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सित॰,2025
इंस्टीट्यूट ऑफ़ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (IBPS) ने IBPS RRB 2025 के लिये ऑनलाइन पंजीकरण की सीमा 21 सितंबर से बढ़ाकर 28 सितंबर कर दी है। यह बदलाव उन अभ्यर्थियों के लिये है जिन्होंने अभी तक आवेदन पूरा नहीं किया। अब एक और हफ्ता मिल गया है, इसलिए देर न करें।
इस दौर में कुल 13,302 पद खाली किए जाएंगे, जो शुरुआती विज्ञापन में बताए गए 13,217 से थोड़ा बढ़े हैं। ये पद विभिन्न ग्रामीण बैंकिंग संस्थाओं में फैले हुए हैं और दो मुख्य श्रेणियों में बांटे गए हैं:
आवेदन करने के लिये आपको निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
ऑनलाइन आवेदन का पहला चरण 1 सितंबर से शुरू हुआ, और सभी दस्तावेज़ जैसे फोटो, हस्ताक्षर, बायो‑डेटा, बायो‑डाटा फ़ॉर्म व बाएँ अंगूठे के इम्प्रैंट को अपलोड करना अनिवार्य है।
फीस के बारे में जानकारी भी स्पष्ट है: सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 850 रुपये (GST सहित) का भुगतान करना होगा, जबकि SC, ST और PwBD वर्ग के लिए 175 रुपये ही रखना है। स्पेशलिस्ट ऑफिसर पोस्ट के लिये भी वही शुल्क लागू होता है, लेकिन पूर्व सेना के जवान (ESM) और उनकी आश्रित (DESM) को अतिरिक्त छूट मिलती है।
आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:
भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिक परीक्षा, साक्षात्कार और दस्तावेज़ सत्यापन मुख्य चरण हैं। सभी चयनित उम्मीदवारों को बैंकिंग क्षेत्र में स्थायी नौकरी का अवसर मिलेगा, जिससे ग्रामीण भारत की वित्तीय समावेशन में योगदान बढ़ेगा। इस विस्तार के साथ अब इच्छुक युवा अपने आवेदन को सुगमता से पूरा कर सकते हैं, बस समय पर सब्मिट करना न भूलें।
इस बदलाव से बहुत सारे लोगों को राहत मिली है। अभी तक आवेदन नहीं किया था तो अब एक हफ्ता और मिल गया। लेकिन सोचो अगर ये फीस भी घट जाती तो और भी ज्यादा लोग शामिल होते।
अच्छा फैसला। जल्दी से आवेदन कर लो।
ये बदलाव वाकई बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत से उम्मीदवार जिनके पास नौकरी के लिए अभी तक सही दस्तावेज नहीं हैं या फिर घर के कामों में व्यस्त रहते हैं, उनके लिए यह एक बड़ा अवसर है। आवेदन करने के लिए फीस का अंतर भी बहुत अच्छा है, जो गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी समावेशित करता है। यह सिर्फ एक भर्ती नहीं, यह एक सामाजिक बदलाव का हिस्सा है।
अगर तुम्हारे पास 60% नहीं है तो तुम बस बाहर हो जाते हो और फिर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी कोशिश बेकार है। लेकिन अब ये अवसर आ गया है तो इसे न छोड़ो। बस आवेदन कर दो।
अभी तक ये सब ठीक लग रहा है लेकिन जब तुम देखोगे कि ये पद कितने बार खाली रहते हैं और फिर भी लोग नहीं आते तो तुम्हें लगेगा कि ये सिस्टम ही बेकार है। क्यों नहीं सीधे बैंकों को निजीकृत कर देते?
ये सब एक धोखा है। तुम्हें लगता है तुम आवेदन कर रहे हो लेकिन असल में तुम बस एक डेटाबेस में डाले जा रहे हो। बाद में तुम्हें एक फॉर्म भरने के लिए बुलाया जाएगा और तुम्हें एक बार फिर से अपने बायोमेट्रिक्स देने होंगे। ये सब तो सिर्फ तुम्हारे डेटा को इकट्ठा करने के लिए है।
मुझे लगता है कि ये बदलाव बहुत सही है, क्योंकि अगर एक व्यक्ति अपनी योग्यता के आधार पर आवेदन करना चाहता है, तो उसे समय देना चाहिए। ये बस एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक नैतिक निर्णय है।
लोगों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि एससी/एसटी/पीडब्ल्यूबीडी के लिए फीस में छूट का मतलब ये नहीं है कि उनकी योग्यता कम है। ये एक समावेशी नीति है जो अलग-अलग सामाजिक वर्गों को बराबर अवसर देती है। ये आधिकारिक भर्ती नहीं, ये सामाजिक न्याय है।
850 रुपये? बहुत ज्यादा।
ये सब बकवास है। जो लोग ये आवेदन कर रहे हैं वो सिर्फ एक नौकरी की तलाश में हैं। अगर तुम्हारे पास कोई दूसरा रास्ता है तो इस बकवास से दूर रहो।
अगर तुम ग्रामीण भारत में रहते हो तो ये बैंकिंग नौकरी तुम्हारे लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक जीवन बदलने का मौका है। मेरे गाँव के एक लड़के ने ये पद पाया और अब उसकी बहन इंजीनियरिंग पढ़ रही है। ये बदलाव एक छोटी सी चिंगारी है जो एक बड़ी आग बन सकती है।
अब तो ये भी हो गया कि आवेदन की तारीख बढ़ा दी गई। अब तो बस एक दिन में आवेदन कर दो और अपनी बारी का इंतजार करो।
हमारे देश में ये सब अच्छा है लेकिन अगर ये पद भारतीयों के लिए नहीं रखे गए होते तो क्या होता? हमारे यहाँ तो हर चीज़ विदेशियों के लिए छोड़ दी जाती है।
अच्छा हुआ कि तारीख बढ़ा दी गई। अगर तुम अभी तक आवेदन नहीं किया है तो अभी तक तुम्हारे पास समय है। बस फॉर्म भरो, दस्तावेज अपलोड करो और शांत रहो। बाकी सब भगवान पर छोड़ दो।
kuchh log kehte hain ki fee zyada hai lekin agar tumhein ek stable job chahiye toh ye ek chhoti si baat hai. bas form bharna aur submit kardo. koi tension mat lo.