सीताराम येचुरी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव और भारतीय राजनीति के जाने-माने चेहरे का 12 सितंबर 2024 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में गंभीर श्वास नली संक्रमण का इलाज करा रहे थे। 19 अगस्त को उन्हें एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां वह श्वास समर्थन पर थे और डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनकी देखभाल कर रही थी।
सीताराम येचुरी भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर लंबे समय से अपनी पहचान बनाए हुए थे। उन्होंने सीपीआई (एम) में अपने कैरियर की शुरुआत की और अपने समर्पण से पार्टी के भीतर प्रमुख स्थान प्राप्त किया। 2005 में वह पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य चुने गए और दो कार्यकालों तक सेवा में रहे। 2015 में उन्हें सीपीआई (एम) के महासचिव के रूप में चुना गया। अपनी इस भूमिका में, उन्होंने पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों को बढ़ावा देने के लिए महत्वर्पूर्ण योगदान किया और समाजवादी विचारधारा को स्थापित किया।
यechury ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बहसों में सक्रिय भाग लिया, जिसमें आर्थिक नीतियां, विदेश नीति और धर्मनिरपेक्षता शामिल हैं। वे विवादास्पद मुद्दों पर अपनी स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ भी उनकी बातचीत में सदैव सौहार्दपूर्ण और व्यावहारिकता का परिचय दिया।
सीताराम येचुरी के निधन के बाद सभी राजनीतिक दलों से श्रद्धांजलियां प्राप्त हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश सहित कई नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी को 'भारत के विचार का संरक्षक' कहा, जबकि जयराम रमेश ने उनकी सजीवता और सक्रिय राजनीति में उनकी धरोहर पर जोर दिया।
सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने के लिए उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ एम्स के बाहर इकट्ठी हुई।
सीताराम येचुरी का जीवन केवल राजनीति तक सीमित नहीं था; वे एक सशक्त विचारक, लेखक और व्याख्याता भी थे। पार्टी के कार्यों और राजनीति के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें उनके सहयोगियों और समर्थकों के बीच अत्यधिक सम्मानित किया था। उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण लेख और पुस्तकें लिखीं, जिनमें भारत की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर विचार किया गया था।
सीताराम येचुरी की विरासत यहीं समाप्त नहीं होती; उन्होंने न केवल अपने राजनीतिक विचारधारा का विस्तार किया बल्कि विचारधारा के अनुकरणीय रास्ते भी दिखाए। उनकी राजनीति में संवेदनशीलता और व्यावहारिकता का मिश्रण अन्य नेताओं के लिए एक आदर्श बना रहेगा। निस्संदेह, उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनके योगदान और उनकी उपलब्धियों को लंबे समय तक याद किया जाएगा।
सीताराम येचुरी का जीवन और उनकी राजनीति एक मजबूत उदाहरण है कि जनता की सेवा के लिए दृढ़ निश्चय और समर्पण का क्या महत्व है। वे हमेशा उन लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं।
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