आपको पता है, जब सरकार नई नीति बनाती है तो हमारे रोजमर्रा के खर्चों पर सीधा असर पड़ता है। इस पेज पर हम वही बात आसान भाषा में बताते हैं—नयी टैक्स बिल से लेकर शेयर बाजार की हलचल तक। चलिए, देखते हैं क्या नया है और इसका मतलब आपके लिये क्या हो सकता है?
सरकार ने हाल ही में इनकम टैक्स बिल 2025 का ड्राफ्ट जारी किया। सबसे बड़ी खबर यह है कि सालाना ₹12 लाख तक की आय पर टैक्स छूट बरकरार रहेगी। यानी अगर आपकी कमाई इस सीमा के अंदर है, तो आपको अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ेगा। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैल रही थीं कि छूट खत्म हो जाएगी, लेकिन सरकार ने इसे रोक दिया। अब आप निचली वर्ग के लिये राहत महसूस कर सकते हैं, जबकि उच्च आय वालों से थोड़ी अधिक टैक्स वसूली की योजना है।
जैसे ही संसद ने वक्फ (विकास निधि) में कई प्रमुख बदलाव अपनाए, शेयर बाज़ार ने भी झटके महसूस किए। Sensex ने 74,000 का माइलस्टोन पार किया लेकिन इज़राइल-ईरान तकरार और अंतरराष्ट्रीय तनावों से कीमतें अस्थिर हुईं। निवेशकों को अब अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की सलाह दी जा रही है—किसी एक सेक्टर पर पूरी तरह भरोसा नहीं करना चाहिए।
यदि आप छोटे निवेशक हैं, तो ऐसे समय में बैंक डिपॉज़िट या पीपीएफ जैसे सुरक्षित विकल्पों को देख सकते हैं। बड़े खिलाड़ी अब भी तकनीकी और स्वास्थ्य सैक्टर्स में अवसर खोज रहे हैं क्योंकि इन क्षेत्रों की ग्रोथ दीर्घकालिक है।
सरकार ने वक्फ संशोधन पर 14 बदलाव पारित किए, जिसमें मुख्यतः धर्मार्थ संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देना और निधियों का बेहतर प्रबंधन शामिल है। इससे सामाजिक विकास के लिए फंड आसानी से उपलब्ध होंगे, जिससे गरीब वर्ग की स्थिति में सुधार हो सकता है।
इन सबको मिलाकर देखें तो नई नीतियां आम आदमी पर दो तरह का असर डालती हैं—पहला, टैक्स छूट जैसे सीधे लाभ; दूसरा, निवेश माहौल में बदलाव जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। आप चाहे कामकाजी हों या निवेशक, दोनों को इन बिंदुओं को समझना जरूरी है।
एक और महत्वपूर्ण बात—सरकार ने वक्फ संशोधन के बाद JPC (ज्वाइन्ट कमिटी) को कई सिफ़ारिशें दीं, जिसमें छोटे उद्यमियों को ऋण सुविधाएं आसान बनाने का प्रस्ताव शामिल था। इसका मतलब है कि स्टार्ट‑अप या मध्यम स्तर के उद्योगों को अब फंड मिलना आसान हो सकता है। यदि आप अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं, तो इस अवसर को न चूकें।
आखिरकार, आर्थिक नीति सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ नहीं है—यह आपके जेब में आने वाले पैसे और आपके निवेश के रिटर्न को सीधे प्रभावित करती है। इसलिए हर नई घोषणा पर एक बार ध्यान देना चाहिए, चाहे वह टैक्स छूट की खबर हो या वक्फ संशोधन का असर।
समाचार दृष्टी पर हम लगातार ऐसे अपडेट लाते रहेंगे, ताकि आप हमेशा तैयार रहें और सही निर्णय ले सकें। अब जब आपने आर्थिक नीतियों की बुनियादी बातें समझ लीं हैं, तो अगली खबर पढ़ते समय इन पॉइंट्स को याद रखें—आपका वित्तीय भविष्य आपके हाथ में है!
आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। वह इस भूमिका में पीके मिश्रा के साथ काम करेंगे। उनकी नियुक्ति का उद्देश्य उनकी आर्थिक नीति और वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता का फायदा उठाना है।
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