जब India Meteorological Department (IMD) ने 20 अगस्त 2025 को मुंबई को नारंगी अलर्ट दिया, तो शहर ने पहले ही महीने की औसत वर्षा से आगे निकल चुका था। उसी दिन देवेंद्र फडनविस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, ने रिपोर्ट किया कि 12‑14 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर बाढ़ का गहरा असर पड़ा है। इस लेख में हम बारिश की तीव्रता, जलभरण पर फ़ायदे और लोगों की कष्टों को विस्तार से देखेंगे।
अगस्त 2025 के मध्य से लगातार चार दिन‑पर‑दिन भारी बारिश चली। मुंबई के कई हिस्सों में 24 घंटे में 300 mm से अधिक पानी गिरा, जिससे शहर ने अगस्त के औसत 566 mm को दो‑तीन दिनों में ही पार कर लिया। वास्तव में, सिर्फ चार दिन में 791 mm बारिश होकर जुलाई 2025 में दर्ज 798 mm के बराबर हो गई। यह आँकड़ा संताक्रुज मौसम स्टेशन ने रिकॉर्ड किया।
IMD के वैज्ञानिक निथा ससिधरन ने बताया कि विडर्भा में मौजूद साइक्लोनिक सर्कुलेशन ने कोकण बेल्ट में जलवायु को असामान्य रूप से नमी‑पूर्ण बना दिया। उत्तर‑कोकण के हिस्से में यह प्रणाली उत्तर‑पश्चिम की ओर बढ़ने के कारण मुंबई के ऊपर घनी वर्षा लायी।
इतनी भारी वर्षा का एक अनपेक्षित ‘साइलेंट बैनिफिट’ रहने वालों को मिला – जलभंडारण में जबरदस्त उछाल। Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 19 तक सात मुख्य जलाशयों का औसत भरण 92.42 % तक पहुँच गया। कुल मिलाकर 1,337,633 मिलियन लीटर पानी बँटा।
इन आंकड़ों ने इस साल के मोनसून को फॉल्ट‑टॉलरेंट माना जा रहा है, विशेषकर जल संकट के समय में।
बारिश ने निचले‑पड़ाव वाले इलाकों को जलमग्न किया। अंधेरी सबवे, लॉटस पेट्रोल पंप के पास की सड़कें कुछ घंटे के लिए पूरी तरह बंद हो गईं। दुर्भाग्य से, शहर में एक पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई, जबकि नांदेड़ जिले में दो दिन में क्लाउड‑बर्स्ट से आठ लोगों की जान गई।
परिवहन में भी बिगाड़ साफ़ देखा गया – मुंबई में ट्रैफ़िक रुक गया, फेरी‑सेवा रद्द हुई, और कई बसें बाढ़‑ग्रस्त मार्गों से बाहर निकल नहीं पाईं। स्थानीय व्यवसायी बताते हैं कि छोटे‑बड़े स्टॉल ने उत्पादन में नुकसान झेला, जबकि कुछ रेस्टोरेंट ने अतिरिक्त पानी के कारण मेन्यू में बदलाव किया।
मुख्यमंत्री फडनविस ने कहा, “कृषि में नुक़सान के साथ‑साथ जल आपूर्ति में सुधार देखना एक दो‑धार वाली तलवार है।” उन्होंने किसान सहायता योजनाओं के तेज़ी से वितरण की अपील की।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर तक 2025 का मोनसून “अति‑सामान्य” रह सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मौसमी हवाएँ सीधे कोकण को छूती रही, तो जलाशयों का स्तर 100 % से अधिक हो जाएगा, जिससे संभावित बाढ़‑जोखिम फिर से बढ़ेगा।
पर्यावरण विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ. अमर्त्य वर्नर ने कहा, “बारिश के कारण जलाशयों के भरने के साथ‑साथ जल‑गुणवत्ता के परीक्षण को लगातार करना जरूरी है, नहीं तो स्वास्थ्य‑सम्बंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।”
IMD ने 30‑31 अगस्त के लिए थाने व मुंबई में ‘येल्लो अलर्ट’ जारी किया है – यह संकेत है कि कुछ क्षेत्रों में हल्की‑से‑भारी बारिश फिर से हो सकती है। पळघर व रायगढ़ क्षेत्रों में अभी भी लाल से नारंगी अलर्ट जारी है, जिससे स्थानीय प्रशासन ने हाई‑टाइड के समय लोगों से सावधानी बरतने को कहा।
नागरिकों को सलाह दी गई है कि जल‑जमाव वाले क्षेत्रों से बचें, अंधेरी जगहों पर ड्रैगन‑फ्लैश (बिजली) से बचें, और आधिकारिक मौसम अपडेट को लगातार फॉलो करें। साथ ही, जल‑संकट के दौर में जल‑संरक्षण उपायों को अपनाना आवश्यक है – जैसे कि टैंकों में पानी बचाकर रखना और पानी की बर्बादी से बचना।
किलो‑किलोग्राम स्तर पर किसानों को सबसे अधिक नुक़सान हुआ, क्योंकि 12‑14 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन में जल‑जन्य क्षति दर्ज की गई। साथ ही, अँडheri के सबवे और नांदेड़ में क्लाउड‑बर्स्ट से हुई हताहत भी उल्लेखनीय है।
बढ़ती वर्षा के कारण सात प्रमुख जलाशयों का औसत भरण 92.42 % तक पहुंच गया, विशेषकर तांसा (99.26 %) और तुलसी‑विहार (100 %) पूरी क्षमता तक पहुंचे। इससे शहर के पीने के पानी की आपूर्ति में सुधार हुआ।
IMD ने 30‑31 अगस्त को थाने‑मुंबई में ‘येल्लो अलर्ट’ जारी किया है, जिसका मतलब है अलग‑अलग जगहों पर मध्यम से भारी बारिश की संभावना। रायगढ़ और पालघर में हल्की‑से‑भारी बूँदें आती रहेंगी, इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है।
हँ, 2025 का मोनसून अब तक के रिकॉर्ड में ‘अति‑सामान्य’ माना जा रहा है। चार दिनों में 791 mm बारिश, जो जुलाई की पूर्ण महीना‑सी बारिश को बराबर है, इस तथ्य को सपोर्ट करता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सितंबर में भी अतिरिक्त वर्षा की संभावना है।