आपने कभी वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की का नाम सुना है? अगर नहीं, तो ये लेख आपके लिए है। यहाँ हम आसान भाषा में बताते हैं कि वो कौन हैं, उनका काम क्या है और भारत व दुनिया की ख़बरों में उनका असर कैसे दिखता है। पढ़ते रहिए, जानकारी मिलती रहेगी।
वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की एक यूक्रेनी राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपनी राजनीति में पारदर्शिता, युवा सशक्तिकरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर ज़ोर दिया है। भारत के साथ उनके संबंध व्यापार समझौतों और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान में दिखते हैं। उनकी राय अक्सर विदेश नीति से जुड़ी ख़बरों में आती है, इसलिए नाम सुनते ही लोग ध्यान देते हैं।
पिछले महीने वोलोडिमिर ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के डिजिटल पहल को सराहा था। उन्होंने कहा कि भारत की टेक‑इकोसिस्टम एशिया‑पीसिफिक में सबसे तेज़ है। इस टिप्पणी ने भारतीय स्टार्ट‑अप्स को नई ऊर्जा दी और निवेशकों का ध्यान खींचा।
एक अन्य ख़बर में बताया गया कि वह यूक्रेन‑रूस संघर्ष के दौरान शांति वार्ता में मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत से उन्होंने कई विशेषज्ञों को सलाह माँगी, जिससे यह साफ़ होता है कि दोनों देशों के बीच ज्ञान का आदान‑प्रदान बढ़ रहा है।
समाचार साइट्स ने रिपोर्ट किया कि वोलोडिमिर ने अपने सोशल मीडिया चैनल पर भारतीय युवा उद्यमियों के लिए एक ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च करने की घोषणा की। यह पहल कई कॉलेजों में चल रहे इंटर्नशिप और करियर फेयर को बढ़ावा देगी, जिससे छात्रों का रोजगार स्तर सुधरेगा।
आप देख सकते हैं कि वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की के काम में अक्सर भारत का उल्लेख आता है। चाहे वह व्यापार समझौते हों या शांति वार्ता, उनका दृष्टिकोण हमेशा सहयोगी रहता है। इसलिए उनकी ख़बरें पढ़ना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर अगर आप अंतरराष्ट्रीय राजनीति या बिजनेस में रुचि रखते हैं।
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने चिंता व्यक्त की है कि उत्तर कोरिया रूस की सेना की मदद के लिए अपनी नागरिकों को भेज रहा है। यह सहायता केवल हथियारों की आपूर्ति नहीं बल्कि सीधे उत्तर कोरियाई नागरिकों का रूसी सेना के साथ जुड़ाव भी है। इसमें इन्जीनियरिंग सहायता और खुफिया जानकारी साझा करना शामिल है। दक्षिण कोरिया भी इस संभावना को लेकर सतर्क है और इसके पीछे रूस और उत्तर कोरिया के बीच नए सैन्य गठजोड़ का संदेह है।
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