कैमी बाडेनच: पहली अश्वेत महिला, ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की नई नेता 3 नव॰,2024

कैमी बाडेनच: इतिहास रचते हुए

ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी ने पहली बार अपनी पार्टी की कमान एक अश्वेत नेता को सौंपी है। कैमी बाडेनच इस ऐतिहासिक कदम के साथ पार्टी की नई नेता बनी हैं। बाडेनच, पहली अश्वेत महिला हैं जिन्होंने किसी भी प्रमुख यूके राजनीतिक दल की कमान संभाली है, और अपने जुझारू और स्पष्टवादी तरीके के कारण उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।

संवेदनशील मुद्दों पर अपने दृढ़ नजरियों और 'नो नॉनसेंस' दृष्टिकोण से पहचानी जाने वाली कैमी बाडेनच ने 53,806 वोट प्राप्त कर रॉबर्ट जेनरिक को 41,388 वोटों से हरा दिया। उनका निर्वाचन एक महत्वपूर्ण संकेत है कि ब्रिटेन का सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण बदल रहा है। उन्होंने पार्टी के सदस्यों से किए गए मतदान में सफलता प्राप्त की और पूर्व नेता ऋषि सुनक की जगह ली।

लंदन में जन्मी, नाइजीरिया में पली-बढ़ी

बाडेनच का जन्म यूके में हुआ, लेकिन वे अधिकांश बचपन नाइजीरिया में बिताती रहीं। उन्हें नाइजीरिया के सैन्य शासन के तहत जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। ये अनुभव उन्हें उनके राजनीतिक दृष्टिकोण तक लाने में सहायक रहे। वे 16 वर्ष की उम्र में यूके लौटकर शिक्षा प्राप्त करने गईं। उनकी इस यात्रा ने उन्हें अपने करियर की दिशा तय करने में मदद की।

राजनीतिक यात्रा

राजनीतिक यात्रा

2017 में ब्रिटेन की संसद की सदस्य बनीं बाडेनच ने अपने राजनीतिक करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है। उनके कार्यकाल के दौरान, वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार सचिव के रूप में नियुक्त हुईं, जहां उन्होंने यूके-भारत मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की। बाडेनच की 'फ्री ट्रेड' और खुले बाजार की विचारधारा ने कई बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई।

नई भूमिका, नई चुनौतियाँ

अपने नेतृत्व में, कैमी ने पार्टी को नया दिशा देने का वादा किया है। अपने चुनावी अभियान के दौरान, उन्होंने एकत्रीकरण पर जोर दिया और प्रवासियों से कहा कि वे अपने भूतकाल के मतभेदों को भुलाकर ब्रिटेन में योगदान दें। इसके साथ ही, उन्होंने भारत के साथ व्यापार करार को महत्वपूर्ण बताया, हालांकि उन्होंने भारतीय संरक्षणवादी रुख को एक बाधा के रूप में स्वीकार किया।

बाडेनच का दृष्टिकोण

बाडेनच का दृष्टिकोण

उनके अनुसार, भारत और पश्चिमी देश के रिश्तों को मजबूत करना वर्तमान के कठिन वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण में आवश्यक है। बाडेनच का यह दृष्टिकोण उन्हें एक बौद्धिकता और स्पष्टवादी राजनीति का प्रतीक बनाता है, और उनका यह साहसिक कदम ब्रिटेन की राजनीति में एक नया अध्याय खोलता है।

कैमी बाडेनच की यह यात्रा न केवल उनके राजनीतिक करियर की एक पहचान बनी है, बल्कि यह इंग्लैंड में विविधता और सहिष्णुता के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम है। लंबे समय से स्थापित रूढ़ियों को चुनौती देते हुए, बाडेनच की जीत ने राजनीति में नई उम्मीदों को जन्म दिया है।

टिप्पणि
Akshay Gulhane
Akshay Gulhane 4 नव॰ 2024

इतिहास बन रहा है। एक अश्वेत महिला जो कंजर्वेटिव पार्टी की नेता बनी... ये सिर्फ ब्रिटेन की बात नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है।
अगर तुम अपने अनुभवों को अपनी ताकत बना लो, तो कोई भी दीवार तुम्हें रोक नहीं सकती।

Deepanker Choubey
Deepanker Choubey 4 नव॰ 2024

ये लड़की तो बस बातें नहीं कर रही, काम भी कर रही है 😍
भारत-यूके ट्रेड एग्रीमेंट पर जो बात कर रही है, वो सच में दिमाग वाली है।
अब तो भारत को भी ऐसे नेता चाहिए, जो सिर्फ ट्वीट न करें बल्कि समझदारी से बात करें 🙌

Roy Brock
Roy Brock 4 नव॰ 2024

हमेशा ऐसा ही होता है... जब कोई नया नेता आता है, तो लोग उसे एक अलौकिक चमत्कार बना देते हैं।
क्या ये वाकई इतनी अद्भुत है? या बस नए विषय की तलाश में मीडिया ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है?
मैं तो बस ये देखना चाहता हूँ कि अगले छह महीने में वो क्या करती है।
क्या वो अपने वादों को पूरा कर पाएगी? या फिर बस एक और फोटो ऑप्टिकल इल्यूजन बन जाएगी?

Prashant Kumar
Prashant Kumar 5 नव॰ 2024

वो नाइजीरिया में बड़ी हुईं, तो उसका अपना देश के लिए दृष्टिकोण क्या होगा? यूके की राजनीति में उसकी भूमिका को नाइजीरियाई सैन्य शासन के अनुभव से जोड़ना बहुत आसानी से नहीं होता।
और भारत के साथ व्यापार समझौता? भारत तो अभी भी संरक्षणवादी है। उसका ये दृष्टिकोण बिल्कुल गलत है।

Prince Nuel
Prince Nuel 6 नव॰ 2024

ये सब बकवास है। एक लड़की के नाम से ब्रिटेन की राजनीति बदल गई? अब तो लोग रंग और लिंग के आधार पर नेता चुन रहे हैं, न कि उनकी योग्यता के आधार पर।
ये जो बातें कर रहे हो, वो बस पोलिटिकल करेक्टनेस का नाटक है।

Sunayana Pattnaik
Sunayana Pattnaik 7 नव॰ 2024

मुझे लगता है ये सब बहुत अधिक नाटकीय है।
एक व्यक्ति के वंश को उसकी योग्यता के बराबर नहीं ठहराया जा सकता।
और ये व्यापार समझौता? भारत के साथ बातचीत करना तो बहुत आसान है, लेकिन उनके नियमों को बदलने की कोशिश करना बेकार है।
ये सब बस एक नए बैनर के नीचे पुराने विचारों का दोहराव है।

akarsh chauhan
akarsh chauhan 7 नव॰ 2024

इस तरह के नेता बनने से बच्चों को लगता है कि कोई भी अपना सपना पूरा कर सकता है।
कोई भी रंग, कोई भी लिंग, कोई भी पृष्ठभूमि - अगर तुम्हारे अंदर इच्छाशक्ति है, तो तुम कुछ भी बन सकते हो।
ये बस एक नेता नहीं, एक प्रेरणा है।
हमें इस तरह के लोगों को सलाह देना चाहिए, न कि उनकी तुलना करना।

soumendu roy
soumendu roy 9 नव॰ 2024

इस नेता की राजनीतिक यात्रा को देखकर एक बात स्पष्ट होती है - अनुभव वह शिक्षा है जो किताबों में नहीं मिलती।
नाइजीरिया के सैन्य शासन के अनुभव ने उन्हें वह दृढ़ता दी है जो बहुत से यूरोपीय नेताओं के पास नहीं है।
उनका दृष्टिकोण वैश्विक राजनीति के लिए एक नया मॉडल हो सकता है।

Kiran Ali
Kiran Ali 9 नव॰ 2024

इतना बड़ा नाम बनाने के बाद भी वो भारत के साथ व्यापार को बढ़ावा दे रही हैं? भारत तो अभी भी बहुत अनियमित है।
ये नेता बहुत जल्दी अपने विश्वास में आ गई हैं।
उन्हें ये समझना चाहिए कि भारत एक अवसर नहीं, एक जोखिम है।
और अगर वो ये गलती करती हैं, तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर नुकसान होगा।

Kanisha Washington
Kanisha Washington 11 नव॰ 2024

यह बहुत सुंदर है। एक महिला, जो अपने देश के बाहर बड़ी हुई, और फिर एक ऐसी पार्टी की नेता बनी, जो लंबे समय तक एक निश्चित दृष्टिकोण रखती रही।
इससे लगता है कि दुनिया बदल रही है।
हमें इस बदलाव का स्वागत करना चाहिए।

Rajat jain
Rajat jain 12 नव॰ 2024

इस तरह के नेता की जरूरत है। बस बातें नहीं, काम भी करने वाले।
उनकी बातों में एक असली ताकत है।

Gaurav Garg
Gaurav Garg 14 नव॰ 2024

तो अब हम एक अश्वेत महिला को नेता बनाने के लिए ब्रिटेन की एक पार्टी को तारीफ कर रहे हैं? ये तो बस एक नैतिक निर्णय था।
अगर वो वाकई अच्छी है, तो इसके लिए उसके रंग की जरूरत नहीं थी।
लेकिन अगर वो बुरी है, तो फिर भी उसके रंग की वजह से तारीफ करेंगे?
क्या हम इतने बेचारे हो गए हैं?

Ruhi Rastogi
Ruhi Rastogi 16 नव॰ 2024

बस एक बात बताओ - अगर वो एक सफेद आदमी होती तो क्या ये सब चर्चा होती?

Akshay Gulhane
Akshay Gulhane 17 नव॰ 2024

अगर वो एक सफेद आदमी होती तो शायद इतना ध्यान नहीं दिया जाता।
लेकिन ये सवाल गलत है।
सवाल ये नहीं है कि उसका रंग क्या है - सवाल ये है कि वो क्या कर रही है।
और वो जो कर रही है, वो बहुत बड़ा है।
अगर तुम उसके काम को नहीं देख रहे, तो तुम उसके रंग को देख रहे हो।
और वो तुम्हारी नहीं, दुनिया की बात है।

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