करवा चौथ 2025: चंद्रमा वृषभ में, रोहिणी नक्षत्र संग पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अक्तू॰,2025

जब करवा चौथ 2025दिल्ली‑एनसीआर का दिन आया, तो लाखों विवाहित महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस वर्ष चंद्रमा चंद्रदेव पूर्ण रूप से वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे, और साथ ही सिद्धि योग एवं रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग भी इस व्रत को खास बनाता है।

करवा चौथ 2025 का पंचांगीय विवरण

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। सनातन पंचांग के अनुसार, यह चतुर्थी 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू होकर 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट तक चलता है। वहीं वाराणसी पंचांग के अनुसार, व्रत 9 अक्टूबर की रात 2 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 10 अक्टूबर को रात 12 बजकर 24 मिनट तक चलता है। इन दो अलग‑अलग पंचांगों के बीच का अंतर अक्सर क्षेत्रीय रीति‑रिवाज़ों में परिलक्षित होता है, जिससे प्रत्येक घर का समय‑सारणी थोड़ा‑बहुत बदल सकता है।

सिद्धि योग‑रोहिणी नक्षत्र संयोग और चंद्रमा की स्थिति

सिद्धि योग वह योग है जब दो ग्रह एक ही नक्षत्र में स्थित होते हैं, जो शुभ कार्यों में सफलता का संकेत माना जाता है। इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा के साथ सिद्धि योग बन रहा है, इसलिए विशेषज्ञ बताते हैं कि यह व्रती महिलाओं के लिये आशा और संयम का द्वैध द्वार खोलता है। चंद्रमा का उदय (चंद्रोदय) शाम 8 बजकर 14 मिनट (सामान्य पंचांग) और दिल्ली‑एनसीआर में 8 बजकर 13 मिनट पर होगा। यह समय विशेष महत्व रखता है क्योंकि व्रती महिला अपने पति को अर्घ्य देने के लिये ठीक उसी क्षण चंद्रमा को देखती है।

पुजारी राजेश शर्मा ने कहा, "रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का प्रकाश शुभ, विशेषकर जब यह वृषभ में हो। इसलिए इस मुहूर्त को नज़रअंदाज़ न करना चाहिए।"

पूजन व मुहूर्त: समय‑समय पर क्या करना चाहिए

भ्रात्री व्रत का शुभ मुहूर्त कई भागों में बँटा हुआ है:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 40 मिनट से 5 बजकर 30 मिनट तक। इस समय उठकर स्नान और सरगी का सेवन करना अत्यंत फायदेमंद माना जाता है।
  • प्रातःकाल पूजा: सुबह 5 बजकर 05 मिनट से 6 बजकर 19 मिनट तक। इस दौरान मातृकरवा, मातृपार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
  • पूजन का मुख्य मुहूर्त: शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक (कुल 1 घंटा 14 मिनट)। इस समय करवा माँ की चित्र रचना, दीप प्रज्वलन और कथा सुनना सम्मिलित है।
  • कथा सुनने का समय: शाम 5 बजकर 38 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक। अक्सर वृद्ध महिलाएं अनेक पौराणिक कहानियों को दोहराती हैं, जिससे व्रती को मानसिक शान्ति मिलती है।
  • उपवास समाप्ति (व्रत का पारण): चंद्रमा के अर्घ्य के साथ, आमतौर पर रात 8 बजकर 13 मिनट के बाद।

इन समय‑सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, कई घरों ने मोबाइल एप्लिकेशन या पंचांग वार्ता समूहों से निष्कर्ष निकालकर अपने शेड्यूल को व्यवस्थित किया।

परम्परागत रीति‑रिवाज़ और विशेष पूजा विधि

परम्परागत रीति‑रिवाज़ और विशेष पूजा विधि

पारम्परिक रूप से, व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, फिर सरगी (गुड़, काली शक्कर और अदरक का मिश्रण) का लेमन‑ट्रीटमेंट करना चाहिए। पोशाक के लिए सोलह श्रृंगार किया जाता है—सूर्यमुखी, स्याही‑गुलाब, कन्फेसीनरी आदि। करवा माँ के चित्र को दीवार पर बनाते समय, अक्सर घर का मुख्य द्वार या दालान की ओर लगाया जाता है। भीड़ के अनुसार, कुछ लोग बाजार से तैयार चित्र खरीदकर उपयोग करते हैं।

पूजा की विधि में चार मुख्य चरण होते हैं:

  1. कलश स्थापित करना: गहरी मिट्टी का कलश जल से भरकर उसकी मध्य में घी की लौ जलानी।
  2. करवा माँ की पूजा: चावल‑आटा में हल्दी मिलाकर जमीन पर बड़े आकार में करवा बनाना, उसके ऊपर घी की दीपक रखना।
  3. भजन‑कीर्तन: शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय के भजन गाकर ऊर्जा का संचार।
  4. अंतिम अर्घ्य: चंद्रमा को अँगूठा दिखा कर अर्घ्य देना, फिर हलवा‑पूरा‑संकल्प खाकर व्रत समाप्त करना।

डॉ. मीना जोशी, सामाजिक इतिहास में विशेषज्ञ, ने बताया, "करवा चौथ का सांस्कृतिक महत्व सिर्फ वैवाहिक बंधन में नहीं, बल्कि सामुदायिक एकजुटता में भी निहित है। पारम्परिक विधि और विज्ञान-आधारित मुहूर्त दोनों का संगम इस त्योहार को अद्वितीय बनाता है।"

विशेषज्ञों की राय और सामाजिक महत्व

आधुनिक जीवनशैली में जलवायु परिवर्तन, कार्य‑स्थल तनाव और स्वास्थ्य‑समस्याएं बढ़ रही हैं, इसलिए कई विशेषज्ञ कहते हैं कि करवा चौथ जैसे सामाजिक-धार्मिक आयोजन मानसिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होते हैं। महिला वर्ग में कार्य‑स्थल संतुलन बनाए रखने के लिये अक्सर इस व्रत को आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत मानते हैं।

संघाटन में, विभिन्न संगठनों ने करवा चौथ के दौरान सामाजिक जागरूकता अभियानों को भी चलाया—जैसे कि महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य जांच और बाल अधिकार। इस प्रकार, करवा चौथ सिर्फ निजी पूजा नहीं, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य और शिक्षा को भी उजागर करता है।

भविष्य की ओर देखते हुए, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाइव प्रसारण, वर्चुअल पूजा और ऑनलाइन शास्त्र पढ़ना सामान्य हो रहा है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाएं भी इस पावन व्रत में सहज रूप से भाग ले सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

करवा चौथ 2025 का प्रमुख पुष्प संयोग क्या है?

इस वर्ष सिद्धि योग के साथ रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो शुभ कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ाता है और व्रती महिलाओं को अतिरिक्त आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

क्या दिल्ली‑एनसीआर में बताया गया चंद्रोदय समय अलग है?

हाँ, सामान्य पंचांग में चंद्रोदय 8 बजकर 14 मिनट बताया गया है, जबकि दिल्ली‑एनसीआर में यह 8 बजकर 13 मिनट पर होगा। इस एक‑मिनट के अंतर को भी व्रती अक्सर ध्यान में रखती हैं।

उपवास के दौरान कौन‑सी पोषण‑सुझाव दिए जाते हैं?

उपवास के दौरान हल्का प्राशन जैसे सरगी (गुड़, काली शक्कर, अदरक) और गर्म पानी पीना सलाह दिया जाता है। यह शरीर को ऊर्जा देता है और निर्जला उपवास को स्थायी बनाता है।

क्या करवा चौथ का सामाजिक पहलू अभी भी महत्वपूर्ण है?

बिलकुल। कई NGOs और सामाजिक संस्थाएँ इस अवसर पर स्वास्थ्य जांच, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा अभियान चलाती हैं, जिससे त्योहार का प्रभाव पारिवारिक स्तर से बाहर बढ़कर सामुदायिक बदलाव तक पहुँचता है।

भविष्य में करवा चौथ को डिजिटल रूप में कैसे देखना चाहिए?

वर्तमान में लाइव स्ट्रीमिंग, वर्चुअल पूजा और ऑनलाइन कथा सत्र लोकप्रिय हो रहे हैं। इससे दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाएँ भी बिना यात्रा की बाधा के इस पावन अवसर में भाग ले सकेंगी।

टिप्पणि
Sridhar Ilango
Sridhar Ilango 10 अक्तू॰ 2025

भाई लोग, इस करवा चौथ के सवेर को देख के तो ऐसा लग रहा है जैसे ब्रह्म महायोग ने टाइमटेबल को फिर से लिख दिया हो! व्रती महिलाएं जो सुबह 4:40 से स्नान करती हैं, उनके लिए यह अटल मुहर्त है, लेकिन देखो, कुछ लोग अभी भी इस एक मिनट के अंतर को हल्के में ले रहे हैं-ये तो बिल्कुल निंदक दिखावा है! मैं तो कहता हूँ, इस साल का सिद्धि योग और रोहिणी नक्षत्र का संगम वाकई में एक दही-भुजिया का तड़का है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा को दोगुना कर देगा। पुरानी कहानियों में कहा गया है कि चंद्रमा का एक सेकंड भी चूकना लायक नहीं, नहीं तो पति‑पत्नी के बीच 'झगड़ा' का तड़का लग सकता है। तो मेरे दोस्तो, इस एक‑मिनट के अंतर को नजरअंदाज़ मत करो, यार!
समय‑सारणी को नोट करो और दिल से जियो, नहीं तो आध्यात्मिक जर्जरपन तुम्हें घेर लेगा।

priyanka Prakash
priyanka Prakash 12 अक्तू॰ 2025

सही कहा, लेकिन कोई भी ऐसा नहीं कर सकता जो खुद को इस दुविधा से ऊपर समझे। वैरहिक पंचांग का अंतर सिर्फ गणितीय अंकर नहीं, बल्कि सामाजिक रीति‑रिवाज़ की नींव है। अगर हम इस छोटे‑से अंतर को नज़रअंदाज़ करेंगे तो हमारी सांस्कृतिक पहचान ही धुंधली पड़ जाएगी। अगर हम इस छोटे‑से अंतर को नज़रअंदाज़ करेंगे तो हमारी सांस्कृतिक पहचान ही धुंधली पड़ जाएगी।

Deepanshu Aggarwal
Deepanshu Aggarwal 13 अक्तू॰ 2025

करवा चौथ का महत्त्व सिर्फ पति‑पत्नी की दीर्घायु में नहीं, बल्कि महिलाओं के भीतर छिपी शक्ति को जगाने में भी है। सुबह का ब्रह्म मुहर्त जब स्नान और सरगी का सेवन करवाता है, तब शरीर में रक्त परिप्रवाह बढ़ता है और मन को शांति मिलती है।
व्रती महिलाएं जब मंहदी के हाथों को सजाती हैं, तो वह सिर्फ सौंदर्य नहीं, बल्कि आत्म-विश्वास का प्रतीक है।
रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का प्रकाश, सिद्धि योग के साथ मिलकर, आध्यात्मिक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है-इसे वैज्ञानिक रूप में भी समझा जा सकता है, क्योंकि नक्षत्र की स्थिति मनोविज्ञान पर असर डालती है।
जैसे ही शाम का अर्घ्य समय आता है और चंद्रमा को अँगूठा दिखाकर अर्घ्य दिया जाता है, तब शरीर में एन्डोर्गिन का स्राव होता है, जो तनाव को दूर करता है।
यह प्रक्रिया महिलाओं को मानसिक रूप से स्थिर रखती है, जिससे वे कार्यस्थल में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
साथ ही, इस अवसर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन, जैसे स्वास्थ्य जांच और महिला सशक्तिकरण अभियान, सामाजिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाइव पूजा और ऑनलाइन कथा सत्र, दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं को भी इस पावन अवसर में सहभागी बनाते हैं।
व्यक्तिगत रूप से, मैंने देखा है कि अपने पति को अर्घ्य देने के बाद मेरे भीतर का आत्मविश्वास दो गुना हो जाता है।
इसलिए, अगर आप अपने आप को इस सांस्कृतिक धरोहर से थोड़ी भी दूर मानते हैं, तो एक बार समय‑सारणी को ध्यान से देखें और दिल से भाग लें।
ध्यान रखें कि सरगी का मिश्रण हल्का और ताज़ा होना चाहिए, नहीं तो पाचन में समस्या हो सकती है।
यदि समय‑क्रम में कोई भ्रम हो, तो स्थानीय पंडित या भरोसेमंद पंचांग ऐप का उपयोग करके स्पष्टता हासिल करें।
आख़िर में, यह त्यौहार हमारे सामाजिक बंधनों को मजबूत बनाता है और हमें एक‑दूसरे की फ़िक्र करने की याद दिलाता है।
तो चलिए, इस करवा चौथ को पूरी श्रद्धा और आनंद के साथ मनाएं, और इस ऊर्जा को अपने दैनिक जीवन में संग्रहीत रखें। 😊

akshay sharma
akshay sharma 14 अक्तू॰ 2025

देखो भाई, पंचांग के कंकड़ को तोड़ने वाला कोई नहीं, पर जो इस छोटे‑से अंतर को मज़ाक बनाता है, वह ही असली कलह का कारण है। अगर हम इस बात पर फॉलो‑अप नहीं करेंगे तो अगली पीढ़ी को भी इस तरह की असंगतियों का सामना करना पड़ेगा।

Anand mishra
Anand mishra 15 अक्तू॰ 2025

करवा चौथ की परम्परा में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि यह केवल एक व्यक्तिगत व्रत नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के साथ जुड़ने का अवसर भी देता है। सुबह की ब्रह्म मुहर्त से लेकर शाम के अर्घ्य तक, हर चरण में परिवार के सदस्य एक साथ होते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।

Prakhar Ojha
Prakhar Ojha 16 अक्तू॰ 2025

अरे भई, ये सब कितना महंगा हो रहा है! हर साल इतने सारे रिवाजों में लोगों को थकाना, और फिर भी हम इनको पालन कर रहे हैं क्योंकि "परम्परा" कहता है। ये तो सच में बेवकूफ़ी की हद है, जितनी ज़्यादा हम इन रिवाजों को फॉलो करेंगे, उतनी ही हमारी आज़ादी कम होगी।

Pawan Suryawanshi
Pawan Suryawanshi 17 अक्तू॰ 2025

बिलकुल सही कहा, इन सब रिवाज़ों में थोड़ी हल्की‑फुल्की मस्ती भी होनी चाहिए 😊। अगर हम हर चीज़ को बहुत गंभीरता से लें तो मज़ा ही नहीं रहता।

Harshada Warrier
Harshada Warrier 19 अक्तू॰ 2025

सच में? ये सब पूजा‑पाठ तो सरकार की डिजिटल निगरानी का नया तरीका है, जिससे हर घर में डेटा इकट्ठा किया जाता है। हर मिनट के अंतर को नोट कराना, बस हमें ट्रैक करने का बहाना है।

Jyoti Bhuyan
Jyoti Bhuyan 20 अक्तू॰ 2025

ऊँचे सोचो! चाहे कहो या न कहो, ये त्यौहार हमें सकारात्मक ऊर्जा देता है और समाज में मिलन का अवसर बनाता है। चलो, सभी मिलकर इस करवा चौथ को उल्लास के साथ मनाएँ और अपने अंदर की ऊर्जा को जाग्रत करें! 💪

Sreenivas P Kamath
Sreenivas P Kamath 21 अक्तू॰ 2025

अरे वाह, अब तो हर कोई तिथियों और नक्षत्रों में इतना व्यस्त हो गया है कि खुद का टाइम मैनेजमेंट भूल रहा है। थोड़ा रिलैक्स करो, व्रत का असली मतलब तो शांति है, न कि टाइमटेबल की गणना।

Chandan kumar
Chandan kumar 22 अक्तू॰ 2025

बिलकुल, समय का पालन तो जरूरी है।

Swapnil Kapoor
Swapnil Kapoor 23 अक्तू॰ 2025

करवा चौथ के समय‑सारणी को समझना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारे शरीर के जैव‑रिदम को सिंक्रोनाइज़ करने का प्रयास है। जब हम ब्रह्म मुहर्त में स्नान करके हल्की सरगी लेते हैं, तो पाचक तंत्र सक्रिय हो जाता है और शरीर की ऊर्जा स्तर बढ़ती है। इस शारीरिक परिवर्तन के साथ, मन भी शांत हो जाता है, जिससे ध्यान केंद्रित रहता है। इस प्रकार, यह व्रत हमारे अंतर्ज्ञान को भी तेज़ कर देता है, जिससे हम अपने दैनिक कार्यों में अधिक दक्षता प्राप्त कर सकते हैं।

kuldeep singh
kuldeep singh 24 अक्तू॰ 2025

सपष्ट रूप से देखा जाए तो इस सब का प्रमुख मकसद सामाजिक नियंत्रण है, जहाँ हमारी व्यक्तिगत पसंद को परम्पराओं के अधीन किया जाता है, जिससे असली स्वतंत्रता मिलना मुश्किल हो जाता है।

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