करवा चौथ: भारत की दीवाली‑संध्याओं में खास व्रत

जब हम करवा चौथ, एक ऐसा हिन्दू व्रत है जिसमें विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए सूर्य एवं चंद्रमा की पूजा करती हैं के बारे में बात करते हैं, तो तुरंत ही इस रिवाज के पीछे की भावना और व्यवहार सामने आता है। इस व्रत को व्रत, भोजन‑जल से पूर्ण abstinence और पवित्रता की मंशा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जबकि पूजा, सूर्य‑चन्द्रमा एवं पति‑पत्नी की शक्ति को सम्मानित करने का धार्मिक अनुष्ठान इस प्रक्रिया का मुख्य केंद्र बिंदु है। सरल शब्दों में, करवा चौथ वह समय है जब महिलाएँ सनी और शांत मन से अपने पति के लिए अनंत प्रेम और सुरक्षा की कामना करती हैं।

करवा चौथ का इतिहास प्राचीन पौराणिक कथाओं में जड़ें रखता है—इशानी माता की कहानी, राजा भरत की बहन राहिल की बलिदान गाथा, और शुक्ल-कृष्ण के जूझते देवत्व के बीच संकल्प। इन कहानियों ने व्रत को दो प्रमुख गुणों से भर दिया: संतोष और भक्ति। यही कारण है कि इस दिन का उपवास सूर्यास्त से लेकर चंद्रमा दर्शन तक चलता है, और बाद में पति के साथ मिलकर खीर‑सुईया या चावल‑भात जैसा हल्का भोजन किया जाता है। इस अनुक्रम में तीन तार्किक संबंध स्थापित होते हैं: (1) करवा चौथ encompasses fasting (व्रत), (2) fasting requires abstinence from water and solid food, (3) पूजा influences marital harmony. इन कड़ियों का समझना आपके व्रत को अधिक सहज बनाता है।

मुख्य रस्में, तैयारी और उपयोगी टिप्स

करवा चौथ की तैयारी दो हिस्सों में बाँटी जाती है—शारीरिक और आध्यात्मिक। शारीरिक रूप से महिलाएँ सुबह-सुबह स्नान करके सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़े पहनती हैं; यह शुद्धता का प्रतीक है। फिर संध्याकालीन सवेरा, सूर्य के अस्त होने के बाद खाने‑पीने से दूरी बनाना शुरू होता है। इस दौरान पोषण‑संतुलित ड्रिंक्स जैसे नारियल का पानी या लकीर‑गुड़ को हल्के रूप में सेवन किया जाता है, जिससे ऊर्जा बनी रहती है।

आध्यात्मिक चरण में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है सूर्य पूजा, सूर्य को अर्घ्य देना, हल्दी‑चन्दन से मंदिर सजाना। सूर्यास्त के बाद महिलाएँ अपने पति के साथ चंद्रमा दर्शन, चांद को देख कर पति‑पत्नी के बंधन को सुदृढ़ करना करती हैं। इस समय झुकते‑झुकते हाथ में चाँद का प्रतिबिंब देखना, वही आध्यात्मिक ऊर्जा देता है जो व्रत के लाभ को बढ़ाता है।

प्रैक्टिकल टिप्स की बात करें तो सबसे पहले अपने दिनचर्या में हल्के स्नैक्स की जगह फल‑जूस रखें; यह शरीर को डिहाइड्रेट नहीं होने देता। दूसरा, रात के खाने में तले‑भुने को टालें—भाप वाले या उबले हुए व्यंजन बेहतर होते हैं। तीसरा, व्रत के अंत में पति के साथ मिलकर खिरवली‑अदरक का हल्का शोरबा लें; यह पाचन को सहज बनाता है और ऊर्जा पुनः बहाल करता है। इन छोटे‑छोटे कदमों से करवा चौथ का अनुभव मात्र पूजा नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य‑संतुलित दिन बन जाता है।

जब आप इन मूलभूत बातों को समझ लेते हैं, तो नीचे दी गई लेख‑सूची में मौजूद विविध कवरेज आपको और गहराई देगा। यहाँ आप नवीनतम तिथि‑गणना टूल, लोकप्रिय रेसिपी, विविध राज्य‑वार रिवाज और व्रत‑संबंधी विशेषज्ञ सलाह पाएँगे—जिससे आपका करवा चौथ अनुभव पूर्ण और प्रभावी बन सके। अब आगे बढ़ते हैं, जहाँ प्रत्येक लेख आपके प्रश्नों के उत्तर और नई टिप्स लेकर आएगा।

करवा चौथ 2025: चंद्रमा वृषभ में, रोहिणी नक्षत्र संग पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अक्तूबर 2025
Avinash Kumar 13 टिप्पणि

करवा चौथ 2025: चंद्रमा वृषभ में, रोहिणी नक्षत्र संग पूजा का शुभ मुहूर्त

10 अक्टूबर 2025 को करवा चौथ का व्रत, रोहिणी नक्षत्र और सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग के साथ, दिल्ली‑एनसीआर में विशेष पूजा मुहूर्त के साथ मनाया जाएगा।

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