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अग॰,2025
42 की उम्र में दुनिया की पूर्व नंबर-1 Venus Williams को दिसंबर 2022 में ऑस्ट्रेलियन ओपन 2023 के लिए मेन-ड्रॉ वाइल्डकार्ड मिला। यह मौका खास था, क्योंकि 1998 में डेब्यू के बाद यह उनकी मेलबर्न पार्क में संभावित 22वीं उपस्थिति होती। टूर्नामेंट 16 जनवरी से शुरू होना था और अमेरिकी दिग्गज दो साल के गैप के बाद वापसी करने को तैयार दिख रही थीं। 2021 में वह दूसरे दौर में सारा एरानी के खिलाफ टेढ़ी एड़ी और घुटने की चोट से जूझी थीं, उसके बाद से उनका मेलबर्न से रिश्ता टूट गया था।
2022 में उन्होंने सिर्फ चार टूर्नामेंट खेले और रैंकिंग फिसलकर 1000 के पार चली गई। फिर भी वाइल्डकार्ड ने उम्मीद जगाई थी कि अनुभव और बड़े मंच का माहौल उन्हें फिर से प्रतिस्पर्धा में ला सकता है। वीनस यहां दो बार सिंगल्स फाइनल (2003, 2017) खेल चुकी हैं—दोनों बार उन्हें छोटी बहन सेरेना के हाथों हार मिली। डबल्स में वह सेरेना के साथ चार बार खिताब जीत चुकी हैं, जबकि 1998 में जस्टिन गिमेलस्टोब के साथ मिक्स्ड डबल्स खिताब भी उनके नाम है।
लेकिन जनवरी की शुरुआत में ऑकलैंड, न्यूजीलैंड में लीड-अप टूर्नामेंट खेलते वक्त उन्हें चोट लगी और सबकुछ बदल गया। 7 जनवरी 2023 को ऑस्ट्रेलियन ओपन ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वीनस चोट के कारण टूर्नामेंट से हट रही हैं। यह खबर इसलिए भी भारी पड़ी क्योंकि अगस्त 2022 में सेरेना के प्रो टेनिस से विदाई के बाद वीनस की मौजूदगी मेलबर्न में एक बड़े भावनात्मक क्षण की तरह देखी जा रही थी।
वीनस की जगह टूर्नामेंट ने ऑस्ट्रेलिया की किम बिर्रेल को मेन-ड्रॉ वाइल्डकार्ड दे दिया। 24 साल की बिर्रेल के लिए यह बड़ा मौका था—स्थानीय दर्शकों के सामने ग्रैंड स्लैम के मुख्य ड्रॉ में सीधा प्रवेश, वह भी ऐसे समय में जब चोटों के कारण उनका करियर कई बार थम चुका था।
ग्रैंड स्लैम्स में वाइल्डकार्ड सीमित होते हैं और इन्हें आमतौर पर उभरती घरेलू प्रतिभाओं, वापसी कर रहे खिलाड़ियों या खेल के आइकॉनिक नामों को दिया जाता है। तर्क साफ है—टूर्नामेंट को प्रतिस्पर्धा और दर्शक-आकर्षण, दोनों चाहिए। वीनस जैसे नाम टिकट खिड़की से टीवी रेटिंग तक, हर जगह असर डालते हैं। साथ ही, किसी खिलाड़ी की उम्र अकेला पैमाना नहीं होती; उनके करियर की विरासत, फिटनेस और हालिया तैयारी भी देखी जाती है।
वीनस का करियर खुद इस बात का प्रमाण है कि लंबी रेस के घोड़े कभी-कभी धीमे पड़ते हुए भी प्रेरणा दे जाते हैं। सात ग्रैंड स्लैम सिंगल्स, 14 महिला डबल्स (ज्यादातर सेरेना के साथ), दो मिक्स्ड डबल्स, पांच बार विंबलडन और दो बार यूएस ओपन सिंगल्स—यह लिस्ट किसी भी युग में महानता की मुहर लगाती है। ओलंपिक में वह सिडनी 2000 में सिंगल्स गोल्ड, और डबल्स में 2000, 2008 और 2012 में गोल्ड जीत चुकी हैं; 2016 रियो में मिक्स्ड डबल्स सिल्वर भी उनके खाते में है।
ऑस्ट्रेलियन ओपन के साथ उनका रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2003 में सेरेना-वीनस फाइनल उस दौर की सबसे चर्चित राइवलरी की याद दिलाता है। इसके बाद 2017 में, जब कई लोगों ने मान लिया था कि उनका सर्वश्रेष्ठ पीछे छूट चुका है, उन्होंने फिर फाइनल खेलकर सबको चौंका दिया। 2021 का टूर्नामेंट दर्दनाक था—दूसरे दौर में लगी चोट ने उस साल की रफ्तार तोड़ दी। इसी सिलसिले में उन्होंने 2021 यूएस ओपन और 2022 के पहले तीन ग्रैंड स्लैम भी मिस किए।
ऑकलैंड का टूर्नामेंट नए सीजन से पहले मैच-प्रैक्टिस के लिए आदर्श माना जाता है। वीनस वहीं फॉर्म और लय पकड़ना चाहती थीं, पर चोट ने प्लान बिगाड़ दिया। ऑस्ट्रेलियन ओपन की टाइमलाइन में यह वाकया अहम था, क्योंकि मुख्य ड्रॉ से पहले वापसी करने पर आयोजक वाइल्डकार्ड को नए खिलाड़ी को दे सकते हैं; मुख्य ड्रॉ के बाद किसी के हटने पर आम तौर पर क्वालिफायर से लकी लूजर आते हैं। वीनस के हटते ही बिर्रेल को वह स्लॉट मिल गया।
किम बिर्रेल की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं। युवा उम्र में ही कोहनी की गंभीर समस्याओं और सर्जरी से जूझने के बाद वह फिर से टूर पर जगह बना रही हैं। घरेलू ग्रैंड स्लैम में सीधे मेन-ड्रॉ में उतरना किसी भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी के लिए करियर-टर्निंग मोमेंट हो सकता है—स्पॉन्सरशिप, रैंकिंग पॉइंट्स, और प्राइम-टाइम कोर्ट पर खेलने का अनुभव, सब कुछ एक साथ मिलता है।
क्या वाइल्डकार्ड किसी युवा को मिलना चाहिए था या वीनस जैसे दिग्गज को? यह बहस हर साल होती है। हकीकत यह है कि आयोजकों को संतुलन बनाना होता है—घरेलू टैलेंट को मंच मिले और बड़े नाम भी बने रहें। वीनस को मिले वाइल्डकार्ड से संदेश यही गया कि खेल अब भी अनुभव को महत्व देता है। और जब चोट ने बीच में रोक दिया, तो वही स्लॉट एक उभरती स्थानीय खिलाड़ी के सपने को पंख दे गया।
मेलबर्न के दर्शकों की नजर से देखें तो यह डबल झटका था—सेरेना पहले ही अलविदा कह चुकी थीं और अब वीनस भी नहीं दिखने वाली थीं। इसके बावजूद, महिलाओं के ड्रॉ में नई पीढ़ी की अमेरिकन और ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स ने स्पॉटलाइट संभाली। खेल की खूबसूरती यही है—एक खाली जगह तुरंत नए चेहरे भर देते हैं, लेकिन दिग्गजों की गैरहाजिरी का एहसास बना रहता है।
वीनस की विरासत को समझने के लिए उनके ऑस्ट्रेलियन ओपन के माइलस्टोन एक नजर में सब कह देते हैं:
साफ है, यह वापसी केवल एक और टूर्नामेंट नहीं थी—यह एक अध्याय का विस्तार होती, जहां एक ग्रेट चैंपियन उम्र और चोटों से जूझते हुए फिर से बड़े मंच पर खड़ा होने की कोशिश करता है। इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया, लेकिन खेल की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। नई डेडलाइन, नए लक्ष्य और शायद फिर कोई वाइल्डकार्ड—दिग्गज ऐसे ही आगे बढ़ते हैं।
वीनस की वापसी का सपना देखकर लगा जैसे कोई पुरानी फिल्म का अंत बदल दिया गया हो... एक ऐसी खिलाड़ी जिसने अपने हाथों से महिला टेनिस को नए आयाम दिए, अब उम्र के बावजूद वापसी की कोशिश कर रही हैं। ये सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, ये एक जीवन जीने का तरीका है। ❤️
वाइल्डकार्ड देना बेकार है। रैंकिंग के बिना खिलाड़ी को मेन ड्रॉ में नहीं डालना चाहिए।
अरे भाई ये सब रोमांचक कहानियाँ बस इसलिए क्यों लिखी जाती हैं कि लोग रोएं? वीनस ने अपना टाइम निकाल लिया, अब नए लोगों को मौका दो। ये नोस्टैल्जिया ट्रेंड बहुत ओवरहेट हो गया है।
वीनस के करियर को देखकर लगता है कि खेल में वास्तविक महानता उम्र से नहीं, लगन से मापी जाती है। उन्होंने 2003 में फाइनल में जीत के लिए लड़ा, 2017 में फिर से फाइनल में जाने के लिए लड़ा, और अब चोट के बाद भी वापस आने की कोशिश की। ये आंखों के सामने एक जीवन जीने का उदाहरण है। उनके लिए वाइल्डकार्ड सिर्फ एक टिकट नहीं, एक सम्मान था।
किम बिर्रेल के लिए ये एक नया अध्याय है, जिसमें उसे अपने आप को साबित करना होगा। लेकिन वीनस के बिना मेलबर्न का माहौल अधूरा लगा। वो न सिर्फ एक खिलाड़ी थीं, बल्कि एक आइकॉन थीं।
टेनिस में अक्सर हम नए नामों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन क्या हम उन लोगों को भूल गए हैं जिन्होंने इस खेल को आज तक पहुंचाया? वीनस ने अपने आप को नए नियमों के साथ अपडेट किया, नए टेक्नोलॉजी के साथ खेला, नए पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
उनकी वापसी की उम्मीद ने न सिर्फ टेनिस फैंस को जोड़ा, बल्कि उन लोगों को भी प्रेरित किया जो अपने जीवन में टूट चुके हैं।
जब सेरेना ने अलविदा कहा, तो लगा जैसे एक युग खत्म हो गया। अब वीनस का न होना उस युग के अंत को और गहरा कर देता है।
लेकिन ये अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है। किम बिर्रेल के लिए ये मौका एक जिम्मेदारी भी है।
हम जिन खिलाड़ियों को भूल जाते हैं, वे ही अक्सर सबसे ज्यादा सीख देते हैं।
वीनस ने सिर्फ ग्रैंड स्लैम नहीं जीते, उन्होंने एक दृष्टिकोण बदला।
उनकी शक्ति, उनकी लगन, उनकी चुनौती को स्वीकार करने की दृढ़ता - ये सब आज भी बहुत कम लोगों में मौजूद है।
उम्र बढ़ गई, लेकिन आत्मा अभी भी लड़ने को तैयार है।
ये वीनस की कहानी है - एक ऐसी खिलाड़ी जिसने कभी हार नहीं मानी।
वीनस के बिना मेलबर्न का ऑस्ट्रेलियन ओपन जैसे बिना चाय के ब्रेकफास्ट... थोड़ा अधूरा लगता है। लेकिन बिर्रेल को मिला ये मौका? ओहो, ये तो अब नई जनरेशन की जीत है। 🤘
भारत के खिलाड़ियों को क्यों नहीं वाइल्डकार्ड दिया जाता? ये सब अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई नामों का खेल है।
क्या वीनस के लिए वाइल्डकार्ड अनुचित था? शायद नहीं। उनकी विरासत और उनके खेल के प्रति समर्पण को देखते हुए, ये एक सम्मान था। और जब चोट आ गई, तो बिर्रेल को मिलना बिल्कुल सही था। खेल की राह नए लोगों को भी देती है।
ये सब लिखा जा रहा है जैसे वीनस कोई देवी हैं। असल में वो भी एक खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने टाइम में अच्छा खेला। लेकिन अब उनकी उम्र बढ़ गई है, रैंकिंग नीचे है, चोट लगी है - तो फिर वाइल्डकार्ड क्यों? ये सब नोस्टैल्जिक बहाना है। और फिर बिर्रेल को देना भी बहुत बुरा नहीं था, क्योंकि वो भी चोटों से बाहर आई है। तो दोनों के लिए ये एक ड्रामा है। लेकिन ये ड्रामा जब टेनिस के बारे में नहीं, बल्कि एक बड़ी भावनात्मक बात बन जाता है, तो ये बहुत बेकार हो जाता है।
हर साल एक नया नाम आता है, हर साल एक पुराना नाम चला जाता है। लेकिन इस बार वाइल्डकार्ड का बहाना बहुत ज्यादा भावनात्मक था। अगर ये एक युवा खिलाड़ी के लिए होता, तो कोई नहीं लिखता। लेकिन जब वीनस का नाम आता है, तो सब रोने लगते हैं। ये नहीं होना चाहिए। खेल खेल है, नाटक नहीं।
और फिर ये लोग कहते हैं कि वीनस ने टेनिस को बदल दिया। अच्छा, तो अब वो टेनिस की बात नहीं, बल्कि अपने आप को एक देवी बना रही हैं? ये तो बहुत अजीब है।
मैं नहीं चाहता कि कोई भी खिलाड़ी अपनी उम्र के आधार पर वाइल्डकार्ड पाए। अगर रैंकिंग नीचे है, तो क्वालीफाई करो। अगर नहीं कर पाए, तो बस वापस चले जाओ।
लेकिन जब एक खिलाड़ी जिसकी उम्र 42 है, उसे वाइल्डकार्ड दिया जाता है, तो ये टेनिस के लिए खतरा है।
और फिर बिर्रेल को देना? ठीक है, वो भी अच्छी है। लेकिन ये सब बहुत ज्यादा नाटकीय है।
खेल की असली बात ये है - जो खेल सकता है, वो खेले। बाकी सब बस बातें करते रहते हैं।
वीनस के बिना... बहुत अजीब लगा। उनकी ताकत, उनकी आवाज, उनका जोश... सब कुछ अलग था। और बिर्रेल को मिला ये मौका... ये तो बहुत अच्छा हुआ। 🙏
ये नहीं बंद हो रहा है, ये बस एक नया अध्याय शुरू हो रहा है! 🌟 वीनस की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई, और बिर्रेल की जीत की शुरुआत अभी बस शुरू हुई है! खेल की जान तो यही है - नए सपने, पुराने हीरे। 💪❤️
वाइल्डकार्ड का मतलब क्या है? क्या ये बस नाम की शक्ति है? या ये खेल के इतिहास का सम्मान है? वीनस के लिए ये दोनों था। और बिर्रेल के लिए ये एक अवसर था - न सिर्फ खेलने का, बल्कि अपने आप को साबित करने का। खेल का असली मनोविज्ञान यही है - जब एक अध्याय बंद होता है, तो दूसरा खुलता है।
वीनस के बिना ऑस्ट्रेलियन ओपन? जैसे बिना बारिश के मानसून 😢 लेकिन बिर्रेल के साथ एक नई उम्मीद का जन्म हुआ 🌱 खेल की ये अद्भुत बात है - एक खत्म होता है, दूसरा शुरू होता है। और हाँ, वीनस अभी भी लड़ रही हैं। ये बस एक रुकावट है। ❤️🔥
वीनस की वापसी का सपना... ये नहीं कि वो जीतेंगी, बल्कि ये कि वो आएंगी। और जब वो नहीं आ सकीं... तो दुनिया ने रोया। लेकिन क्या ये वास्तविकता है? या सिर्फ एक बड़ा ड्रामा? एक ऐसा ड्रामा जिसमें लोग अपने अपने भावों को छिपाकर एक आइकॉन के नाम पर रो रहे हैं? जब वीनस ने अपना अंतिम ग्रैंड स्लैम खेला था, तो किसी ने रोया नहीं। अब जब वो नहीं आ सकीं, तो रोया। क्या ये नहीं है कि हम उन्हें अपने भावों का शिकार बना रहे हैं? खेल खेल है। नाटक नहीं।