भारत में हर पाँच साल में लोकसभा का बड़ा चुनाव होता है और इस बार भी कई सवालों के जवाब मिलने वाले हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि युवा वोटर बढ़ रहे हैं, डिजिटल कैंपेन तेज़ी से चल रहा है और कुछ नए गठबंधन सामने आए हैं। अगर आप अपने अधिकार को समझना चाहते हैं तो इस गाइड में पढ़ें, क्योंकि सही जानकारी से ही बेहतर फैसला किया जा सकता है।
हर राज्य में प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी टीम तैयार कर ली है। गठबंधन के हिसाब से देखें तो NDA (बाजपा + शि.) कई सीटों पर भरोसा रख रहा है, जबकि UPA ( कांग्रेस + विभिन्न प्रादेशिक पार्टियां) भी मजबूत दांव लगा रही है। कुछ राज्यों में नई पार्टी जैसे AAP और जेडीए का असर देखना दिलचस्प होगा। उम्मीदवार सूची को आधिकारिक एसीएल वेबसाइट से चेक करें – यह सबसे भरोसेमंद तरीका है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि कई बार स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय राजनीति से ज्यादा महत्व रखते हैं। इसलिए अपने क्षेत्र के विकास योजनाओं, जल परियोजनाओं और रोजगार की स्थिति को देखना ज़रूरी है, न कि सिर्फ पार्टी का झंडा दिखाना। अगर आप किसी उम्मीदवार के रिकॉर्ड को जानना चाहते हैं तो उनके पिछले कार्यों पर एक नजर डालें – कई बार यह निर्णय आसान बना देता है।
वोटिंग 19 अप्रैल से शुरू होकर 23 मई तक चलती है। अगर आपका एन्क्रिप्टेड ई-वीडियो नहीं मिला तो जल्दी से निकटतम मतदान केंद्र पर जाकर अपने फोटो‑आईडी (आधार, पैन या ड्राइविंग लाइसेंस) ले जाना न भूलें। मतदान समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक रहता है, इसलिए ट्रैफ़िक के हिसाब से योजना बनाएं।
पहले ही दिन वोटर सूची में अपना नाम चेक कर लें – अगर कोई गलती दिखे तो तुरंत एसीएल कार्यालय में सुधार करवाएँ। मतदान कक्ष में प्रवेश करने से पहले अपने हाथ को साफ़ रखें, क्योंकि कई जगहें सैनिटाइज़र उपलब्ध करवा रही हैं। बैलट पेपर पर सही बॉक्स मार्क करें और जल्दी‑जल्दी नहीं, बल्कि शांत रहकर करें – एक गलती आपका वोट बर्बाद कर सकती है।
अंत में कुछ आसान टिप्स: अपने घर के पास सबसे नजदीकी मतदान केंद्र का पता पहले से जान लें, राइड शेयर या सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था रखें और यदि संभव हो तो परिवार के साथ जाकर सहारा दें। याद रखिए, वोट देना आपका अधिकार है और इसे इस्तेमाल करना ही लोकतंत्र को मजबूत बनाता है।
सोशल मीडिया कंपनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पर भारतीय लोकसभा चुनाव 2024 के संबंध में की गई गलत टिप्पणी को लेकर विवाद पैदा हो गया है। जुकरबर्ग ने दावा किया था कि भारत में मौजूदा सरकार कोविड-19 के कारण चुनाव हार गई थी। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के नेतृत्व वाली संसदीय समिति इस पर मेटा को समन भेज सकती है।
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