अगर आप बॅडमिंटन फैंस हैं तो HS Prannoy का नाम सुनते ही आपका दिल तेज़ धड़कने लगता है। असम के डिब्रुगढ़ से आया यह खिलाड़ी अपने मजबूत रैली खेल और टिकाऊ फिटनेस से कई बड़े टूर्नामेंट में भारतीय झण्डे को लहराया है।
Prannoy ने 2011 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखा, लेकिन सच में पहचान 2015 के बाद मिली जब वह विश्व क्रमांक 10 की सीढ़ी तक पहुँचा। उसके सबसे यादगार मैचों में से एक था 2018 का कोरियन ओपन फाइनल, जहाँ उसने जापान के टोकुइची को पाँच सेट में हराया। यह जीत न केवल उसकी तकनीक को दिखाती है बल्कि दबाव में रहने की क्षमता भी दर्शाती है।
HS Prannoy ने कई प्रमुख इवेंट्स में मेडल जीते हैं: 2018 का सिंगल्स बेस्ट, 2021 का कालीफोर्निया ओपन और Commonwealth Games 2022 में ब्रॉन्ज़। वह लगातार अपने खेल को बेहतर बनाते रहे हैं, खासकर डिफेंसिव शॉट्स और तेज़ कॉरिडोर मूवमेंट में।
हाल के दो सालों में, Prannoy ने कई बड़े टूर्नामेंट में क्वालिफाइंग राउंड तक पहुंचा है, लेकिन अक्सर सेमीफ़ाइनल या फाइनल में गिर जाता है। इस कारण वह खुद को अधिक मानसिक दृढ़ता देने पर काम कर रहा है। उसके कोच का कहना है कि “हर हार हमें नया सीख देती है” और Prannoy इसे अपने अभ्यास में शामिल करता है।
अब बात करें अगले कदम की तो Prannoy इस साल के ऑस्ट्रेलिया ओपन, भारत ओपन और फिर एशिया बैडमिंटन चैंपियनशिप में भाग लेगा। इन इवेंट्स को लेकर उसकी तैयारी बहुत गंभीर है – रोज़ाना दो घंटे फिजिकल ट्रेनिंग, सत्रह मिनट की नेट प्ले प्रैक्टिस और वीडियो एनालिसिस।
फॉर्म के हिसाब से देखा जाए तो पिछले महीने उसने मलयेशिया ओपन में क्वार्टरफ़ाइनल तक पहुंचा था, जहाँ वह 21-19, 18-21, 21-15 से जीत कर अपने स्ट्रिक थ्रू को साबित किया। यह दिखाता है कि वह लंबे रैली में भी फोकस नहीं खोता।
यदि आप Prannoy के फ़ैंस हैं तो अब समय है उनका समर्थन करने का – चाहे सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट शेयर करना हो या लाइव मैचों में उनका हौसला बढ़ाना। एक छोटा सा उत्साह उनके प्रदर्शन को और भी ऊँचा ले जा सकता है।
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तो अगली बार जब बॅडमिंटन कोर्ट में HS Prannoy को देखें, तो याद रखें कि वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि भारतीय खेल का वो चेहरा है जो कठिनाईयों से लड़कर हमें जीत की उम्मीद देता है।
भारतीय शटलर एचएस प्रणॉय ने पेरिस ओलंपिक में धमाकेदार शुरुआत की, जहां उन्होंने इजरायल के मिशा जिल्बरमैन रॉथ को सीधे गेम्स में मात दी। 31 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी ने 21-12, 21-7 की शानदार जीत दर्ज कर अगले दौर में प्रवेश किया। यह प्रणॉय की पहली ओलंपिक जीत है, जो भारत के लिए बैडमिंटन में पदक की उम्मीद बढ़ा रही है।
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