जब समाचारों में "चक्रवात फेंगल" शब्द आता है तो कई लोग उलझन में पड़ जाते हैं। असल में यह एक टाइपो या अनजाना नाम हो सकता है, लेकिन आम तौर पर इसका मतलब बड़ा चक्रवात होता है जो तेज़ हवाओं और भारी बरसात के साथ धरती को प्रभावित करता है। भारत जैसे तटवर्ती देश में ये अक्सर बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से आते हैं और कई बार जीवन‑धंधे पर असर डालते हैं।
चक्रवात बनने का मूल कारण समुद्री सतह का बहुत गर्म होना है। गरम पानी हवा को ऊपर उठाता है, फिर वह ठंडी हो कर नीचे आती है, जिससे घुमावदार हवाओं की लहर बनती है। इस प्रक्रिया में अगर दबाव कम हो जाए तो चक्रवात तेज़ी से बढ़ता है और उसका केंद्र (आँखा) बहुत नुकसानदेह हो जाता है। मौसम विभाग इन संकेतों को रडार और उपग्रह के ज़रिये ट्रैक करता है, जिससे हमें समय पर चेतावनी मिलती है।
पिछले पाँच सालों में भारत ने कई बड़े चक्रवात देखे हैं – 2020 का 'निवेद' (अमरावती), 2021 का 'श्रीला', और 2023 का 'सुभा'। हर बार सरकार ने रेडियो, टीवी और मोबाइल अलर्ट के ज़रिये लोगों को खबर दी थी। इन चेतावनीयों में आम तौर पर दो बातें प्रमुख रहती हैं: evacuation (स्थानांतरण) की सलाह और सुरक्षित रहने के उपाय। उन दिनों कई गांवों को समुद्र तट से दूर ले जाया गया था, जिससे जान‑माल बची।
इन घटनाओं से एक सीख मिलती है – अगर आप समुद्री किनारे या बाढ़‑प्रवण क्षेत्र में रहते हैं तो मौसम विभाग की अपडेट पर नजर रखें और सरकारी निर्देशों का पालन करें। अक्सर लोग अनावश्यक जोखिम लेते हैं, जैसे कि घर में ही रहना या अपने सामान को बाहर रख देना, जो बाद में भारी नुकसान कर सकता है।
1. **सूचना पर ध्यान दें**: हर दिन सुबह मौसम रिपोर्ट पढ़ें या मोबाइल अलर्ट चालू रखें। अगर "चक्रवात चेतावनी" दिखे तो तुरंत योजना बनाएं।
2. **सुरक्षित स्थान चुनें**: घर के अंदर ऊँची मंजिल, मजबूत दरवाज़ा और खिड़कियों वाले कमरे को चुने। यदि संभव हो तो बेसमेंट या अंडरग्राउंड शेल्टर का उपयोग करें।
3. **आपूर्ति जमा रखें**: पानी, टिफिन, दवाई, बैटरी और टॉर्च जैसी चीजें दो‑तीन दिनों के लिए तैयार रखें। बिजली कटने पर ये मदद करेंगे।
4. **इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद करें**: चक्रवात में तेज़ वोल्टेज की वजह से सर्किट टूट सकते हैं, इसलिए सभी इलेक्ट्रॉनिक्स को अनप्लग कर दें।
5. **सड़क और पुलों से दूर रहें**: बाढ़ के दौरान सड़कें अचानक डुबो सकती हैं। यदि आप बाहर हों तो सुरक्षित जगह पर रुकें और मदद का इंतज़ार करें।
इन आसान कदमों को अपनाकर आप न केवल अपनी सुरक्षा बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और पड़ोसियों की मदद भी कर सकते हैं। याद रखें, चक्रवात कोई नई चीज़ नहीं है; हर बार हमें तैयार रहना चाहिए, ताकि नुकसान कम से कम हो।
अंत में एक बात कहना जरूरी है – प्राकृतिक आपदाएँ हमेशा आती रहेंगी, लेकिन हमारी तैयारी और जागरूकता उन्हें नियंत्रित कर सकती है। "चक्रवात फेंगल" जैसे बड़े तूफ़ान भी सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से आसानी से संभाले जा सकते हैं। इसलिए आज ही अपने घर के लिए एक छोटा आपदा‑प्लान बनाइए और हर मौसम में तैयार रहें।
चक्रवात फेंगल ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में मौसम की गंभीर स्थिति उत्पन्न की है। केरलिकाल और महाबलीपुरम के बीच चक्रवात के भूमि से टकराने की संभावना है। इस स्थिति के मद्देनज़र भारतीय मौसम विभाग ने लाल अलर्ट जारी किया है। राज्य ने 2,000 से अधिक राहत शिविर संचालित किए हैं और 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया है।
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