सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की आयु में निधन 13 सित॰,2024

सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन

सीताराम येचुरी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव और भारतीय राजनीति के जाने-माने चेहरे का 12 सितंबर 2024 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में गंभीर श्वास नली संक्रमण का इलाज करा रहे थे। 19 अगस्त को उन्हें एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां वह श्वास समर्थन पर थे और डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनकी देखभाल कर रही थी।

सीताराम येचुरी की राजनीतिक यात्रा

सीताराम येचुरी भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर लंबे समय से अपनी पहचान बनाए हुए थे। उन्होंने सीपीआई (एम) में अपने कैरियर की शुरुआत की और अपने समर्पण से पार्टी के भीतर प्रमुख स्थान प्राप्त किया। 2005 में वह पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य चुने गए और दो कार्यकालों तक सेवा में रहे। 2015 में उन्हें सीपीआई (एम) के महासचिव के रूप में चुना गया। अपनी इस भूमिका में, उन्होंने पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों को बढ़ावा देने के लिए महत्वर्पूर्ण योगदान किया और समाजवादी विचारधारा को स्थापित किया।

यechury ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बहसों में सक्रिय भाग लिया, जिसमें आर्थिक नीतियां, विदेश नीति और धर्मनिरपेक्षता शामिल हैं। वे विवादास्पद मुद्दों पर अपनी स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ भी उनकी बातचीत में सदैव सौहार्दपूर्ण और व्यावहारिकता का परिचय दिया।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मिले श्रद्धांजलि

सीताराम येचुरी के निधन के बाद सभी राजनीतिक दलों से श्रद्धांजलियां प्राप्त हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश सहित कई नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी को 'भारत के विचार का संरक्षक' कहा, जबकि जयराम रमेश ने उनकी सजीवता और सक्रिय राजनीति में उनकी धरोहर पर जोर दिया।

सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने के लिए उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ एम्स के बाहर इकट्ठी हुई।

व्यक्तिगत जीवन और विरासत

सीताराम येचुरी का जीवन केवल राजनीति तक सीमित नहीं था; वे एक सशक्त विचारक, लेखक और व्याख्याता भी थे। पार्टी के कार्यों और राजनीति के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें उनके सहयोगियों और समर्थकों के बीच अत्यधिक सम्मानित किया था। उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण लेख और पुस्तकें लिखीं, जिनमें भारत की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर विचार किया गया था।

भारत की राजनीति पर छोड़ी अमिट छाप

सीताराम येचुरी की विरासत यहीं समाप्त नहीं होती; उन्होंने न केवल अपने राजनीतिक विचारधारा का विस्तार किया बल्कि विचारधारा के अनुकरणीय रास्ते भी दिखाए। उनकी राजनीति में संवेदनशीलता और व्यावहारिकता का मिश्रण अन्य नेताओं के लिए एक आदर्श बना रहेगा। निस्संदेह, उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनके योगदान और उनकी उपलब्धियों को लंबे समय तक याद किया जाएगा।

सीताराम येचुरी का जीवन और उनकी राजनीति एक मजबूत उदाहरण है कि जनता की सेवा के लिए दृढ़ निश्चय और समर्पण का क्या महत्व है। वे हमेशा उन लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं।

टिप्पणि
Deepanker Choubey
Deepanker Choubey 15 सित॰ 2024

येचुरी साहब का जीवन एक असली समाजवादी का उदाहरण है। बिना किसी धमाकेदार बयान के, बिना किसी ट्वीट के, वो बस लिखते रहे, बात करते रहे, और लोगों को सोचने पर मजबूर करते रहे। 🙏

Roy Brock
Roy Brock 16 सित॰ 2024

यह एक ऐसा नेता था जिसने राजनीति को एक दर्शन बना दिया… जिसने विचार को जीवन दिया… जिसने शब्दों को ताकत बना दिया… जिसने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ा… जिसने गरीब की आवाज़ बनकर रहा… जिसने बिना गुस्से के भी सच बोला… जिसने शांति से विद्रोह किया… और अब वो नहीं हैं… और हम बस इस अंधेरे में खड़े हैं… 😔

Prashant Kumar
Prashant Kumar 16 सित॰ 2024

कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव का निधन अच्छा भी है और बुरा भी। अच्छा क्यों? क्योंकि अब उनके बारे में सब कुछ याद करेंगे। बुरा क्यों? क्योंकि अब कोई नहीं होगा जो इतनी शांति से बात करे।

Prince Nuel
Prince Nuel 18 सित॰ 2024

अरे ये लोग तो बस अपनी बात चलाते रहते हैं। किसी के घर में बात नहीं करने देते। अब ये गया तो अच्छा हुआ। अब तो सब बोलेंगे जो चाहेंगे।

Sunayana Pattnaik
Sunayana Pattnaik 18 सित॰ 2024

ये सब शोर तो इसलिए है क्योंकि वो बहुत बुद्धिमान थे। अगर वो बस एक आम इंसान होते तो कोई नहीं रोता। ये तो सिर्फ एक एलिट की मौत है।

akarsh chauhan
akarsh chauhan 18 सित॰ 2024

ये लोग जो बदलाव लाने के लिए लड़ते हैं, उनकी याद जितनी ज्यादा रहेगी, उतना ही बेहतर भविष्य होगा। आपका जीवन हमेशा याद रहेगा सीताराम जी। 🌱

soumendu roy
soumendu roy 20 सित॰ 2024

मार्क्सवादी विचारधारा का एक अंतिम निर्माता चला गया है। इस युग में जहां सब कुछ ट्रेंड बन जाता है, उनकी लगातार अध्ययन और विश्लेषण की परंपरा अद्वितीय थी।

Kiran Ali
Kiran Ali 21 सित॰ 2024

अरे ये लोग तो बस अपनी नींद में लोगों को जगाते रहे। अब जब वो नहीं हैं, तो सब खुश हो रहे हैं। असली राजनीति तो वो है जो लोगों को नहीं जगाए।

Kanisha Washington
Kanisha Washington 23 सित॰ 2024

उनकी बातें, उनके लेख, उनकी शांति... ये सब अब बहुत कम हो गया है। आज के दौर में जहां सब कुछ जल्दी और जोर से बोला जाता है, उनकी शांत बातचीत एक यादगार अनुभव थी।

Rajat jain
Rajat jain 25 सित॰ 2024

मैंने उनकी एक बातचीत देखी थी। उन्होंने बिना आवाज़ बढ़ाए बहुत कुछ कहा था। ऐसे लोग नहीं बनते।

Gaurav Garg
Gaurav Garg 26 सित॰ 2024

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ये लोग न होते, तो अब तक हमारे पास इतना बहस करने का अवसर भी न होता? उनकी मौत ने हमें एक बहस का आधार दे दिया। 😅

Ruhi Rastogi
Ruhi Rastogi 27 सित॰ 2024

अब तो बस यादें बची हैं

Suman Arif
Suman Arif 29 सित॰ 2024

इतना सब कुछ करने वाले इंसान की तो बहुत कम लोगों को याद रखना चाहिए। ये सब शोर बस एक ट्रेंड है। असली लोग तो बस अपने घर में बैठे हैं।

Amanpreet Singh
Amanpreet Singh 30 सित॰ 2024

सीताराम जी ने हमें सिखाया कि बात करना जरूरी है, लेकिन बिना गुस्से के। उनकी लिखावट में दर्द था, लेकिन उम्मीद भी। आपकी यादें हमेशा रहेंगी, और हम आपके लिए लड़ते रहेंगे ❤️

Kunal Agarwal
Kunal Agarwal 1 अक्तू॰ 2024

मैं एक छोटे शहर से हूँ, और मैंने उनकी एक बातचीत देखी थी। उन्होंने बिना किसी बड़े शब्द के बताया कि गरीबी क्या है। वो लोग ही हैं जो असली नेता होते हैं।

Abhishek Ambat
Abhishek Ambat 1 अक्तू॰ 2024

मैंने उनके लेख पढ़े थे... वो बस एक आदमी नहीं थे... वो एक दर्शन थे... 🌌

Meenakshi Bharat
Meenakshi Bharat 2 अक्तू॰ 2024

उनके लिए यह अंतिम विदाई बहुत बड़ी घटना है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश समय को एक ऐसे विचार को बचाए रखने में लगाया था जो आज लगभग भूल गया गया है, जिसे हम न्याय, समानता और विवेक के रूप में जानते हैं, और जिसकी आज दुनिया में बहुत कम आवश्यकता है, लेकिन जिसकी बहुत ज्यादा जरूरत है।

Sarith Koottalakkal
Sarith Koottalakkal 3 अक्तू॰ 2024

वो बोलते थे तो लगता था जैसे सच बोल रहे हों। आज के दिनों में ऐसा कम ही कोई करता है।

Sai Sujith Poosarla
Sai Sujith Poosarla 3 अक्तू॰ 2024

अरे ये तो बस बाहरी दुनिया के लिए बने हुए नेता थे। असली भारत तो ये नहीं जानता। अब जानेगा क्या? ये सब बस दिखावा है।

Sri Vrushank
Sri Vrushank 4 अक्तू॰ 2024

ये सब एक योजना है। उनकी मौत के बाद तुरंत सभी नेता श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ये तो वो हैं जो उनके खिलाफ थे। ये सब बस एक फेक न्यूज है। वो अभी जिंदा हैं।

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