भारतीय शटलर एचएस प्रणॉय ने पेरिस ओलंपिक में अपनी शानदार योग्यता का परिचय देते हुए अपने पहले मुकाबले में इजरायल के मिशा जिल्बरमैन रॉथ को सीधे गेम्स में हराया। इस जीत ने ना केवल प्रणॉय के आत्मविश्वास को बढ़ाया है, बल्कि भारत की उम्मीदें भी आसमान छू रही हैं। प्रणॉय ने 21-12, 21-7 की शानदार जीत दर्ज की, जो सिर्फ 34 मिनट में ही संपन्न हो गई।
प्रणॉय ने मैच की शुरुआत से ही अपने हावी रहकर खेल का नक्शा बदल दिया। उनके निरंतर अच्छे शॉट्स और रणनीतिक खेल ने रॉथ को पूरी तरह से मात दी। मैच के दौरान रॉथ ने कई बार वापसी की कोशिश की, लेकिन प्रणॉय ने अपनी गति और खेल के नियंत्रण को बनाए रखा।
यह जीत प्रणॉय के लिए उनके ओलंपिक करियर की पहली जीत रही है और यह भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है।
प्रणॉय और भारतीय बैडमिंटन टीम ने इस ओलंपिक के लिए कड़ी मेहनत और तैयारी की है। उनके कोच, मैथियास बोए, ने खिलाड़ियों के तकनीकी और मानसिक दोनों पक्षों पर काम किया है। उनकी मेहनत और तपस्या अब रंग लाती नजर आ रही है।
प्रणॉय का अगला मुकाबला फ्रांस के क्रिस्टो पोपोव और ग्वाटेमाला के केविन कॉर्डोन के बीच होने वाले मैच के विजेता से होगा। यह मुकाबला भी बेहद महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस जीत से भारत के लिए पदक की उम्मीदें और प्रबल हो जाएंगी।
प्रणॉय की इस जीत ने भारत की बैडमिंटन में पदक की संभावनाओं को काफी ऊंचा कर दिया है। भारतीय बैडमिंटन टीम में और भी कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी शामिल हैं, जो बेहतरीन प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं।
प्रणॉय की इस जीत ने न केवल उनके व्यक्तिगत करियर को ऊंची उड़ान दी है बल्कि देश की उम्मीदों को भी सजग किया है। अब देखने की बात यह होगी कि प्रणॉय अपने आगामी मुकाबलों में कैसी रणनीति अपनाते हैं और अपने नाम को इतिहास में किस प्रकार दर्ज कराते हैं।
पेरिस ओलंपिक में प्रणॉय की यह जीत न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगी बल्कि उनके प्रशंसकों और देशवासियों में भी नई उम्मीद की किरण जगा दी है।
एक टिप्पणी लिखें