ऑक्टूबर 2025 में NSE‑BSE के ट्रेडिंग बंद, दीवाली मुहूरत सेशन खास 13 अक्तू॰,2025

जब NSE और BSE ने अक्टूबर 2025 के विस्तृत छुट्टी कैलेंडर की घोषणा की, तो ट्रेडर्स के लिए एक खास मौका बन गया – दीवाली के दौरान दीवाली मुहूरत ट्रेडिंग सेशन। इस साल बाजार तीन दिन बंद रहेगा: 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती, 21 अक्टूबर को लक्स्मी पूजा और 22 अक्टूबर को बालिप्रतिपदा।

ऑक्टूबर 2025 के बाजार बंद की पूरी सूची

नीचे भारत के प्रमुख एक्सचेंजों के लिये तय किए गए छुट्टी दिन दर्शाए गये हैं:

  1. गुरुवार, 2 अक्टूबर – महात्मा गांधी जयंती
  2. मंगलवार, 21 अक्टूबर – दीवाली‑लक्ष्मी पूजा (मुहूरत ट्रेडिंग के साथ)
  3. बुधवार, 22 अक्टूबर – दीवाली‑बालिप्रतिपदा

इन तिथियों में NSE, BSE, और अधिकांश डेरिवेटिव प्लेटफ़ॉर्म पूरी तरह बंद रहेंगे। MCX केवल सुबह में रुक कर शाम को फिर से चालू हो सकता है, जबकि NCDEX पूरी तरह बंद रहेगा।

दीवाली मुहूरत ट्रेडिंग क्या है?

मुहूरत ट्रेडिंग सेशन एक छोटा, आध्यात्मिक रूप से शुभ ट्रेडिंग विंडो होता है, जिसकी शुरुआत लक्स्मी पूजा के दौरान होती है। यह परंपरा 1970‑के दशक से चल रही है और आज तक निवेशकों के बीच लोकप्रिय है। दीवाली‑लक्ष्मी पूजा के बाद की पहली घंटा‑बापी ट्रेडिंग को कई लोग सौभाग्य का प्रतीक मानते हैं।

एक अनुभवी ट्रेडर, रवि शेखर (डेल्ही), ने कहा, “मुहूरत सेशन में खरीदी‑बेचियों का भाव अक्सर सकारात्मक रहता है, क्योंकि बाजार में उत्साह का माहौल बना रहता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस सत्र में छोटे‑मोटे निवेशकों का हिस्सा बढ़ रहा है।

बाजार बंद का निवेशकों पर असर

सप्ताहांत के अलावा जब भी बड़े एक्सचेंज बंद होते हैं, ट्रेडर्स को पोर्टफ़ोलियो री‑बैलेंसिंग, जोखिम‑प्रबंधन और रणनीति‑पुनर्मूल्यांकन के लिये अतिरिक्त समय मिलता है। अक्टूबर में तीन लगातार बंद रहने वाले दिन ट्रेडिंग वॉल्यूम को अगले सप्ताह में अस्थायी रूप से बढ़ा सकते हैं।

इतिहास बताता है कि दीवाली‑बाद के पहले ट्रेडिंग दिवस पर NIFTY‑50 में औसत 1.2 % की वृद्धि देखी गयी थी (पिछले पाँच वर्षों में)। हालांकि, अगर ग्लोबल बाजारों में अचानक नकारात्मक डेटा आता है, तो लौटते ही स्थानीय शेयरों में गिरावट भी संभव है।

विशेष रूप से विदेशी निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यू.एस. फेडरल रिज़र्व की नीति घोषणाएँ अक्सर भारतीय बाजारों पर असर डालती हैं। इसलिए, छुट्टी से पहले उन संकेतकों को ट्रैक करना ज़रूरी है।

विशेषज्ञों की राय

सीबीआई सलाहकार सुजाता मेहता का कहना है, “बाजार बंद के दिन निवेशकों को अपनी दीर्घकालिक लक्ष्य‑परक पोर्टफ़ोलियो का पुनरावलोकन करना चाहिए। यह एक अवसर है कि अस्थिरता के दौरान अति‑प्रतिक्रिया से बचा जाए।”

वित्तीय विश्लेषक अंशु वर्मा ने बताया कि “मुहूरत ट्रेडिंग सेशन को अक्सर ‘शुभ शुरुआत’ कहा जाता है, परंतु इसमें उच्च वॉल्यूम के कारण कीमतों में अल्पकालिक उतार‑चढ़ाव हो सकते हैं। याद रखें, छोटा‑सा लाभ भी बड़े जोखिम को छुपा सकता है।”

आगे क्या उम्मीदें?

न्यूनतम एक महीने बाद, NSE आधिकारिक तौर पर मुहूरत ट्रेडिंग के लिए समय‑सीमा घोषित करेगा। अनुमान है कि यह 10 से 15 मिनट की छोटी अवधि होगी, जिसमें प्रमुख इंडेक्स और कुछ चुनिंदा बड़े‑कैप शेयर ही ट्रेड किए जाएंगे।

अगर 2025 के अंत में कोई अप्रत्याशित आर्थिक या भू‑राजनीतिक घटना आती है, तो अक्टूबर‑के बाद के ट्रेडिंग सत्रों में असामान्य वॉल्यूम दिख सकता है। इस कारण, निवेशकों को मार्च‑2026 में घोषित होने वाले अगले बजट के लिए भी तैयारी करनी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

दीवाली मुहूरत ट्रेडिंग में कौन‑से शेयर उपलब्ध होते हैं?

मुख्यतः NIFTY‑50 और फिडेलिटी‑बेंचमार्केड बैंक्स के शेयर इस सत्र में ट्रेड होते हैं। प्रतिदिन की घोषणा में एक्सचेंज यह बताता है कि किन‑किन सुरक्षा‑प्रकारों को हेयरकट किया गया है।

क्या छुट्टी के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है?

आंकड़ों से पता चलता है कि दीवाली‑बंद के बाद के पहले दो ट्रेडिंग दिवसों में औसत वॉल्यूम 18 % तक बढ़ जाता है। यह मुख्यतः निवेशकों के पोर्टफोलियो री‑बैलेंसिंग के कारण है।

MCX का कामकाज कैसे बदलता है?

दीवाली‑छुट्टी के दौरान MCX सुबह 10 वजे बंद रहता है और शाम 4 वजे पुनः खुलता है। यह आधा‑दिन का शेड्यूल शोषण‑ऊर्जा और धातु‑विषयक अनुबंधों पर लागू होता है, जबकि सोना‑ऑनलाईन ट्रेडिंग पूरी तरह से बंद रहता है।

निवेशकों को इस छुट्टी काल में क्या करना चाहिए?

छुट्टी के दौरान पोर्टफोलियो की जाँच, रिस्क‑एजुकेशन, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार की खबरों को फॉलो करना उपयोगी रहता है। साथ ही, दीवाली‑मुहूरत‑सेशन के लिए छोटे‑संकल्पनात्मक निवेश तैयार रखना उचित है।

भविष्य में और कौन‑से विशेष ट्रेडिंग सत्र देखे जा सकते हैं?

न्यूनतम 2026 में राष्ट्रीय बजट‑दिन और वर्ष‑अंत के क्लोज़िंग सत्रों में विशेष ट्रेडिंग टाइम‑स्लॉट की संभावना है। एक्सचेंज अक्सर ऐसे सत्र घोषणा के दो‑तीन हफ्ते पहले इशारा देता है।

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Prince Naeem
Prince Naeem 13 अक्तू॰ 2025

दीवाली के मुहूरत ट्रेडिंग सत्र को देखते हुए मैं सोचता हूँ कि यह सिर्फ़ एक वित्तीय अवसर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी है। इस छोटे‑से समय में निवेशकों की मनोस्थिति में शांति और आशा का मिश्रण होता है। मार्केट की यह अनौपचारिक स्वरुप कई बार दीर्घकालिक धारणाओं को बदल देता है। इस कारण, ट्रेडर्स को रणनीति बनाते समय अपने आंतरिक संतुलन को भी ध्यान में रखना चाहिए। यह सत्र हमें याद दिलाता है कि वित्तीय निर्णयों में भी आध्यात्मिकता का स्थान हो सकता है।

One You tea
One You tea 25 अक्तू॰ 2025

भाई, तुम्हारी बात में तो गहराई है पर थोड़ा एसी रईस‑तरीके की बात हो तो मज़ा आता! मुहूरत की वो बड़ाई कभी‑कभी अत्यधिक हो जाती है, पर सच में पांच मिनट में भाग्य बदलता नहीं। थोडा औफ़िसियल नहीं, बस दिल से लीजिए!

parvez fmp
parvez fmp 6 नव॰ 2025

दीवाली मुहूरत में ट्रेडिंग का मज़ा है! 🎉

Manish Mistry
Manish Mistry 18 नव॰ 2025

सत्र छोटा है, इसलिए लाभ‑हानि का अनुपात अधिक स्पष्ट हो जाता है; यह ही वजह है कि बहुत से ट्रेडर इसे अपेक्षाकृत सतर्कता से देखते हैं।

Rashid Ali
Rashid Ali 30 नव॰ 2025

निवेशकों को दीवाली मुहूरत में अवसर के साथ जोखिम का समीकरण भी समझना चाहिए। पहली बात तो यह है कि अधिकांश बड़े‑कैप स्टॉक्स वही होते हैं जो NIFTY‑50 के भीतर आते हैं, इसलिए वृद्धि की संभावना अधिक रहती है। दूसरी बात यह किछोटे‑छोटे ट्रेडर्स की भागीदारी भी बढ़ती है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में अस्थायी उछाल आता है। कई बार यह उछाल अस्थायी कँपिएशन को भी जन्म देता है, इसलिए स्टॉप‑लॉस को ठीक से सेट करना आवश्यक है। इतिहास ने दिखाया है कि आमतौर पर इस सत्र के बाद अगले दो दिनों में औसत 1.2 % की वृद्धि होती है, पर यह सांख्यिकीय मान सिर्फ़ एक गाइडलाइन है। वैश्विक मार्केट की दिशा, विशेष रूप से यू.एस. फेडरल रिज़र्व की नीति घोषणाएँ, इस सत्र के परिणाम पर गहरा असर डाल सकती हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय संकेतकों को ट्रैक करना न भूलें। ट्रेडर्स को इस समय पोर्टफ़ोलियो री‑बैलेंसिंग करने का भी अच्छा अवसर मिलता है, जिससे दीर्घकालिक लक्ष्य‑परक पुनर्मूल्यांकन आसान हो जाता है। यदि किसी ने पहले कभी इस सत्र में बड़े स्तर पर नुक़सान झेला है, तो वह अब भी सतर्क रहना चाहिए और बहुत अधिक लीवरेज़ से बचना चाहिए। दूसरी ओर, कुछ ट्रेडर्स के लिए यह सत्र लघु‑अवधि में तेज़ मुनाफ़ा लाने का एक साधन बन जाता है, बशर्ते कि वह सही तकनीकी संकेतकों पर आधारित हो। इसलिए, इन दिनों में तकनीकी विश्लेषण के साथ साथ मूलभूत तथ्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इससे निवेशकों को बाजार के अस्थिरता को बेहतर समझने में मदद मिलती है। अंत में, मुहूरत के बाद की पहली ट्रेडिंग सत्र में आम तौर पर उच्च तरलता देखी जाती है, जिससे स्प्रेड कम होते हैं और एग्जीक्यूशन आसान हो जाता है। यह सभी कारक मिलकर इस विशेष सत्र को न केवल सांस्कृतिक, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी रोचक बनाते हैं।

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