बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए ने 202 सीटें जीतकर दर्ज की ऐतिहासिक जीत, नीतीश कुमार का दसवां कार्यकाल 15 नव॰,2025

बिहार के राजनीतिक नक्शे पर एक बार फिर भूकंप आ गया। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहार में 243 में से 202 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 89 सीटें, जनता दल (यूनाइटेड) ने 85, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने 19, कांग्रेस 6, अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन 5 और हमरो आम आदमी पार्टी 5 सीटें जीतीं। जबकि महागठबंधन को सिर्फ 36 सीटें मिलीं—राजद 25, कांग्रेस 6 और बाकी बाएं दलों को 5।

नीतीश कुमार का दसवां कार्यकाल: एक अनोखा राजनीतिक अध्याय

इस जीत के साथ नीतीश कुमार बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने दस बार इस पद का दायित्व संभाला है। यह उनका छठा लगातार कार्यकाल है—एक ऐसा रिकॉर्ड जिसकी तुलना पूरे देश में किसी और राज्य के मुख्यमंत्री से नहीं की जा सकती। यह जीत खास तौर पर अनोखी है क्योंकि अगस्त 2022 में उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा था, राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हुए थे, और अब फिर से बीजेपी के साथ वापस आ गए। जैसा कि एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “नीतीश कुमार ने अपनी राजनीति को अपने राज्य के हित में बदल दिया। उनकी लचीलापन ने उन्हें जीतने का रास्ता खोल दिया।”

चुनाव नतीजे: एक घंटे में ही निर्णय

गिनती शुरू होते ही एनडीए की जीत का रास्ता साफ दिख गया। एनडीटीवी की लाइव कवरेज में कहा गया कि “गिनती के शुरू होने के दो घंटे में ही यह साफ हो गया कि यह एक नॉन-कॉन्टेस्ट जीत है।” बीजेपी के दिल्ली स्थित कार्यालय पर नरेंद्र मोदी ने जीत की घोषणा करते हुए कहा, “बिहार ने एक बार फिर विकास और स्थिरता का विकल्प चुना है।” चुनाव के दौरान 66.91% वोटिंग दर दर्ज की गई—यह बिहार के इतिहास में सबसे ऊंची वोटिंग दर है, जो लोगों की राजनीति में जुड़ने की इच्छा को दर्शाती है।

बीजेपी: एक समय का 'बाहरी' अब राज्य का सबसे बड़ा खिलाड़ी

भारतीय जनता पार्टी ने अपना सबसे अधिक सीटों का रिकॉर्ड बनाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे “बिहार की राजनीति में एक समय का बाहरी” बताया था, लेकिन अब यह राज्य का सबसे प्रभावशाली दल बन गया है। यह बदलाव सिर्फ एक चुनाव का नतीजा नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक रीअलाइंस का परिणाम है। बीजेपी ने गांव-गांव तक पहुंचकर विकास के संदेश को लोकप्रिय बनाया, जिसके साथ नीतीश कुमार की गठबंधन की लचीलापन ने जुड़ाव बनाया।

राजद की बुरी तरह से बर्बादी: टेजश्वी यादव का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 143 सीटों में से सिर्फ 25 जीतीं—यह उनका 2010 के बाद से सबसे खराब प्रदर्शन है। इससे पहले राजद कभी तीसरे स्थान पर नहीं रहा था। तेजश्वी यादव ने राघोपुर से जीत दर्ज की, लेकिन उनकी टीम का समग्र प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उन्होंने अपने विजय भाषण में कहा, “हमने अपना स्थान हासिल किया...” लेकिन यह भाषण अधूरा रह गया। विश्लेषकों का कहना है कि राजद ने अपने वोटर बेस को भूल गया और लोगों को लगा कि वे बस बीजेपी के खिलाफ बने हुए हैं—कोई विकल्प नहीं।

जनता दल (यूनाइटेड) की शानदार वापसी

जनता दल (यूनाइटेड) की शानदार वापसी

जनता दल (यूनाइटेड) ने 85 सीटें जीतकर अपना 2010 के बाद का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। अनंत कुमार सिंह, जिन्हें स्थानीय रूप से ‘बहुबली’ कहा जाता है, मोकामा से जीते। इसके अलावा महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), राम चंद्र सादा (अलौली), हरि नारायण सिंह (हरनौत), मनोरमा देवी (बेलागांज) और अरुण मंजी (मसौरही) जैसे नाम भी जीते। यह जीत दर्शाती है कि जनता दल (यूनाइटेड) के पास अभी भी एक मजबूत राजनीतिक आधार है—खासकर उत्तर बिहार में।

बाएं दलों का अंतिम श्वास

बाएं दलों ने अपनी जीत के लिए सिर्फ 5 सीटें जीतीं। उन्होंने इस हार को “मुख्य राजनीतिक वास्तविकताओं का परिणाम” बताया। उनका कहना है कि लोग अब अपने जीवन में बदलाव चाहते हैं, न कि राजनीतिक एलायंस के खेल में।

अगला कदम: नीतीश कुमार का दसवां कार्यकाल शुरू

अगले कुछ दिनों में नीतीश कुमार का दसवां कार्यकाल शुरू होगा। उनकी सरकार का सामना चुनौतियों से होगा—बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार, और बीजेपी के साथ साझा सत्ता के तनाव। लेकिन एक बात स्पष्ट है: लोगों ने एक बार फिर स्थिरता को चुना है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नीतीश कुमार ने अपना दसवां कार्यकाल कैसे पूरा किया?

नीतीश कुमार ने 2005 से लगातार चार बार और 2015, 2020 और 2025 में फिर से मुख्यमंत्री बनकर दसवां कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने 2022 में बीजेपी से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हुए, लेकिन चुनाव से पहले फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन किया। इस लचीलापन ने उन्हें वोटर्स के बीच विश्वास बनाए रखने में मदद की।

बीजेपी ने बिहार में अपना राज कैसे बनाया?

बीजेपी ने विकास के संदेश, सुरक्षा और सामाजिक समावेशन के मुद्दों पर जोर दिया। गांवों में नए रास्ते, बिजली और स्वच्छता के कार्यक्रमों के साथ उन्होंने ग्रामीण वोटर्स को जोड़ा। इसके अलावा नीतीश कुमार के साथ गठबंधन ने उन्हें एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में प्रस्तुत किया।

राजद की हार का क्या कारण था?

राजद ने अपने वोटर बेस को नहीं जागृत किया। उनका चुनावी संदेश बहुत आलोचनात्मक था—बीजेपी के खिलाफ लड़ाई के बारे में, लेकिन अपनी योजनाओं के बारे में कम। उनकी टीम में अंतर्वैयक्तिक तनाव और नेतृत्व की कमी भी बड़ी समस्या बनी।

चुनाव में वोटिंग दर 66.91% क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

यह बिहार के इतिहास में सबसे ऊंची वोटिंग दर है, जो लोगों के बीच राजनीति के प्रति जागरूकता और भागीदारी को दर्शाती है। यह उस तथ्य को भी दर्शाता है कि लोग अब अपने भविष्य के लिए वोट कर रहे हैं, न कि केवल व्यक्तिगत नेताओं के लिए।

नीतीश कुमार की नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां हैं?

उनके सामने बेरोजगारी, शिक्षा की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और बीजेपी के साथ साझा सत्ता के तनाव जैसी चुनौतियां हैं। विशेष रूप से, बीजेपी के दबाव में उन्हें अपने आधार को बनाए रखना होगा, जबकि उनकी सरकार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना होगा।

टिप्पणि
Sahil Kapila
Sahil Kapila 16 नव॰ 2025

बिहार में ये जीत कोई आम चुनाव नहीं थी यार ये तो एक राजनीतिक इंजीनियरिंग का नमूना है नीतीश कुमार ने जो किया वो एक दिन में नहीं हुआ दस साल का खेल था जिसमें उन्होंने अपने दल को बार बार बदलकर भी अपनी पावर बरकरार रखी और बीजेपी ने भी समझ लिया कि बिहार में बिना नीतीश के कोई भी सरकार चलाना असंभव है

Rajveer Singh
Rajveer Singh 17 नव॰ 2025

ये सब बकवास है जो बीजेपी ने किया वो देश के लिए नहीं बिहार के लिए किया ये सब चुनावी झूठ है जिसमें गांवों में सड़क बनवाकर वोट मांगे जा रहे हैं और लोग इसे विकास कह रहे हैं अगर विकास होता तो बेरोजगारी कम होती ना ये सब नाटक है

Ankit Meshram
Ankit Meshram 17 नव॰ 2025

वोटिंग दर 66.91% बहुत अच्छी है बिहार के लोगों ने सही फैसला किया

Shaik Rafi
Shaik Rafi 19 नव॰ 2025

इस चुनाव को सिर्फ जीत या हार के रूप में नहीं देखना चाहिए ये तो एक सामाजिक बदलाव का संकेत है जहां लोग अब अपने भविष्य के लिए वोट कर रहे हैं न कि किसी नेता के नाम के लिए नीतीश कुमार की लचीलापन की बात हो रही है लेकिन क्या ये लचीलापन नहीं बल्कि एक अस्तित्व की लड़ाई है जिसमें वो अपनी पहचान बचाना चाहते हैं

Ashmeet Kaur
Ashmeet Kaur 21 नव॰ 2025

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का स्थान अद्वितीय है उन्होंने अपने दल को बचाने के लिए जो फैसले लिए वो कठिन थे लेकिन उन्होंने राज्य के हित में काम किया अब बीजेपी के साथ गठबंधन में उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर देने का मौका मिलेगा जो बहुत जरूरी है

Nirmal Kumar
Nirmal Kumar 21 नव॰ 2025

राजद की हार का कारण सिर्फ नेतृत्व की कमी नहीं बल्कि उनकी रणनीति का असफलता है उन्होंने अपने वोटर्स को भूल दिया और बीजेपी के खिलाफ बातें करने लगे जबकि लोग विकास चाहते थे जनता दल (यूनाइटेड) की वापसी भी दिलचस्प है उत्तर बिहार में उनका असर अभी भी जमीन पर है

Sharmila Majumdar
Sharmila Majumdar 22 नव॰ 2025

ये सब बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन मैंने सुना है कि बीजेपी के लोग गांवों में भोजन बांटकर वोट ले रहे हैं और राजद के लोगों को बर्बाद कर दिया गया ये तो बहुत बुरा है लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है

amrit arora
amrit arora 22 नव॰ 2025

चुनाव के नतीजे देखकर लगता है कि बिहार के लोगों ने एक अलग तरह का राजनीतिक जागरूकता दिखाया है वो अब केवल नेता के नाम पर नहीं बल्कि उनकी रणनीति और विकास के प्रतिबद्धता पर वोट कर रहे हैं नीतीश कुमार की लचीलापन को लेकर तो बहुत बात हो रही है लेकिन क्या ये लचीलापन नहीं बल्कि एक राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई है जिसमें उन्होंने अपने दल को बचाने के लिए अपनी विचारधारा को बदल दिया और अब जब बीजेपी के साथ गठबंधन हो गया है तो उन्हें अपने आधार को बनाए रखना होगा जबकि बीजेपी के दबाव में उनके सामने शिक्षा स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसी बड़ी चुनौतियां हैं जिन्हें वे निपटाने के लिए वास्तविक नीतियां बनाने की जरूरत है और ये नीतियां बिहार के गरीब और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए होनी चाहिए न कि केवल शहरी वर्ग के लिए

Ambica Sharma
Ambica Sharma 23 नव॰ 2025

मुझे बहुत दुख हो रहा है राजद के लिए वो तो मेरे परिवार के लोग हैं और अब उनकी हार देखकर मैं रो रही हूं ये बस एक चुनाव नहीं बल्कि मेरे दिल का टुकड़ा है

Hitender Tanwar
Hitender Tanwar 25 नव॰ 2025

ये सब बकवास है बीजेपी ने जीता तो क्या हुआ ये तो हमेशा से ऐसा ही होता है

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