जब Tata Capital Limited ने 6 अक्टूबर 2025 को भारत के इतिहास में इस साल का सबसे बड़ा सार्वजनिक इश्यू लॉन्च किया, तो बाजार की उत्सुकता तुरंत बढ़ गई। इस आईपीओ की कुल मूल्य‑राशि ₹15,511.87 करोड़ है, जो पिछले साल के Hyundai Motor India के ₹27,859 करोड़ इश्यू के बाद दूसरा सबसे बड़ा माना जाता है। Tata Sons की पूर्ण स्वामित्व वाली यह शाखा, International Finance Corporation (IFC) सहित मौजूदा शेयरधारकों के साथ मिलकर इस ऑफर को तैयार कर रही है। मुख्य बात यह है कि इस इश्यू ने केवल दो दिन में 75 % सब्सक्रिप्शन हासिल कर ली, जिससे निवेशकों को पता चल गया कि Tata समूह की विश्वसनीयता अभी भी प्रमुख ड्राइवर है।
टाटा समूह के वित्तीय सेवा विभाग के रूप में स्थापित Tata Capital Limited ने FY25 में ₹3,655 करोड़ का राजस्व दर्ज किया, जो FY23 से लगभग 11 % CAGR दर्शाता है। कंपनी के परिसंपत्ति प्रबंधन (AUM) का आकार ₹2.33 लाख करोड़ के आस‑पास है, जिससे यह भारत के शीर्ष NBFCs में गिनती पाती है। CEO Nilesh Shah के नेतृत्त्व में, कंपनी ने व्यक्तिगत, व्यवसायिक, गृह और वाहन ऋण के साथ‑साथ इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस और wealth‑management जैसे विविध प्रोडक्ट पेश किए हैं।
Tata Capital IPO दो भागों में विभाजित है: fresh issue के रूप में ₹6,846 crore और existing shareholders द्वारा Offer for Sale (OFS) के तौर पर ₹8,665 crore। शेयरों की मूल्य सीमा ₹310‑₹326 के बीच तय की गई है, और लॉट साइज 46 शेयर (न्यूनतम निवेश ₹14,260) रखा गया है। सार्वजनिक सब्सक्रिप्शन 8 अक्टूबर 2025 तक खुला रहेगा, जबकि अलॉटमेंट 9 अक्टूबर को और लिस्टिंग 13 अक्टूबर को Mumbai स्थित Bombay Stock Exchange (BSE) तथा National Stock Exchange (NSE) पर होगी।
डेज़‑टू‑डेट सब्सक्रिप्शन डेटा से पता चलता है कि निजी और संस्थागत निवेशकों ने इस इश्यू को “subscribe” रेटिंग दी है। कुल मिलाकर 15 प्रमुख ब्रोकरेज़ ने इस IPO को ‘subscribe’ की सलाह दी, जिसके पीछे कंपनी का ब्रांड, स्केलेबिलिटी और diversified loan book है। ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) लगभग 4 % पर स्थिर है, यानी ₹8‑₹10 की सीमा में, जो कीमत बैंड से 3‑4 % ऊपर है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि GMP अनौपचारिक है और वास्तविक लिस्टिंग पर इसका असर सीमित हो सकता है।
मार्केट एनालिस्टों ने कई अवसरों को उजागर किया है: छोटे और मध्यम उद्यम (MSME) में अभी भी बड़े पैमाने पर क्रेडिट अवसाद है, जो Tata Capital के लिए उपयुक्त है; Tata समूह के व्यापक इको‑सिस्टम के माध्यम से cross‑selling की संभावनाएँ बढ़ेंगी; और क्लीनटेक प्रोजेक्ट फाइनेंस में कंपनी का अनुभव इसे रणनीतिक लाभ देगा। दूसरी ओर, RBI की नियामकीय बदलाव, बैंक और फ़िनटेक कंपनियों से तीव्र प्रतिस्पर्धा, मैक्रो‑इकोनॉमिक अस्थिरता और बढ़ते NPA (नॉन‑परफ़ॉर्मिंग एसेट्स) जोखिम को लेकर सतर्कता बढ़ी हुई है।
संक्षेप में, Tata Capital का यह IPO न केवल भारत के वित्तीय बाजार में नई पूँजी प्रवाह लाएगा, बल्कि NBFC सेक्टर में प्रतिस्पर्धा के नए मानक स्थापित करेगा। निवेशकों के लिए यह अवसर, विशेषकर उन लोगों के लिए जो Tata समूह की स्थिरता और ब्रांड शक्ति को महत्व देते हैं, आकर्षक दिख रहा है।
छोटे निवेशकों को न्यूनतम ₹14,260 से इन शेयरों में हिस्सा मिलने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें Tata समूह के बढ़ते वित्तीय सेवाओं के लाभ सीधे मिलेंगे। हालांकि, ग्रे मार्केट प्रीमियम की अनिश्चितता को देखते हुए, निवेशकों को जोखिम‑प्रोफ़ाइल के हिसाब से सोच‑समझ कर कदम उठाना चाहिए।
प्रमुख उद्देश्य Tier‑1 कैपिटल को मजबूत करना है, जिससे कंपनी अपने NBFC संचालन को बढ़ा सके, नई लोन‑प्रोडक्ट्स लॉन्च कर सके और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर सके। यह कदम कंपनी को RBI के नियामकीय मानकों को सहज रूप से पूरा करने में मदद करेगा।
International Finance Corporation (IFC) की हिस्सेदारी निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और अतिरिक्त विश्वास प्रदान करती है। उनकी भागीदारी Tata Capital के ESG (पर्यावरण‑समाज‑शासन) फोकस को भी उजागर करती है, जो आज के निवेश पर्यावरण में एक सकारात्मक संकेतक है।
भारत में इस साल का सबसे बड़ा सार्वजनिक इश्यू होने के नाते, यह Tata Capital IPO बाजार में नई पूँजी लाने, निवेशकों की जोखिम‑भूख को परखने और NBFC सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को तीव्र बनाने वाला गहरा मोमेंट है। यह इश्यू आने वाले वर्षों में अन्य बड़े IPOs के लिए बेंचमार्क भी स्थापित करेगा।
मुख्य जोखिमों में RBI की संभावित नियामकीय tightening, मैक्रो‑इकोनॉमिक मंदी, बैंकों व फ़िनटेक के साथ तीव्र प्रतिस्पर्धा, और NPA में संभावित वृद्धि शामिल हैं। इन सभी को देखते हुए, कंपनी को अपने क्रेडिट पोर्टफ़ोलियो की गुणवत्ता और फंडिंग लागत पर सतर्क रहना पड़ेगा।
जैसे ही Tata Capital का IPO बाजार में आया, एक स्पष्ट संकेत मिला कि बड़े समूहों की वित्तीय शक्ति अब और अधिक गतिशील हो गई है। इस इश्यू में टाटा समूह की ब्रांड वैल्यू और नियामकीय अनुपालन दोनों को ही परखने का अवसर मिला है। 75% सब्सक्रिप्शन केवल दो दिनों में प्राप्त होना, उस संस्थागत विश्वास को दर्शाता है जो सामान्य निवेशकों की तुलना में अधिक सूक्ष्म है।