पिछले हफ़्ते इज़राइल और लिबनान के हिज़्बुल्लाह समूह के बीच गोलीबारी फिर से छिड़ गई। दोनों पक्षों ने एक‑दूसरे पर कई रॉकेट फायर किए, जिससे सीमावर्ती इलाकों में भारी ध्वनि सुनाई दी। यह झड़प सिर्फ स्थानीय लड़ाई नहीं है; इसका असर पड़ोसी देशों और वैश्विक बाजारों तक महसूस किया जा रहा है।
हिज़्बुल्लाह, इज़राइल के साथ कई सालों से तनाव में है क्योंकि वह लेबनान में शिया मोर्चा का प्रमुख शक्ति है और इज़राइल को अपने खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक मानता है। हाल ही में इज़राइल ने गाज़ा पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिससे लिबनानी समूह ने जवाबी रॉकेट चलाए। दोनों तरफ़ से दांव-परतों की बढ़ोतरी इस बार सीमाओं के साथ-साथ समुद्र के पार भी देखी गई, जो पहले कभी नहीं हुआ था।
इज़राइल का कहना है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बचाने के लिए यह कदम उठा रहा है, जबकि हिज़्बुल्लाह ने इसे ‘राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया’ बताया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम रखने की अपील की, लेकिन ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हुई।
इज़राइल‑हिज़्बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव का सीधा असर भारत की शेयरबाजार पर भी दिखा। Sensex ने 74,000 स्तर को पार किया था, लेकिन फिर ईरान-इज़राइल विवाद और अमेरिकी टिप्पणी के बाद अस्थिरता देखी गई। विदेशी निवेशकों की सतर्कता बढ़ने से कई मिड‑कैप स्टॉक्स में गिरावट आई। यह दिखाता है कि मध्य पूर्व की किसी भी बड़ी टकराव का असर भारतीय वित्तीय बाजारों पर तुरंत पड़ जाता है।
सुरक्षा के मोर्चे पर भी भारत को सतर्क रहना पड़ेगा। इज़राइल और भारत के बीच रक्षा सहयोग काफी मजबूत है – मिलिट्री ट्रेनिंग, एरोस्पेस प्रोजेक्ट्स आदि में साझेदारी जारी है। अगर इस संघर्ष से इज़राइल की सैन्य क्षमता में बाधा आती है, तो भारतीय डिफेंस कंपनियों को संभावित सप्लाई चेन रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। इसी कारण से विदेश मंत्रालय ने नियमित रूप से कूटनीतिक संपर्क बनाए रखने और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए तैयारियां करने की बात कही है।
आगे क्या हो सकता है? विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि दोनों पक्ष वार्ता में नहीं आते तो यह टकराव कई हफ्ते या महीने तक चल सकता है। इससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए महँगाई का कारण बन सकती है। इसलिए निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो में एंटी‑इंफ्लेशन स्ट्रैटेजी जोड़ने पर विचार करना चाहिए।
सारांश में कहा जाए तो इज़राइल‑हिज़्बुल्लाह संघर्ष अभी भी विकसित हो रहा है, और इसका असर आर्थिक व सुरक्षा दोनों क्षेत्रों में महसूस किया जा रहा है। भारत को सतर्क रहकर अपने हितों की रक्षा करनी होगी, साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के लिए कूटनीति का समर्थन करना होगा।
इज़राइल ने हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय को निशाना बनाते हुए बेरूत में हवाई हमला किया, जिसमें समूह के नेता हसन नसरल्लाह को लक्षित किया गया। हवाई हमले में कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने महासभा में बयान देकर संघर्ष को जारी रखने की चेतावनी दी है।
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