प्रादेशिक मौसम केंद्र – आपका स्थानीय मौसम साथी

जब आप प्रादेशिक मौसम केंद्र, देश के विभिन्न क्षेत्रों में रीयल‑टाइम मौसम डेटा, चेतावनी और पूर्वानुमान प्रदान करने वाला नेटवर्क. इसे अक्सर स्थानीय मौसम स्टेशन कहा जाता है, तो यह न केवल तापमान बताता है बल्कि तेज़ हवा, बरसात और बाढ़ की संभावनाओं को भी रिकार्ड करता है। भारत मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर भारत मौसम विभाग (IMD), राष्ट्रीय स्तर पर मौसम विज्ञान, आपदा प्रबंधन और चेतावनी जारी करने वाला प्रमुख संस्थान डेटा संग्रहण, मॉडलिंग और वितरित करने में मदद करता है। इसी सहयोग से वर्षा चेतावनी, भारी बारिश या बाढ़ की सम्भावना को दर्शाने वाले अलर्ट और तूफ़ान ट्रैकिंग, साइक्लोन, बाढ़ और धुंधलके के मार्ग को मॉनिटर करने वाली तकनीक बनती है। इस प्रकार, "प्रादेशिक मौसम केंद्र" वायुमंडलीय घटनाओं को स्थानीय स्तर पर समझने का पुल बन जाता है।

मुख्य घटक और उनका आपसी संबंध

प्रादेशिक मौसम केंद्र अपने काम को तीन मुख्य स्तम्भों पर खड़ा करता है: डेटा संग्रहण, चेतावनी जारी करना, और जन जागरूकता बढ़ाना। डेटा संग्रहण में ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन, रडार, उपग्रह इमेजिंग और मौसम बॉलून शामिल हैं। इन सभी स्रोतों से मिले आँकड़ें वायुमंडलीय मॉडलिंग, भविष्य के मौसम पैटर्न को गणितीय समीकरणों से अनुमानित करने की प्रक्रिया में फीड होते हैं, जिससे सटीक पूर्वानुमान निकलते हैं। चेतावनी जारी करने में IMD के आयामिक अलर्ट और प्रादेशिक केंद्रों के स्थानीय एनीमरिंग सिस्टम का सहयोग होता है; उदाहरण के तौर पर, अगस्त 2025 में मुंबई में नारंगी अलर्ट और रायगढ़ में लाल अलर्ट जारी किया गया था, जिससे 791 mm बारिश के बाद जलाशयों के स्तर को 92 % तक पहुंचने से पहले ही राहत कार्य शुरू हो सके। अंत में, जन जागरूकता बढ़ाने के लिए मोबाइल ऐप, SMS, सोशल मीडिया और स्थानीय रेडियो का प्रयोग किया जाता है—इससे किसान, स्कूल, अस्पताल और घर वाले व्यक्ति तुरंत तैयार हो पाते हैं।

इन तीन स्तम्भों के बीच कई लॉजिकल कनेक्शन होते हैं। पहला, "प्रादेशिक मौसम केंद्र" डेटा संग्रहण को वायुमंडलीय मॉडलिंग से जोड़ता है, जिससे सटीक पूर्वानुमान संभव हो पाता है। दूसरा, सटीक पूर्वानुमान वर्षा चेतावनी और तूफ़ान ट्रैकिंग को सशक्त बनाता है, जिससे आपदा प्रबंधन में समय पर प्रतिक्रिया दे पाते हैं। तीसरा, जन जागरूकता सतत डेटा फीडबैक के माध्यम से चेतावनी प्रणाली को सुधारती है, और यह चक्र आगामी मौसम रिपोर्ट को और भरोसेमंद बनाता है। इन ट्रायड्स ने राष्ट्रीय स्तर पर बाढ़ प्रबंधन, जल संसाधन नियोजन और कृषि उत्पादन में सुधार लाया है।

इस पेज पर आप पाएँगे कि कैसे विभिन्न राज्य के प्रादेशिक मौसम केंद्र, जैसे राजस्थान में बंगाल湾 तूफ़ान से सात‑दिन की बरसात चेतावनी, या उत्तर प्रदेश के सदर करवी तहसील में स्थानीय जल स्तर की निगरानी, अलग‑अलग परिस्थितियों में काम करते हैं। आप देखेंगे कि IMD के बड़े स्तर के अलर्ट कैसे छोटे‑छोटे केंद्रों की स्थानीय जानकारी के साथ मिलकर काम करते हैं, और किस तरह से किसानों को बीज बुवाई, मुसलधार मौसम में फसल बचाने की सलाह मिलती है। नीचे दिए गए लेखों में आप नवीनतम अपडेट, तकनीकी विश्लेषण और वास्तविक केस स्टडीज़ पढ़ेंगे—जैसे कि अगस्त 2025 की बाढ़, बंगाल湾 की साइक्लोन चेतावनी और 2025‑26 की जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट। इन सभी को समझने से आप न सिर्फ मौसम की भविष्यवाणी नहीं, बल्कि अपने दैनिक योजना, कृषि कार्य और सुरक्षित यात्रा भी बेहतर बना पाएँगे।

नई दिल्ली के मौसम केंद्र ने 4 अक्टूबर को नारंगी‑पीली चेतावनी, पंजाब‑राजस्थान में भारी बारिश 6 अक्तूबर 2025
Avinash Kumar 10 टिप्पणि

नई दिल्ली के मौसम केंद्र ने 4 अक्टूबर को नारंगी‑पीली चेतावनी, पंजाब‑राजस्थान में भारी बारिश

प्रादेशिक मौसम केंद्र नई दिल्ली ने 4 अक्टूबर को नारंगी‑पीली चेतावनी जारी की, पंजाब‑राजस्थान में भारी बारिश और अरब सागर में चक्रवात "शक्ति" के असर को बताया।

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