हर दिन हम पेट्रोल या डीज़ल की कीमत देख कर थोड़ा चिंतित हो जाते हैं, है ना? सरकार का टैक्स बदलता रहता है, तेल कंपनियों की किफायती दरें उतार‑चढ़ाव करती रहती हैं। इस लेख में मैं आपको आज की वास्तविक कीमतों, क्यों बदलते हैं ये, और कैसे आप पेट्रोल‑डीज़ल पर थोड़ा बचत कर सकते हैं – सब बता रहा हूँ।
अभी के डेटा के अनुसार, सेंट्रल गैसेज़ बॉर्डर (CGB) ने 1 जनवरी को घोषित की हुई बेस प्राइस पर टैक्स और कस्टम जोड़ने से देश भर में पेट्रोल की औसत कीमत लगभग ₹108 प्रति लीटर है। डीज़ल की कीमत थोड़ा कम, लगभग ₹95 प्रति लीटर रहती है। इन मूल्यों में राज्य‑स्तर के एक्साईज (अतिरिक्त शुल्क) भी शामिल होते हैं – हर राज्य अलग‑अलग दर लेता है, इसलिए एक ही दिन दो शहरों में कीमतें थोड़ी भिन्न दिख सकती हैं।
बाजार में अक्सर कहा जाता है कि पेट्रोल की कीमतें तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती हैं, जबकि डीज़ल का मूल्य थोड़ा स्थिर रहता है क्योंकि इसका उपयोग कई औद्योगिक क्षेत्रों में होता है। इसलिए जब वैश्विक बाजार में तेल की कीमत बढ़ती‑घटती है, तो आम जनता को सबसे पहले पेट्रोल के बिल में असर दिखता है।
कौन नहीं चाहता कि ईंधन खर्च कम हो? यहाँ कुछ सरल टिप्स हैं जो आप तुरंत लागू कर सकते हैं:
इन छोटे-छोटे बदलावों से आप साल भर में कई हजार रुपये बचा सकते हैं, खासकर जब पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ रही हों।
यदि आप किराना या छोटी दूरी की यात्रा के लिए स्कूटर या साइकिल का उपयोग कर रहे हैं तो वह भी एक बड़ा फायदा है। दो पहिया वाहन 3‑4 लीटर/100 km पर चलते हैं, जबकि कारें 8‑12 लीटर तक खपत करती हैं। जहाँ संभव हो, छोटी दूरी पैदल या साइकिल से तय करें – इससे ना केवल पैसा बचता है बल्कि स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
सरकार के नए ईंधन टैक्स नियमों को समझना भी जरूरी है। कई राज्य अब पेट्रोल पर अतिरिक्त कंजेशन टॅक्स लगा रहे हैं, जबकि डीज़ल पर कम या कोई नहीं। इसलिए अगर आपके पास विकल्प हो तो छोटे दूरी की यात्रा में डीज़ल वाले वाहन (जैसे डीज़ल साइड‑वैन) का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।
आखिर में, हमेशा ध्यान रखें कि कीमतें बदलती रहती हैं, इसलिए नियमित रूप से अपने निकटतम पेट्रोल पंप या ऑनलाइन एपीआई से अपडेटेड प्राइस चेक करते रहें। इस तरह आप अचानक बढ़ते बिल का शॉक नहीं झेलेंगे और बजट प्लानिंग भी आसानी से कर पाएँगे।
समाचार दृष्टी पर हम ऐसे ही रोज़मर्रा की जानकारी लाते रहते हैं, ताकि आप आर्थिक फैसले समझदारी से ले सकें। पेट्रोल‑डीज़ल से जुड़ी कोई नई खबर या नीति बदलाव हो तो यहाँ पढ़ना न भूलें।
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाते हैं, तो पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं। किशोर को उम्मीद है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में महत्वपूर्ण निर्णय लेगी।
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