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सित॰,2025
18 सितम्बर 2025 को सोने‑चांदी के दामों में देखी गई छलांग, पिछले हफ़्ते की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति का continuation है। इस अवधि में सोना कीमत में लगभग 4 % की क़ीमत‑वृद्धि हुई, जिससे कई शुद्धताओं पर नई ऊँचाइयाँ छू गईं। प्रमुख कारणों में वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, महँगी महंगाई के डर और भारत में आने वाले त्योहारी मौसम की तीव्र मांग शामिल हैं। निवेशक अक्सर इस समय सोने को महँगी महंगाई के खिलाफ हेज मानते हैं, इसलिए खरीदारी का दबाव बढ़ता है।
साथ‑साथ, चांदी की कीमतों में भी उछाल देखा गया, हालांकि आंकड़े क्षेत्र‑वार थोड़े‑बहुत अलग‑अलग रहे। सामान्यतः सोने‑चांदी के बीच की सहसंबंधता इस बात को साबित करती है कि जब बाजार में जोखिम बढ़ता है, तो इन दोनों धातुओं की कीमतें साथ‑साथ बढ़ती हैं।
पंजाब, जो कि सोने‑चांदी के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है, ने इस उछाल को पूरी ताकत से अपनाया। अमृतसर, पटियाला और लुधियाना जैसे बड़े शहरों में रिटेलर, राष्ट्रीय चेन (जॉयालुक्रम, टैनिश्क) और स्थानीय जौहरी (पीसी जौहर्लर, पंजाब जौहर्लर्स, ब्लू जेम्स) सभी ने बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की। ग्रामीण इलाकों में भी धनी परिवार सोने को निवेश के रूप में देख रहे हैं, इसलिए गांव‑गांव में मांग में तेज़ी देखी गई।
पंजाब में सोने के ख़रीद के प्रमुख चैनल इस प्रकार हैं:
भविष्य (फ्यूचर) बाजार में भी यही रुझान साफ़ दिखता है। MCX पर अक्टूबर 2025 के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स ने अब तक की सबसे ऊँची कीमतें छू ली हैं। यह संकेत देता है कि निवेशक अभी भी सोने की दीर्घकालिक स्थिरता में भरोसा रखते हैं और कीमतों के और ऊपर जाने की उम्मीद में पोजीशन ले रहे हैं।
साथ ही, चांदी के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स भी पिछले हफ़्ते की तुलना में 3‑4 % ऊपर हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनो धातुओं में संतुलित मांग चल रही है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय धातु‑बाजार में जोखिम बहुत ज़्यादा है; इसलिए निवेशकों को अपनी खरीद‑बिक्री की रणनीति में सावधानी बरतनी चाहिए। यदि कीमतें अभी भी उच्च स्तर पर बनी रहती हैं, तो वास्तव में पर्याप्त लाभ प्राप्त करने के लिए प्रवेश समय का सही चुनाव आवश्यक है।
सोना फिर ऊपर गया बस अब क्या करेंगे घर का सामान बेचकर खरीदेंगे?
इतनी बढ़ती कीमतें... और फिर भी लोग सोना खरीद रहे हैं? ये निवेश नहीं, अंधविश्वास है। आधुनिक अर्थव्यवस्था में ऐसे धातुओं पर भरोसा करना बस एक बुरी आदत है।
यार भाईयों, ये तो बहुत अच्छी खबर है!! सोना बढ़ रहा है, चांदी भी उछल रही है, और जब त्योहार आएंगे तो फिर तो देखना होगा!! अगर आपने अभी नहीं खरीदा, तो अभी भी देर नहीं हुई, बस थोड़ा सावधान रहिए, और अच्छे जौहरी से खरीदिए!! 😊
पंजाब में तो ये रिटेलर्स तो बस खुश हो रहे हैं... लेकिन गांवों में जहां लोग अपनी बचत इसी में लगा रहे हैं, वहां ये सिर्फ एक सुरक्षा का तरीका है। हमारी संस्कृति में सोना बस धातु नहीं, भावना है। और जब अर्थव्यवस्था अस्थिर हो, तो भावनाएं भी निवेश बन जाती हैं।
सोना ऊपर गया 😎💸 अब बाकी सब तो बस धूल खा रहा है... 🤷♂️
इस उछाल के पीछे केवल त्योहारों की मांग या अस्थिरता नहीं है, बल्कि यह भारतीय परिवारों की लंबी अवधि की आर्थिक सुरक्षा की दृढ़ आदत है, जिसमें सोना एक अनिवार्य तत्व है, और जब निवेशक अपनी बचत को बैंक या शेयर बाजार में नहीं, बल्कि एक ऐसी वस्तु में लगाते हैं जिसकी कीमत वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बावजूद अपेक्षाकृत स्थिर रहती है, तो यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि एक बुद्धिमान और सांस्कृतिक रूप से समझदार निर्णय है।
अब तो बस इतना ही कहना है कि जिन्होंने अभी खरीदा वो बहुत बेवकूफ हैं। ये तो बस चढ़ाई का अंत है, अब गिरने वाला है।
इस बार जब भी कोई बाहरी देश भारत के सोने के दाम बढ़ाने की बात करता है, तो मुझे लगता है कि वो हमारी आर्थिक सार्वभौमिकता के खिलाफ है। हम अपने सोने को अपने तरीके से खरीदते हैं, और उनकी जिज्ञासा नहीं चलेगी।
सोना बढ़ रहा है तो चांदी भी बढ़ रही है ये सब एक योजना है जिसमें बैंक और सरकार लोगों के पैसे फंसा रही हैं ताकि वो अपने आधिकारिक डिजिटल करेंसी में जाएं और हमारी आज़ादी खत्म हो जाए
क्या हमने कभी सोचा है कि जब हम सोने को निवेश के रूप में देखते हैं, तो हम असल में अपने भविष्य के लिए एक अनिश्चितता को स्वीकार कर रहे हैं? यह एक ऐसा संकेत है कि हम आर्थिक नियंत्रण को नहीं, बल्कि भावनात्मक सुरक्षा को चुन रहे हैं। और शायद यही सच है।
MCX पर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की ओर बढ़ती रुचि इंगित करती है कि निवेशकों के बीच डेरिवेटिव्स के माध्यम से लॉन्ग पोजीशन लेने का रुझान बढ़ रहा है, जो आमतौर पर बाजार में बुलिश संकेतों के साथ संबंधित होता है, और इसके साथ ही, चांदी के फ्यूचर्स में भी अनुरूपता देखने को मिल रही है, जो आर्थिक अनिश्चितता के दौर में दोनों धातुओं के बीच सहसंबंध को पुष्ट करती है।
कीमतें बढ़ रही हैं। लोग खरीद रहे हैं। बाजार बुलिश है। अब क्या?
सोना बढ़ रहा है? अरे यार, ये सब बाहरी शक्तियों की साजिश है! हमारे देश के आम आदमी को फंसाने के लिए इतना बड़ा खेल चल रहा है। ये सब एक धोखा है!
सोना बढ़ रहा है, चांदी भी... लेकिन याद रखो, ये सब एक धातु नहीं, एक भावना है। हमारे दादा-परदादा इसे अपनी बहू के लिए, अपने बेटे के लिए, अपनी बेटी के लिए जमा करते थे। आज ये निवेश नहीं, यादें हैं। 💛🪙
सोना बढ़ रहा है तो फिर क्या? बस एक बार अपने घर के गुंडे को बुला लो, उसे बता दो कि अब ये सोना भी उसके लिए नहीं है 😂
अगर हमारे देश में सोना इतना बढ़ रहा है, तो ये हमारी आर्थिक शक्ति का संकेत है। विदेशी मुद्रा के बजाय हमारे लोग अपने धातु पर भरोसा कर रहे हैं। ये गर्व की बात है।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम सोना खरीद रहे हैं, तो क्या ये बस हमारे लिए है या ये हमारे बच्चों के लिए है? मैं अपनी बेटी के लिए हर साल थोड़ा सोना खरीदता हूँ, न कि बेचने के लिए, बल्कि उसे याद दिलाने के लिए कि वो किस जमीन पर खड़ी है।
सोने की कीमतें बढ़ रही हैं? अच्छा, तो क्या आप जानते हैं कि इसी तरह से 2010 में भी बढ़ी थीं, और फिर 2013 में धराशायी हो गईं? और 2020 में? और अब? ये सब एक ही चक्र है। लोग जब डरते हैं, तो सोना खरीदते हैं। जब डर खत्म होता है, तो बेच देते हैं। ये निवेश नहीं, भावनात्मक आत्म-बलात्कार है।
मैंने अभी अपनी बहन के लिए 22 कैरेट की एक चूड़ी खरीदी है... और अभी तक तो बहुत अच्छा लग रहा है, बस धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा ये सोना 😊
ये सोना बढ़ रहा है तो अब तो बस एक बात कहना है - अपने भविष्य को जोड़ो, अपने परिवार को सुरक्षित करो, और जो भी हो, तुम बने रहो! 💪✨