CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया 26 सित॰,2025

कार्यकाल विस्तार की पृष्ठभूमि

मंत्रालय ने आज औपचारिक तौर पर यह घोषणा की कि रवि अग्रवाल को अगले साल तक CBDT के प्रमुख पद पर बने रहने की अनुमति दी गई है। इस निर्णय को आपंटमेंट कमिटी ऑफ द कैबिनेट ने अप्रैल महीने में मंजूरी दी। विस्तार की मियाद 1 जुलाई 2025 से 30 जून 2026 तक होगी, या फिर अधिसूचना के अनुसार पहले समाप्त होने पर। यह पुनः नियुक्ति अनुबंधीय ढांचे पर होगी, जिसमें सामान्य सरकारी नियमों में कुछ राहत दी गई है।

अगले साल तक जारी रहने वाले इस कार्यकाल का मतलब है कि मौजूदा कर नीतियों को जारी रखने और नई पहलों को तेज़ी से लागू करने का अवसर मिलेगा। इस मिलते-जुलते समय में सरकार को उम्मीद है कि कर प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता और बढ़ेगी।

रवि अग्रवाल के प्रमुख काम और आगे की संभावनाएँ

रवि अग्रवाल के प्रमुख काम और आगे की संभावनाएँ

रवि अग्रवाल, 1988 बैच के आयकर विभाग के अधिकारी, ने जून 2024 में Nitin Gupta की जगह CBDT के चेयरमैन का पद संभाल लिया था। इससे पहले वह जुलाई 2023 से CBDT (Administration) के मेंबर के रूप में काम कर रहे थे, जिससे उन्हें बोर्ड की कार्यप्रणाली और नीति‑निर्माण प्रक्रियाओं की गहरी समझ थी।

अपनी छोटी अवधि में उन्होंने कई ठोस कदम उठाए:

  • टैक्स रिफंड की प्रक्रिया को तेज़ बनाना, जिससे आयकरदाताओं को पैसे मिलने में दिन नहीं बल्कि घंटे लगें।
  • नॉन‑इंट्रूज़िव आउटरीच कार्यक्रम शुरू करना, जहाँ टैक्सपेयर्स को सही फॉर्म भरने में मदद के लिए सलाह दी जाती है, बिना उनके डेटा में दखल दिए।
  • आयकर नियमों को सरल बनाना, विवादों को कम करना और दायरे को स्पष्ट करना।
  • डिजिटल compliance और डेटा एनालिटिक्स को बढ़ावा देना, जिससे कर चोरी के अवसर घटें और वैध रिटर्न में वृद्धि हो।

इन पहलों ने न केवल प्रशासनिक बोझ को घटाया, बल्कि टैक्सपेयर्स के साथ भरोसे को भी मजबूत किया। डिजिटल फाइलिंग और स्वचालित वैरिफिकेशन ने बड़ी कंपनियों और छोटे करदाताओं दोनों के लिए कार्य को आसान बना दिया।

कार्यकाल के विस्तार के साथ, अब अग्रवाल को आने वाले बजट सत्र में कई बड़े बदलावों को देखना पड़ेगा। संभावित सुधार क्षेत्र में शामिल हैं:

  1. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए टैक्स प्रोत्साहन का विस्तार, जिससे मध्यम वर्ग को अतिरिक्त लाभ मिल सके।
  2. स्थिर संपत्ति (real estate) की टैक्सेशन मॉडल को पुनः जांचना, ताकि अंडर‑रिपोर्टिंग कम हो।
  3. ज्वाइंट फ़ाइलिंग और वैध कर बचत के विकल्पों को स्पष्ट करना, ताकि कर दायित्व में झोक़िम कम हो।

इन कदमों को लागू करने में CBDT को वित्त मंत्रालय के साथ घनिष्ठ समन्वय चाहिए, साथ ही राजस्व विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय से निरंतर समर्थन भी अपेक्षित है।

विस्तार आदेश को मंत्रालय ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रिवेन्स एंड पेंशन, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने जारी किया और यह दस्तावेज़ राजस्व विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय तक पहुँचाया गया है। इस तरह का औपचारिक संचार सुनिश्चित करता है कि सभी संबंधित खंड इस बदलाव से जुड़े अपने-अपने कार्यों को समय पर पूरा कर सकें।

संक्षेप में, सरकारी भरोसा और संस्थागत समर्थन के साथ रवि अग्रवाल अब एक साल अधिक समय तक भारत के आयकर नीति‑निर्धारण को दिशा देंगे, जिससे मौजूदा सुधारों को आगे बढ़ाने और नई पहलों को लागू करने का मंच तैयार हो।