ओवरसब्सक्रिप्शन क्या है? सरल भाषा में समझें

जब कोई कंपनी अपना IPO लॉन्च करती है, तो निवेशकों से मिलते हैं कई आवेदन। अगर कुल आवेदन की राशि कंपनी के जारी किए गए शेयरों से कई गुना अधिक हो, तो उसे ओवरसब्सक्रिप्शन कहते हैं। इस स्थिति में हर निवेशक को अपने आवेदन के हिसाब से पूरी स allotment नहीं मिलती, बल्कि प्रोपोर्शनल आधार पर बाँटा जाता है।

ओवरसब्सक्रिप्शन क्यों होता है?

कंपनियों की अच्छी ब्रांड, मजबूत बिजनेस मॉडल या बाजार में जल्दी‑जल्दी बढ़ते सेक्टर जैसे होटल, टेक या बायोटेक की वजह से निवेशक उत्सुक होते हैं। उदाहरण के तौर पर, "Brigade Hotel Ventures" का IPO 1.67 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था, जबकि कंपनी का GMP शून्य था। ऐसे मामलों में निवेशकों को लगे‑जले दो‑तीन दिन में शेयर की कीमत में तेज़ी देखने को मिलती है।

एक और केस Google Gemini का "Scheduled Actions" फीचर है – इस फ़ीचर को प्रो/अल्ट्रा सब्सक्राइबर्स को दिया गया, जिससे AI‑आधारित टास्क मैनेजमेंट में बढ़त मिली। जब नया फ़ीचर लाँच हुआ, तो संबंधित शेयरों में बड़ी मांग देखी गई, जिससे ओवरसब्सक्रिप्शन की संभावना बढ़ गई।

ओवरसब्सक्रिप्शन का निवेश पर असर

अगर आप किसी ओवरसब्सक्राइब्ड IPO में भाग लेते हैं, तो दो चीजें ध्यान में रखें:

  • अलोकेशन छोटा हो सकता है: प्रोपोर्शनल एलोकेशन के कारण आपके पास उतने शेयर नहीं होंगे जितना आप चाहेंगे। इसका मतलब है कि अगर कीमत बाद में ऊँची रही, तो आपका लाभ कम हो सकता है।
  • लॉन्च पर कीमत अक्सर ऊपर जाती है: ओवरसब्सक्रिप्शन दर्शाता है कि बाजार में मांग ज़्यादा है, इसलिए IPO के पहले दिन या दो दिन में शेयर की कीमत आमतौर पर इश्यू प्राइस से ऊपर खुलती है।

लेकिन हमेशा याद रखें, हर ओवरसब्सक्राइब्ड IPO में जीत नहीं होती। बाजार की अस्थिरता, कंपनी की अंतर्निहित समस्या या नीतियों में बदलाव कीमत को नीचे भी ले जा सकता है।

इसलिए निवेश से पहले कंपनी के फ़ाइनेंशियल्स, भविष्य की योजना और सेक्टर की ट्रेंड को देखना ज़रूरी है, न कि केवल सब्सक्रिप्शन रेशियो पर भरोसा करना।

उदाहरण के तौर पर, "इनकम टैक्स बिल 2025" में टैक्स छूट लगने से कई निवेशकों ने शेयर बाजार में निवेश बढ़ाया, जिससे कई एंट्री‑लेवल कंपनियों में ओवरसब्सक्रिप्शन देखी गई। लेकिन अगर आप सिर्फ टैक्स राहत के कारण ही निवेश कर रहे हैं, तो कंपनी के प्रॉफिट मॉडल को समझे बिना जोखिम बढ़ सकता है।

एक अच्छा तरीका है - IPO के पब्लिक ऑफ़रिंग डिटेल्स (PO Details) में "Subscription Ratio" देखें। अगर यह 10‑x से 100‑x तक है, तो इसका मतलब बहुत ज़्यादा डिमांड है। ऐसे समय में आप छोटे निवेश से भी प्रॉफिट कमा सकते हैं, बशर्ते शेयर लॉंच के बाद के पहले दो‑तीन हफ़्ते में रेज़िस्टेंस लेवल को समझते हुए ट्रेंड फॉलो करें।

संक्षेप में, ओवरसब्सक्रिप्शन एक संकेत है, लेकिन इसे अकेले भरोसे से नहीं लेना चाहिए। कंपनी के बुनियादी डेटा, सेक्टर की ग्रोथ, और मार्केट सेंटिमेंट को साथ‑साथ देखिए। तभी आप सोच‑समझकर निवेश कर पाएँगे और बड़े‑छोटे जोखिमों को संभाल पाएँगे।

Anondita Medicare IPO: NSE SME पर 90% प्रीमियम के साथ धमाकेदार शुरुआत, 300 गुना बोली ने बनाया नया बेंचमार्क 2 सितंबर 2025
Avinash Kumar 0 टिप्पणि

Anondita Medicare IPO: NSE SME पर 90% प्रीमियम के साथ धमाकेदार शुरुआत, 300 गुना बोली ने बनाया नया बेंचमार्क

Anondita Medicare ने NSE SME पर ₹145 के इश्यू प्राइस के मुकाबले ₹275.50 पर 90% प्रीमियम के साथ लिस्टिंग की। ₹69.5 करोड़ का यह शुद्ध फ्रेश इश्यू 300 गुना सब्सक्राइब हुआ। रिटेल 286.77x, NII 532.25x और QIB 61.4x रहे। कंपनी COBRA ब्रांड से जानी जाती है और 562 मिलियन वार्षिक क्षमता के साथ भारत व निर्यात बाजारों में मौजूद है। जुटाई रकम वर्किंग कैपिटल, मशीनरी और अधिग्रहण पर लगेगी।

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