंचे भक्तों ने हवन और मंत्रोच्चार के साथ भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विशेष ध्यान और साधना के सत्र भी आयोजित किए गए, जिनमें भाग लेने के लिए देशभर से भक्त पहुंचे।

हरिद्वार और प्रयागराज में पवित्र स्नान

हरिद्वार में गंगा के पवित्र तट पर और प्रयागराज में यमुना के तट पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य अर्जित किया। हरिद्वार का हर की पौड़ी घाट और प्रयागराज का त्रिवेणी संगम इन धार्मिक स्थलों के प्रमुख आकर्षण रहे। इन दोनों स्थानों पर दिनभर पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार के गंगा घाटों पर भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष व्यवस्थाएँ कीं।

बोधगया में भव्य आयोजन

बिहार के बोधगया में, जहां गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभायात्रा में भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु शामिल हुए। बोधगया का यह स्थल बुद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में मठाधीशों और धर्मगुरुओं ने अपने प्रवचन दिए और ध्यान सत्र आयोजित किए।

सारनाथ में विधान और ध्यान

वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ भी भगवान बुद्ध का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां उन्होंने अपने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश दिया था। बुद्ध पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सारनाथ में भी भक्तों का तांता लगा रहा। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने ध्यान और साधना के माध्यम से भगवान बुद्ध को स्मरण किया और उनके उपदेशों को आत्मसात किया।

महत्वपूर्ण सुरक्षा और प्रबंधन

इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के मद्देनजर विभिन्न राज्य सरकारों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षा और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा। हरिद्वार में गंगा घाटों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए और भारी वाहनों के आवागमन पर दिनभर प्रतिबंध रहा। अयोध्या, वाराणसी और बोधगया में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए।

बुद्ध पूर्णिमा का ऐतिहासिक महत्व

बुद्ध पूर्णिमा का ऐतिहासिक महत्व

बुद्ध पूर्णिमा न केवल भारत बल्कि विश्वभर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन हमें भगवान गौतम बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों का स्मरण कराता है। लुम्बिनी, जो वर्तमान में नेपाल में स्थित है, भगवान बुद्ध के जन्मस्थान होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन लाखों भक्त बौद्ध मठों और स्तूपों में जाकर ध्यान और साधना करते हैं।

भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी हमें जीवन के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। उनके उपदेश हमें सिखाते हैं कि कैसे जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बुद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को विशेष रूप से ध्यान, परस्पर प्रेम और सहानुभूति के साथ मनाते हैं।

लोकतंत्र का संदेश

भगवान बुद्ध का जीवन और उनके उपदेश न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और संस्थागत रूप से भी महत्वपूर्ण हैं। उनके जीवन से हम सीख सकते हैं कि कैसे एक साधारण मानव भी आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है और समाज में परिवर्तन ला सकता है। उनके लोकतंत्र और समानता के संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और समाज की भलाई के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं।

ऐसे में बुद्ध पूर्णिमा के पर्व पर हमें भगवान बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए और उनके दिखाये मार्ग पर चलकर समाज में शांति और समृद्धि लाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

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